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नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्र में फाल आर्मीवर्म देखे जाने से भारत के किसान हुए चिंतित, किशनगंज जिले में इसे लेकर नही है कोई तैयारी।

विजय गुप्ता, सारस न्यूज, गलगलिया।

किशनगंज जिले से सटे नेपाल के झापा जिले के कुछ स्थानों पर लगाई गई मक्के की फसल में अमेरिकन कीट फाल आर्मीवर्म का प्रकोप है । भारतीय इलाके के भी किसानों में इस बात की चिंता है कि इस कारण सीमा के इस पार भी फसल प्रभावित हो सकती है। नेपाल के झापा जिले के भद्रपुर , बहारदशी और अर्जुनधारा में कुछ जगहों पर फाल आर्मीवर्म देखे गए हैं । कृषि ज्ञान केंद्र झापा (नेपाल) के कृषि विस्तार अधिकारी गणेश शिवकोटी ने बताया कि कई एकड़ फसल पर इसका असर दिख रहा है। जहां-जहां आर्मी वर्म मिले हैं , वहां जरूरी दवा दी गई है। कृषि ज्ञान केंद्र ने मकई किसानों से सावधान रहने का अनुरोध किया है। बारिश के बाद धूप निकलने पर आर्मीवम का जीवन चक्र अधिक सक्रिय हो जाता है। सीमा से सटा इलाका होने के बावजूद किशनगंज जिले में इसे लेकर कोई तैयारी नहीं की गई है । जानकार बताते हैं कि यह अमेरिकन कीड़ा रात्रिचर है । अंडे से निकले नए लार्वा पत्ती के हरे भाग को खाते हैं । इस कीट से क्षतिग्रस्त पौधों के बढ़ने पर पत्तियों पर छोटे छोटे छिद्र दिखाई देने लगते हैं । मक्का एक नकदी फसल है , जिसकी खेती मुख्य रूप से खरीफ फसल चक्र के दौरान की जाती है । फाल आर्मीवर्म फसलों का खराब करने वाला बहुभक्षी कीडा है , जो तंबाकू की इल्लियों की प्रजाति में शामिल है । ये कीड़े टिड्डियों की तरह खाने की तलाश में 100 किलोमीटर से भी ज्यादा का सफर करते हैं । पूर्व बिहार , कोसी और सीमांचल के बाकी जिलों की बात करें तो खगड़िया में 2018 व 2019 में इस कीट का प्रकोप था। अभी इसकी कोई शिकायत नहीं है। बांका में इस बार मक्के की फसल में इसका कुछ प्रकोप देखा जा रहा।

क्या कहते हैं प्रखंड कृषि पदाधिकारी

इस संबंध में राजेश कुमार,प्रखंड कृषि पदाधिकारी ठाकुरगंज से बात करने पर उन्होंने बताया कि
फाल आर्मीवर्म के लिए कोई अलर्ट या कोई निर्देश प्राप्त नहीं हुआ है। इससे पूर्व बचाव को लेकर जिला स्तर से जो भी गाइडलाइन मिलेगा उसका पालन कर बचाव किया जाएगा और किसानों को जागरूक किया जाएगा।

कैसे करें बचाव

कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि इस प्रकार के कीड़ों के प्रकोप से निजात पाने के लिए खेतों में जैविक कीट नियंत्रण करना फायदेमंद रहता है । इसके लिए खेत में नीम से बने कीटनाशक का छिड़काव करें । समय – समय पर खेतों की निगरानी करते रहें और फसल में कीड़ों के दिखने पर विशेषज्ञों की सलाहनुसार कीटनाशकों का उपयोग करें ।

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