कभी धूप लिखी,कभी छांव लिखा कभी अंतरमन का भाव लिखा। कभी हँसी, ठिठोली, गीत लिखे कभी बीते समय का घाव लिखा।।
कभी जीवन का उतार – चढ़ाव लिखा कभी अनचाहा वो पड़ाव लिखा। जो भुला ना पाएं सारी उमर दर्द का ऐसा रिसाव लिखा।।
फूल, पत्ती और बेल लिखा किस्मत का सारा खेल लिखा। कभी हार लिखी, कभी जीत लिखा अनचाहे रिश्तों का मेल लिखा।।
जीवन का खेल अजीब लिखा कभी दुश्मन को भी करीब लिखा। इस रंग रंगीली दुनियाँ में बेदर्दों को भी शरीफ लिखा।। दिल का हर अरमान लिखा जीवन का हर तूफान लिखा। जो मिला नही जीवन पथ में कागज पे वो आराम लिखा।।
जीवन को मैने महान लिखा जीने का नया आयाम लिखा। चाहे लाख मुसीबत झेली हो पर इस जन्म को मैने महान लिखा।।
बिंदु अग्रवाल
(गलगलिया, किशनगंज, बिहार)
विजय कुमार गुप्ता, सारस न्यूज, गलगलिया।
अंतरमन के भाव
कभी धूप लिखी,कभी छांव लिखा कभी अंतरमन का भाव लिखा। कभी हँसी, ठिठोली, गीत लिखे कभी बीते समय का घाव लिखा।।
कभी जीवन का उतार – चढ़ाव लिखा कभी अनचाहा वो पड़ाव लिखा। जो भुला ना पाएं सारी उमर दर्द का ऐसा रिसाव लिखा।।
फूल, पत्ती और बेल लिखा किस्मत का सारा खेल लिखा। कभी हार लिखी, कभी जीत लिखा अनचाहे रिश्तों का मेल लिखा।।
जीवन का खेल अजीब लिखा कभी दुश्मन को भी करीब लिखा। इस रंग रंगीली दुनियाँ में बेदर्दों को भी शरीफ लिखा।। दिल का हर अरमान लिखा जीवन का हर तूफान लिखा। जो मिला नही जीवन पथ में कागज पे वो आराम लिखा।।
जीवन को मैने महान लिखा जीने का नया आयाम लिखा। चाहे लाख मुसीबत झेली हो पर इस जन्म को मैने महान लिखा।।
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