विजय कुमार गुप्ता, सारस न्यूज, गलगलिया।
बदलना जरूरी है
वक्त के साथ बदलना जरूरी है
पर बदल कर संभलना जरूरी है ।
ब्याधियां लग जाती है अक्सर शरीर में
सुबह ठंडी हवा में टहलना जरूरी है।
मौसम बहारों का आयेगा नही बार-बार
कलियों को देख भौरों का मचलना जरूरी है।
चाँद की चांदनी होती नही सदा के लिए
सूरज सा अंबर में चमकना जरूरी है।
सांसों को मिलती रहे रवानी यहां
देख किसी को दिल का धड़कना जरूरी है।
दिल का दर्द बन जाए ना जख्म ताउम्र के लिए
कभी-कभी दर्द का आंखों से छलकना जरूरी है।
माली नही कर सकता हमेशा फूलों की हिफाजत
कभी-कभी कांटा बन खटकना भी जरूरी है।
आसानी से मिल जाए मंजिल जिंदगी की तो क्या मजा
मजबूती के लिए तुफानों से लड़ना भी जरूरी है।
जिंदगी का क्या भरोसा कब बेवफा हो जाए
कभी बच्चा बन अरमानों का मचलना जरूरी है।
जिंदगी हमारी है,जीना भी हमे ही है पर
इंसानियत’ के उसूलों पर खरा उतरना भी जरूरी है।
कवियित्री
बिंदु अग्रवाल।