विजय गुप्ता, सारस न्यूज, गलगलिया।
गलगलिया रेलवे स्टेशन पर ट्रेनों के ठहराव को लेकर ग्रामीणों ने मांग तेज कर दी है। स्थानीय लोगों ने रेल अधिकारियों एवं क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों को पत्राचार के माध्यम से ध्यान आकृष्ट कराते हुए गलगलिया रेलवे स्टेशन का अपग्रेडेशन एवं पूर्व की भांति ट्रेनों के ठहराव की मांग की है। गलगलिया सीमावासियों में भातगाँव के पूर्व मुखिया गणेश राय के नेतृत्व में शिवनाथ गुप्ता, नीरज सहनी, संजीव सहनी सहित दर्जनों लोगों ने किशनगंज के सांसद सहित रेलवे बोर्ड चेयरमेन एवं डीआरएम कटिहार को आवेदन देकर कहा है कि गलगलिया रेलवे स्टेशन का एक सामारिक महत्व है और ब्रिटिश काल के समय से ही यहाँ आने-जाने वाली सभी ट्रेनों का ठहराव होता आ रहा था। वहीं यह स्टेशन अर्न्तराष्ट्रीय सीमा (नेपाल) एवं अर्न्तराजीय सीमा (पं० बंगाल) पर अवस्थित है, जिसके कारण इसका एक विशेष महत्व है। लोगों ने कहा कि बड़ी लाईन निर्माण के बाद इस स्टेशन का ग्रेड घटाकर लंबी दूरी के ट्रेनों का ठहराव हटा दिया गया है, जबकि गलगलिया रेलवे स्टेशन से लाखों रूपये का राजस्व प्राप्त हो रहा है। अगर सभी ट्रेनों का ठहराव होता है तो रेलवे को राजस्व की बढ़ोतरी होगी एवं नेपाल एवं बंगाल और स्थानीय यात्रियों को भी सुविधा उपलब्ध होगी ।
आमान परिवर्तन के बाद डी ग्रेड में किया गया तब्दील
कटिहार-सिलीगुड़ी रेलमार्ग के अंतराष्ट्रीय व अंतर्राज्यीय सीमा पर बसे गलगलिया रेलवे स्टेशन जो ऐतिहासिक दृष्टि से कहा जाय तो ब्रिटिश काल में बने इस रेलवे स्टेशन पर कोयला इंजन से लेकर मीटर गेज, ब्रॉडगेज, डीजल और बिजली के इंजन तक का सफर लोगों ने देखा है। गलगलिया रेलवे स्टेशन को आमान परिवर्तन के पूर्व ‘बी’ ग्रेड का दर्जा प्राप्त था क्रॉसिंग लाइन के साथ लंबी दूरी का ट्रेन व ठहराव की व्यवस्था थी। यही नही यहां रैक पॉइंट एवं मालगोदाम होने के कारण दोनों देश के व्यापारियों के साथ मजदूरों को भी आर्थिक लाभ मिलता था। मगर रेल प्रशासन द्वारा इस स्टेशन को ‘बी’ ग्रेड से ‘डी’ ग्रेड में तब्दील कर दिया गया जिससे यहाँ की व्यवस्था प्रभावित है। स्टेशन में पेयजल, शौचालय, विश्रामालय,सड़क तक की व्यवस्था को छीन लिया गया है।
क्या कहते हैं पूर्व मुखिया
गलगलिया भातगाँव पंचायत के पूर्व मुखिया गणेश राय ने इस संबंध में कहा कि गलगलिया रेलवे स्टेशन होकर गुजरने वाली पैसेंजर व इन्टरसिटी ट्रेन का ठहराव तो है मगर अन्य 04 एक्सप्रेस ट्रेन जिसमें बालुरघाट, कैपिटल एक्सप्रेस, महानंदा एवं कंचनकन्या एक्सप्रेस का ठहराव यहाँ नही है। हालांकि, पूर्व में भी स्थानीय लोगों ने उक्त ट्रेनों के ठहराव हेतू मांग करते हुए सांसद से लेकर रेल मंत्री व रेलवे पदाधिकारियों को पत्र लिखते रहे हैं। इसके बावजूद, हमारी मांग पर अभी तक कोई सकारात्मक कार्यवाही नहीं हुई है। ब्रिटिश काल से स्थापित इस रेलवे स्टेशन को उन्होंने स्थानीय लोगों के सहयोग से पूर्व का दर्जा दिलाने की मांग कर आवाज बुलंद करने की बात कही।