“फिश फार्मर डे” (Fish Farmer Day) के अवसर पर किशनगंज के कॉलेज ऑफ फिशरी, अराबाड़ी में आज एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस आयोजन का उद्देश्य मत्स्य पालन में किसानों के योगदान को सम्मानित करना और इस क्षेत्र में तकनीकी जागरूकता बढ़ाना रहा।
कार्यक्रम में जिले के कोने-कोने से आए मछली पालक किसानों, मछुआ समुदाय के प्रतिनिधियों, विद्यार्थियों एवं शिक्षकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
तकनीकी सत्र और विशेषज्ञ संवाद
इस अवसर पर मत्स्य पालन के क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों ने विभिन्न विषयों पर जानकारी साझा की, जिनमें शामिल थे —
नवीन वैज्ञानिक तकनीकें,
उच्च गुणवत्ता वाली प्रजातियों का चयन,
जल संसाधन प्रबंधन,
मछली रोगों की पहचान व रोकथाम।
सम्मान और प्रेरणा
कार्यक्रम में प्रगतिशील मछली पालकों को उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रशस्ति-पत्र और स्मृति-चिह्न प्रदान कर सम्मानित किया गया। यह सम्मान न केवल उनके समर्पण का प्रतीक था, बल्कि अन्य किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बना।
मत्स्य पदाधिकारी का संबोधन
जिला मत्स्य पदाधिकारी श्री प्रशुन कुमार प्रभात ने उपस्थित किसानों को संबोधित करते हुए कहा,
“मत्स्य पालन आज केवल पोषण का जरिया नहीं, बल्कि स्थायी आजीविका और ग्रामीण अर्थव्यवस्था का एक सशक्त आधार बन चुका है। आधुनिक वैज्ञानिक विधियों को अपनाकर किसान अपनी आय में कई गुना वृद्धि कर सकते हैं।”
छात्रों की रचनात्मक प्रस्तुतियाँ
कॉलेज के मत्स्य विज्ञान विभाग के छात्रों ने पोस्टर, मॉडल, एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से अपनी रचनात्मकता का परिचय दिया। प्रदर्शनी क्षेत्र में छात्रों की नवोन्मेषी सोच और सामाजिक सरोकार झलकते रहे।
उद्योग विशेषज्ञों का अनुभव साझा
कार्यक्रम में मत्स्य उद्योग से जुड़े प्रतिष्ठित उद्यमी डॉ. मनोज शर्मा (गुजरात), एक्वा डॉक्टर सॉल्यूशन के संस्थापक श्री देवतानु वर्मन, तथा बिहार एनीमल हसबेंडरी एवं फिशरी विश्वविद्यालय के कुलपति ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इन विशेषज्ञों ने किसानों को व्यावसायिक दृष्टिकोण, तकनीकी निवेश और बाजार संभावनाओं पर विस्तृत जानकारी दी।
सारस न्यूज़, किशनगंज।
“फिश फार्मर डे” (Fish Farmer Day) के अवसर पर किशनगंज के कॉलेज ऑफ फिशरी, अराबाड़ी में आज एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस आयोजन का उद्देश्य मत्स्य पालन में किसानों के योगदान को सम्मानित करना और इस क्षेत्र में तकनीकी जागरूकता बढ़ाना रहा।
कार्यक्रम में जिले के कोने-कोने से आए मछली पालक किसानों, मछुआ समुदाय के प्रतिनिधियों, विद्यार्थियों एवं शिक्षकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
तकनीकी सत्र और विशेषज्ञ संवाद
इस अवसर पर मत्स्य पालन के क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों ने विभिन्न विषयों पर जानकारी साझा की, जिनमें शामिल थे —
नवीन वैज्ञानिक तकनीकें,
उच्च गुणवत्ता वाली प्रजातियों का चयन,
जल संसाधन प्रबंधन,
मछली रोगों की पहचान व रोकथाम।
सम्मान और प्रेरणा
कार्यक्रम में प्रगतिशील मछली पालकों को उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रशस्ति-पत्र और स्मृति-चिह्न प्रदान कर सम्मानित किया गया। यह सम्मान न केवल उनके समर्पण का प्रतीक था, बल्कि अन्य किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बना।
मत्स्य पदाधिकारी का संबोधन
जिला मत्स्य पदाधिकारी श्री प्रशुन कुमार प्रभात ने उपस्थित किसानों को संबोधित करते हुए कहा,
“मत्स्य पालन आज केवल पोषण का जरिया नहीं, बल्कि स्थायी आजीविका और ग्रामीण अर्थव्यवस्था का एक सशक्त आधार बन चुका है। आधुनिक वैज्ञानिक विधियों को अपनाकर किसान अपनी आय में कई गुना वृद्धि कर सकते हैं।”
छात्रों की रचनात्मक प्रस्तुतियाँ
कॉलेज के मत्स्य विज्ञान विभाग के छात्रों ने पोस्टर, मॉडल, एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से अपनी रचनात्मकता का परिचय दिया। प्रदर्शनी क्षेत्र में छात्रों की नवोन्मेषी सोच और सामाजिक सरोकार झलकते रहे।
उद्योग विशेषज्ञों का अनुभव साझा
कार्यक्रम में मत्स्य उद्योग से जुड़े प्रतिष्ठित उद्यमी डॉ. मनोज शर्मा (गुजरात), एक्वा डॉक्टर सॉल्यूशन के संस्थापक श्री देवतानु वर्मन, तथा बिहार एनीमल हसबेंडरी एवं फिशरी विश्वविद्यालय के कुलपति ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इन विशेषज्ञों ने किसानों को व्यावसायिक दृष्टिकोण, तकनीकी निवेश और बाजार संभावनाओं पर विस्तृत जानकारी दी।
Leave a Reply