सारस न्यूज़, वेब डेस्क।
छोड़ दी हैं मैंने सारी अठखेलियाँ
क्योंकि अब मैं पिता बन गया हूँ।
अब मैं पिता को नखरे नहीं दिखाता,
क्योंकि अब मैं पिता बन गया हूँ।
छोड़ दी हैं मैंने अब सारी नादानियाँ,
समझने लगा हूं अपनी जिम्मेदारियाँ।
भूल सा गया हूं सारी मनमानियाँ,
क्योंकि अब मैं पिता बन गया हूँ।
अब बच्चों की इच्छा ही मेरा ध्येय हैं
उनकी सारी खुशियाँ ही मेरा श्रेय हैं।
समझने लगा हूं पिता कैसे जीता है ?
क्योंकि अब मैं पिता बन गया हूँ।
आँधी आए या बदन जल रहा हो,
सब कुछ सह कर मैं जी लेता हूँ।
चुपचाप बॉस की डांट पी लेता हूँ,
क्योंकि अब मैं पिता बन गया हूँ।
मुस्कुराता हुआ घर लौटता हूँ
छुपाकर अपनी थकान को।
बच्चों की किलकारियां ही मेरा जीवन है।
क्योंकि अब मैं पिता बन गया हूँ ।
बिंदु अग्रवाल शिक्षिका
मध्य विद्यालय गलगलिया
किशनगंज बिहार