मेरा निश्छल प्रेम तुमसे संभाला ना गया तुम्हें दिल में बसा कर मुझसे निकाला ना गया। तुम ओझल होते रहे जैसे अंधेरे में जुगनू दिल तड़पा पर होठों से पुकारा ना गया।
एहसास अधूरे रह गए सारे की पूरे हो ना सके, तेरे दिल में बीज मोहब्बत का हम बो ना सके। तुम चले गए हमें यूं तनहा छोड़ कर, तेरे बाद यह जीवन हमसे संवारा ना गया।
हम डूब गए खुद के ही अश्कों में, के यह फैसला इस नादान दिल का ही था। शायद तुमने भी तो चाहा होगा मुझे? के यह नशा तेरा हमसे,उतारा ना गया।
आहट तेरे धडकनों की,मेरे दिल के आंगन में अभी भी होती है। तेरे हाथों में हाथ और चेहरे पे नजर मेरे आंखों से वह खूबसूरत नजारा ना गया।
मुझे मालूम है तुम बेवफा हो नही सकते तुम्हारी भी कुछ मजबूरियां रही होंगी। पर क्या करूं मेरे हमदम तू ही बता, इश्क की गलियों में यह कदम दोबारा ना गया।
बिंदु अग्रवाल, किशनगंज बिहार
विजय कुमार गुप्ता, सारस न्यूज, गलगलिया।
पुकारा ना गया
मेरा निश्छल प्रेम तुमसे संभाला ना गया तुम्हें दिल में बसा कर मुझसे निकाला ना गया। तुम ओझल होते रहे जैसे अंधेरे में जुगनू दिल तड़पा पर होठों से पुकारा ना गया।
एहसास अधूरे रह गए सारे की पूरे हो ना सके, तेरे दिल में बीज मोहब्बत का हम बो ना सके। तुम चले गए हमें यूं तनहा छोड़ कर, तेरे बाद यह जीवन हमसे संवारा ना गया।
हम डूब गए खुद के ही अश्कों में, के यह फैसला इस नादान दिल का ही था। शायद तुमने भी तो चाहा होगा मुझे? के यह नशा तेरा हमसे,उतारा ना गया।
आहट तेरे धडकनों की,मेरे दिल के आंगन में अभी भी होती है। तेरे हाथों में हाथ और चेहरे पे नजर मेरे आंखों से वह खूबसूरत नजारा ना गया।
मुझे मालूम है तुम बेवफा हो नही सकते तुम्हारी भी कुछ मजबूरियां रही होंगी। पर क्या करूं मेरे हमदम तू ही बता, इश्क की गलियों में यह कदम दोबारा ना गया।
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