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भारत की संस्कृति को भूल नेपाल में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं भारत के बच्चे, भारत के राष्ट्रीय गान को भूल नेपाल के राष्ट्रीय गान गाने को हैं मजबूर।

सारस न्यूज, गलगलिया।

पड़ोसी राष्ट्र नेपाल से प्रतिदिन अवैध तरीके से स्कूली बस भारतीय सीमा में प्रवेश कर नेपाल सीमा से सटे गलगलिया बाजार से दर्जनों बच्चों को नेपाली पाठ्यक्रम और नेपाल की सभ्यता, संस्कृति का चोला ओढ़ा रही हैं।इससे न सिर्फ नौनिहालों के भारतीय सभ्यता और संस्कृति का ज्ञान अधूरा रहेगा। बल्कि कहीं ना कहीं सीमावर्ती क्षेत्र के बच्चे देश की बुनियादी ढांचे और देश की सभ्यता और संस्कृति से भी दूर होते जाएंगे। इन बच्चों को जो पड़ोसी राष्ट्र नेपाल में शिक्षा धरण करने जाते हैं, भारत की राष्ट्रीय गान तक नहीं आता है। भारत के निवासी शिक्षा ग्रहण करने जाते हैं नेपाल मगर भारत देश का राष्ट्रीय गान तक नहीं गा पाते हैं। जब इस संबंध में सीमा पर तैनात एसएसबी अधिकारी और जवानों से इस बात की जानकारी ली गई कि कैसे पड़ोसी राष्ट्र नेपाल के भद्रपुर से सिद्धार्थ शिशु सदन विद्यालय की बस बिना किसी परमिट और बिना किसी आदेश के प्रतिदिन भारतीय सीमा में प्रवेश कर नेपाल सीमा से सटे भात गांव पंचायत के गलगलिया बाजार से दर्जनों बच्चों को लेकर नेपाली शिक्षा दे रहे हैं तो उन्होंने इस बात पर अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा कि इसकी जांच की जाएगी और बस को भारतीय सीमा में प्रवेश करने से भी रोका जाएगा। उन्होंने इस बात को भी स्वीकार किया कि यह कानूनी तौर पर सही नहीं है।

वहीं इस संबंध में गलगलिया थाना में पदस्थापित थानाध्यक्ष खुशबू कुमारी से जब संपर्क साधा गया तो उन्होंने भी अपनी अनभिज्ञता प्रकट करते हुए जांच की बात बताई। वही इस संबंध में जब नेपाली विद्यालय में पढ़ा रहे बच्चों के अभिभावकों से संपर्क साधा गया तो उन्होंने बताया कि नेपाल में पढ़ाने का उद्देश्य यह है कि एक तो विद्यालय की दूरी बहुत कम पड़ती है और जो शिक्षा हमें यहा तीन से 4000 खर्च कर मिलती है वह शिक्षा नेपाल में 1500 रुपए खर्च करने पर मिल जाती है और विद्यालय में भारतीय बच्चों से किसी भी प्रकार का डोनेशन नहीं लिया जाता है साथ ही साथ जो बच्चा जो छात्र अच्छे अंक से उत्तीर्ण होते हैं उन्हें विदेशों में भी भेज कर पढ़ाने की व्यवस्था नेपाल सरकार द्वारा की जाती है। अभिभावकों ने बताया कि जहां तक सभ्यता और संस्कृति की बात है तो बच्चो को हम लोग अपने घरों में साथ रखते हैं और हमारे रहन-सहन खानपान, सभ्यता और संस्कृति की भी जानकारी उन्हें समय-समय पर दी जाती है।

आपको ज्ञात होगा कि इसी सीमावर्ती क्षेत्र गलगलिया से सीमा पर तैनात जवानों ने एक आइएसआई एजेंट फरीदा मलिक को पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी नागरिक महिला को एक नवंबर को भारत नेपाल बॉर्डर गलगलिया चेकपोस्ट से नेपाल जाने के दौरान गिरफ्तार किया गया था। इसकी गिरफ्तारी के बाद इसके पास बरामद दस्तावेज, एयर टिकट और पासपोर्ट मिला था। फरीदा मलिक अब तक तीन बार गिरफ्तार हो चुकी है। उसे बिना वीजा के भारत में प्रवेश करते और भारत से नेपाल जाते समय दो बार पकड़ा गया था। वहीं एक बार उसकी गिरफतारी जमानत रद्द करने के बाद हुई थी। फरीदा मलिक को 12 जुलाई 2019 में उतराखंड के बनबसा इमिग्रेशन चेकपोस्ट पर नेपाल से गलत तरीके से भारत में प्रवेश करने के जुर्म मे पकड़ा गया था। वहां सात दिनों तक यह महिला सीमांचल के इलाके में मौजूद थी। अत्यंत संवेदनशील इस इलाके में एक पाकिस्तानी मूल की महिला के सात दिनों तक छिपे रहने का पता भी खुफिया एजेंसियों को नहीं चला था।

आपको बता दें कि पानीटंकी सीमा पर एसएसबी कुछ ज्यादा कड़ाई करती है। वहीं गलगलिया सीमा पर कोई खास कड़ाई नहीं होती है। जानकारी के मुताबिक फिलहाल फरीदा किशनगंज के कारावास में है।

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