मध्य विद्यालय गलगलिया सहित प्रखंड के प्रारंभिक विद्यालयों में मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम अंर्तगत सुरक्षित शनिवार का विषय डायरिया, लक्षण, उपचार के संबंध में जानकारी एवं ओआरएस बनाने से संबंधित कौशल प्रशिक्षण एवं अभ्यास कार्यक्रम आयोजित किए गए। इस क्रम में मध्य विद्यालय गलगलिया के फोकल शिक्षक विकास कुमार ने उक्त विषय के संबंध में स्कूली बच्चों से कहा कि गंदगी से महामारी के रूप में डायरिया फैलने की संभावना होती है। डायरिया के कारण बार-बार शौच होने से शरीर से जरूरी तत्व जैसे नमक, मिनरल आदि भी निचोड़ कर निकल जाता है, जिससे शरीर काफी कमजोर हो जाता है। ऐसे समय पर शरीर में पानी को वापस लाना आवश्यक हो जाता है।
उन्होंने बताया कि मनुष्य के जीवित रहने के लिए शरीर में पानी और नमक की जितनी भी जरूरत होती है, डायरिया होने पर यह पानी और नमक पूरी तरह से नष्ट हो जाता है। डायरिया से पीड़ित रोगी गंभीर डिहाइड्रेशन और शरीर से तरल पदार्थों के नुकसान के कारण मर जाते हैं। डायरिया से होने वाली करीब 70 प्रतिशत मौतों को मौखिक पुनर्जलीकरण नमक वाले सॉलूशन के साथ आसानी से रोका जा सकता है, जो एक बेहद आसान चीनी और नमक का सॉलूशन है। वैसे तो ओआरएस का घोल व्यावसायिक रूप से बाजार में आसानी से मिल जाता है लेकिन अगर मार्केट जाकर इन्हें खरीद नहीं सकते तो इसे घर पर भी बनाया जा सकता हैं।
ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्ट यानी ओआरएस बेहद किफायती और फायदेमंद तरीका है जिसकी मदद से इस घातक बीमारियों से लड़ा जा सकता है। इसके लिए 1 लीटर साफ पानी (पानी का इस्तेमाल करने से पहले उसे उबाल लें), 6 चम्मच चीनी (1 चम्मच=5 ग्राम), आधा चम्मच नमक को तब तक अच्छी तरह से मिक्स करते रहें जब तक नमक और चीनी पूरी तरह से पानी में घुल न जाए। उसके बाद इस होममेड घोल का इस्तेमाल कर सकते हैं। डायरिया से पीड़ित कोई बच्चा हो या फिर कोई वयस्क के लिए इस बात का सुझाव दिया जाता है कि वे जितना हो सके उतना ओआरएस के घोल का सेवन कर सकते हैं।
वहीं इस गतिविधि में विद्यालय के प्रधानाध्यापक अर्जुन पासवान, राकेश राय, धनंजय राय, अमरनाथ नायक, संतोष पासवान, रचना चौधरी, स्नेहलता कुमारी, वर्षा रानी, पल्लवी कुमारी, प्रियंका घोष, सीमा कुमारी आदि सहित स्कूल के छात्र-छात्राएं मौजूद थे।
सारस न्यूज, किशनगंज।
मध्य विद्यालय गलगलिया सहित प्रखंड के प्रारंभिक विद्यालयों में मुख्यमंत्री विद्यालय सुरक्षा कार्यक्रम अंर्तगत सुरक्षित शनिवार का विषय डायरिया, लक्षण, उपचार के संबंध में जानकारी एवं ओआरएस बनाने से संबंधित कौशल प्रशिक्षण एवं अभ्यास कार्यक्रम आयोजित किए गए। इस क्रम में मध्य विद्यालय गलगलिया के फोकल शिक्षक विकास कुमार ने उक्त विषय के संबंध में स्कूली बच्चों से कहा कि गंदगी से महामारी के रूप में डायरिया फैलने की संभावना होती है। डायरिया के कारण बार-बार शौच होने से शरीर से जरूरी तत्व जैसे नमक, मिनरल आदि भी निचोड़ कर निकल जाता है, जिससे शरीर काफी कमजोर हो जाता है। ऐसे समय पर शरीर में पानी को वापस लाना आवश्यक हो जाता है।
उन्होंने बताया कि मनुष्य के जीवित रहने के लिए शरीर में पानी और नमक की जितनी भी जरूरत होती है, डायरिया होने पर यह पानी और नमक पूरी तरह से नष्ट हो जाता है। डायरिया से पीड़ित रोगी गंभीर डिहाइड्रेशन और शरीर से तरल पदार्थों के नुकसान के कारण मर जाते हैं। डायरिया से होने वाली करीब 70 प्रतिशत मौतों को मौखिक पुनर्जलीकरण नमक वाले सॉलूशन के साथ आसानी से रोका जा सकता है, जो एक बेहद आसान चीनी और नमक का सॉलूशन है। वैसे तो ओआरएस का घोल व्यावसायिक रूप से बाजार में आसानी से मिल जाता है लेकिन अगर मार्केट जाकर इन्हें खरीद नहीं सकते तो इसे घर पर भी बनाया जा सकता हैं।
ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्ट यानी ओआरएस बेहद किफायती और फायदेमंद तरीका है जिसकी मदद से इस घातक बीमारियों से लड़ा जा सकता है। इसके लिए 1 लीटर साफ पानी (पानी का इस्तेमाल करने से पहले उसे उबाल लें), 6 चम्मच चीनी (1 चम्मच=5 ग्राम), आधा चम्मच नमक को तब तक अच्छी तरह से मिक्स करते रहें जब तक नमक और चीनी पूरी तरह से पानी में घुल न जाए। उसके बाद इस होममेड घोल का इस्तेमाल कर सकते हैं। डायरिया से पीड़ित कोई बच्चा हो या फिर कोई वयस्क के लिए इस बात का सुझाव दिया जाता है कि वे जितना हो सके उतना ओआरएस के घोल का सेवन कर सकते हैं।
वहीं इस गतिविधि में विद्यालय के प्रधानाध्यापक अर्जुन पासवान, राकेश राय, धनंजय राय, अमरनाथ नायक, संतोष पासवान, रचना चौधरी, स्नेहलता कुमारी, वर्षा रानी, पल्लवी कुमारी, प्रियंका घोष, सीमा कुमारी आदि सहित स्कूल के छात्र-छात्राएं मौजूद थे।
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