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91 की दादी से लेकर 19 के युवा तक: किशनगंज में सेहत की नई क्रांति, आयुष्मान बना जनआंदोलन।

राहुल कुमार, सारस न्यूज, किशनगंज।

किशनगंज के टेढ़ागाछ प्रखंड में 91 वर्षीय दादी जब आयुष्मान कार्ड हाथ में लिए मुस्कराईं, तो यह सिर्फ एक फोटो मोमेंट नहीं था – यह बदलते भारत की तस्वीर थी। पीछे खड़ा युवा मोबाइल में सेल्फी ले रहा था, और सामने बुजुर्ग महिला के चेहरे पर सुकून की रेखाएं थीं। जिले में चल रहे आयुष्मान भारत अभियान ने गांव-गांव में स्वास्थ्य के नए युग की शुरुआत कर दी है।

तीन दिन, हजारों उम्मीदें – लक्ष्य सिर्फ एक: हर पात्र तक पहुंच

डीपीसी पंकज कुमार के अनुसार, बीते कुछ दिनों में आंकड़े गवाही दे रहे हैं – शनिवार को 1500, रविवार को 4000, सोमवार को 8000 और मंगलवार को खबर लिखे जाने तक 10,000 से अधिक आयुष्मान कार्ड बनाए जा चुके हैं। हर कार्ड के पीछे एक परिवार की उम्मीद जुड़ी है – बीमारी से सुरक्षा और इलाज की गारंटी।

“हर हाथ में कार्ड – यही है हमारा प्रण”: डीएम विशाल राज

जिलाधिकारी विशाल राज खुद जब कैंप में पहुंचे तो लोग चौंक गए। लेकिन उनका संदेश साफ था – “मैं निरीक्षण नहीं, भागीदारी करने आया हूं। यह किसी स्कीम से बढ़कर है – यह हक है हर गरीब का। हम तब तक नहीं थमेंगे, जब तक एक भी पात्र व्यक्ति बिना कार्ड के है।”

गाँवों में उमड़ा जनसैलाब – सेहत को लेकर दिखा गजब उत्साह

कहीं महिलाएं गोद में बच्चे लिए कतार में हैं, तो कहीं बुजुर्ग लाठी लेकर पहुंचे हैं। युवक अपने माता-पिता और बहनों के कार्ड बनवाने में लगे हैं। यह अभियान सिर्फ एक सरकारी योजना नहीं, आत्मनिर्भरता और जागरूकता का पर्व बन चुका है।

“अब यह सिर्फ योजना नहीं, जनआंदोलन है” – सिविल सर्जन

सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी कहते हैं, “जब कोई गरीब जानता है कि अब लाखों का इलाज मुफ्त मिल सकता है, उसकी आंखों में जो राहत होती है – वही हमारे काम का असली मापदंड है।”

हर पंचायत, हर गली – अभियान की रफ्तार तेज

डीपीसी पंकज कुमार की टीम लगातार क्षेत्र का भ्रमण कर रही है। हर पंचायत में शिविर लगाए जा रहे हैं, आशा, सेविका, पीआरएस सभी सक्रिय हैं।
स्कूलों में बच्चों को जागरूक किया जा रहा है – वे घर जाकर अपने माता-पिता को प्रेरित कर रहे हैं। लोग इस मुहिम को अब अपनी जिम्मेदारी मानने लगे हैं – हर कोई बन चुका है ‘आयुष्मान योद्धा’।


तो आप कब बनवा रहे हैं अपना आयुष्मान कार्ड?
अब इंतजार किस बात का?
नजदीकी पंचायत शिविर में जाएं, आधार या पहचान पत्र साथ लें और अपने परिवार को दें एक स्वास्थ्य सुरक्षा कवच।
याद रखें – बीमारी कभी भी आ सकती है, लेकिन अब इलाज की चिंता नहीं!

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