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महाशिवरात्रि को लेकर गलगलिया में निकली भगवान शिव की भव्य एवं दिव्य बारात शोभा यात्रा।

विजय गुप्ता,सारस न्यूज, गलगलिया।

हर-हर महादेव, बम-बम भोले, जय-जय शिव शंकर आदि उद्घोषों से शुक्रवार को सीमावर्ती क्षेत्र गलगलिया दिनभर गुंजायमान रही। महाशिवरात्रि को लेकर भगवान शिव कि भव्य एवं दिव्य बारात शोभा यात्रा गाजे-बाजे के साथ निकाली गई। जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालू शामिल हुए। इसमें सैकड़ों महिलाएं भी थी और सभी के माथे पर सुशोभित पट्टी बंधी थी।

बारात भ्रमण के दौरान हर-हर महादेव व भोले बाबा के गीत ने पुरे क्षेत्र को शिवमय कर दिया। फागुन का एहसास कराने के लिए होलियाना अंदाज में निकली बारात तो सभी अबीर-गुलाल से सराबोर हो गए। यह शोभा यात्रा दिन के एक बजे गलगलिया बाजार स्थित मंदिर प्रांगण से चल कर बाजार होते हुए घोषपाड़ा, दरभंगिया टोला, साहनी टोला, पुराना बस पड़ाव से वापस मंदिर पर आकर पूर्ण हुआ। शोभायात्रा में रथ पर भगवान शिव के किरदार एवं नंदी के अवतार में झांकी छोटे बच्चों द्वारा निकाली गई जो लोगों को काफी आकर्षित कर रहा था।

मंदिर कमिटी प्रमुख विनोद कुमार ने बताया कि फाल्गुन के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी की रात को शिव रात्रि कहते हैं। इस दिन व्रत रखने से भगवान शिव की विशेष अनुकम्पा मिलती है। महाशिवरात्रि, परमात्मा शिव के दिव्य अवतरण का मंगल सूचक पर्व है। भगवान शिव के निराकार से साकार रूप में अवतरण की रात्रि ही महाशिवरात्रि कहलाती है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को आस्था और विश्वास के साथ करने से सभी तरह के शाप-ताप नष्ट हो जाते हैं तथा पूर्वजन्मों का कर्मबंधन नष्ट हो जाता है। इस पुरे आयोजन में मंदिर कमिटी के सक्रिय सदस्य विनोद कुमार, अभिषेक गुप्ता, राकेश राय, अमर राय की अहम भूमिका रही।

महाशिवरात्रि को उपवास करने से पापों से मिलती है मुक्ति।

ऐसा विश्वास है कि इस दिन व्रत रखने से भगवान शिव आशुतोष प्रसन्न होते हैं और उपासक को सभी पापों से मुक्ति मिलती है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्री वर्ष के अंत में आती है इसलिए इस दिन पूरे वर्ष में हुई गलतियों के लिए भगवान शंकर से क्षमा याचना की जाती है और आने वाले वर्ष में उन्नति एवं सदगुणों के विकास के लिए प्रार्थना की जाती है।

समुंद्र मंथन की कहानी।

एक और मान्यता के अनुसार जब समुंद्र मंथन से कालकूट विष निकला। उसे भगवान शिव ने दुनिया को बचाने के लिए इसी दिन अपने कंठ में धारण कर लिया था। और तभी से इसी दिन महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जा रहा है।

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