• Sat. Sep 13th, 2025

Saaras News - सारस न्यूज़ - चुन - चुन के हर खबर, ताकि आप न रहें बेखबर

बिंदु अग्रवाल की कविता #77 (शीर्षक:-तुम्हारी गलियां…)

तुम्हारी गलियां

आज बरसों बाद अचानक
उस रास्ते से गुजरी हूं…
मुझे मालूम है तुम वहां नहीं हो..
तुम्हें वह गली छोड़े ना जाने,
कितने ही दिन गुजर गए …
अब तो शायद तुम्हारी खुशबू भी ..
बारिश की बूंदों से धूल चुकी होगी ।
तुम्हारे एहसास हवा के थपेड़ों ,
से उड़ कर कहीं दूर जा चुके होंगे …
सब कुछ जानते हुए भी न जाने क्यों ?
नजरे अनायास ही उस तरफ उठ गई ,
यूं लगा तुम अभी भी …
मेरे इंतजार में वहां खड़े हो।
तुम्हारी एक झलक मुझे मिल जाए ,
दिल के किसी कोने में यह उम्मीद ..
अभी तक बची हुई है ।
या फिर मैंने इस उम्मीद को
जीवंत रखा है और शायद
मैं इस उम्मीद को कभी
टूटने नहीं देना चाहती ।
क्योंकि इसी उम्मीद ने मुझे
जीवित रखा है कि तुम मुझे …
कभी जिंदगी के किसी चौराहे ,
पर किसी मोड़ पर ,
अजनबी की तरह नहीं …
बिल्कुल उसी तरह जैसे तुम ,
जुदा हुए थे मुझसे..
तुम सिर्फ़ मेरे थे …
या फिर कभी नहीं..?
पर दिल में एक उम्मीद
अभी भी बची हुई है,
जो बस तुम पर आकर
ठहर जाती हैं और ….
मन में एक कसक उठती है
तुम और “सिर्फ तुम”…..

बिंदु अग्रवाल

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *