बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के तहत किशनगंज जिला प्रशासन ने एक अहम फैसला लेते हुए मतदान में शामिल होने वाले सभी कर्मियों की स्वास्थ्य जांच अनिवार्य कर दी है। इसके लिए जिला स्वास्थ्य विभाग ने एक तीन सदस्यीय मेडिकल बोर्ड का गठन किया है, जो 13 अक्टूबर से 17 अक्टूबर तक कर्मियों की मेडिकल जांच करेगा। यह कदम सुरक्षित और व्यवस्थित मतदान प्रक्रिया सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
जिलाधिकारी विशाल राज ने जानकारी दी कि चुनावी ड्यूटी अत्यधिक जिम्मेदारी का कार्य है और इसमें लगे कर्मियों की सेहत सर्वोपरि है। उन्होंने कहा, “हमारी प्राथमिकता है कि कोई भी अस्वस्थ व्यक्ति ड्यूटी पर न जाए। मेडिकल बोर्ड इसी उद्देश्य से गठित किया गया है ताकि समय रहते स्वास्थ्य समस्याओं की पहचान कर उचित कदम उठाए जा सकें।”
चिकित्सकों की टीम करेगी मूल्यांकन
मेडिकल बोर्ड की निगरानी सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि जांच प्रतिदिन सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक चलेगी। इस दौरान योग्य डॉक्टरों की टीम कर्मियों की शारीरिक स्थिति की जांच कर रिपोर्ट तैयार करेगी।
मेडिकल बोर्ड में कौन-कौन शामिल हैं?
गठित बोर्ड में निम्नलिखित तीन डॉक्टर शामिल हैं:
डॉ. (मो.) अनवर हुसैन, सर्जन, सदर अस्पताल, किशनगंज (मो. 9431288593)
डॉ. उर्मिला देवी, वरिष्ठ चिकित्सा पदाधिकारी एवं NCDO, किशनगंज (मो. 9473083636)
डॉ. कुंदन आनंद, फिजीशियन, सदर अस्पताल, किशनगंज (मो. 7033304802)
इनके साथ जरूरत पड़ने पर नर्सिंग स्टाफ, कंपाउंडर और लैब टेक्नीशियन भी तैनात रहेंगे।
रिपोर्ट जाएगी संबंधित नोडल अधिकारी को
प्रत्येक कर्मी की जांच रिपोर्ट संबंधित नोडल अधिकारी को सौंपी जाएगी, जो तय करेंगे कि कौन कर्मी चुनाव ड्यूटी के लिए फिट है और कौन नहीं। यह अनिवार्य प्रक्रिया है, और निर्धारित समय सीमा के भीतर जांच कराना सभी कर्मियों के लिए जरूरी होगा।
स्वास्थ्य विभाग की भूमिका अहम
डॉ. राज कुमार चौधरी ने बताया कि इस बार स्वास्थ्य विभाग की भूमिका केवल चिकित्सीय सुविधा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह चुनावी प्रक्रिया को सुरक्षित और निर्बाध बनाने की दिशा में एक मुख्य स्तंभ के रूप में काम कर रहा है। आवश्यक दवाइयां, आपातकालीन व्यवस्था और फील्ड में मेडिकल सपोर्ट को लेकर भी विभाग पूरी तरह तैयार है।
जिलाधिकारी ने इसे प्रशासनिक सतर्कता का उदाहरण बताते हुए कहा कि “यह कदम ना सिर्फ कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है, बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया की सफलता के लिए एक मज़बूत स्वास्थ्य व्यवस्था की नींव भी रखता है।”
सारस न्यूज, किशनगंज।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के तहत किशनगंज जिला प्रशासन ने एक अहम फैसला लेते हुए मतदान में शामिल होने वाले सभी कर्मियों की स्वास्थ्य जांच अनिवार्य कर दी है। इसके लिए जिला स्वास्थ्य विभाग ने एक तीन सदस्यीय मेडिकल बोर्ड का गठन किया है, जो 13 अक्टूबर से 17 अक्टूबर तक कर्मियों की मेडिकल जांच करेगा। यह कदम सुरक्षित और व्यवस्थित मतदान प्रक्रिया सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
जिलाधिकारी विशाल राज ने जानकारी दी कि चुनावी ड्यूटी अत्यधिक जिम्मेदारी का कार्य है और इसमें लगे कर्मियों की सेहत सर्वोपरि है। उन्होंने कहा, “हमारी प्राथमिकता है कि कोई भी अस्वस्थ व्यक्ति ड्यूटी पर न जाए। मेडिकल बोर्ड इसी उद्देश्य से गठित किया गया है ताकि समय रहते स्वास्थ्य समस्याओं की पहचान कर उचित कदम उठाए जा सकें।”
चिकित्सकों की टीम करेगी मूल्यांकन
मेडिकल बोर्ड की निगरानी सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि जांच प्रतिदिन सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक चलेगी। इस दौरान योग्य डॉक्टरों की टीम कर्मियों की शारीरिक स्थिति की जांच कर रिपोर्ट तैयार करेगी।
मेडिकल बोर्ड में कौन-कौन शामिल हैं?
गठित बोर्ड में निम्नलिखित तीन डॉक्टर शामिल हैं:
डॉ. (मो.) अनवर हुसैन, सर्जन, सदर अस्पताल, किशनगंज (मो. 9431288593)
डॉ. उर्मिला देवी, वरिष्ठ चिकित्सा पदाधिकारी एवं NCDO, किशनगंज (मो. 9473083636)
डॉ. कुंदन आनंद, फिजीशियन, सदर अस्पताल, किशनगंज (मो. 7033304802)
इनके साथ जरूरत पड़ने पर नर्सिंग स्टाफ, कंपाउंडर और लैब टेक्नीशियन भी तैनात रहेंगे।
रिपोर्ट जाएगी संबंधित नोडल अधिकारी को
प्रत्येक कर्मी की जांच रिपोर्ट संबंधित नोडल अधिकारी को सौंपी जाएगी, जो तय करेंगे कि कौन कर्मी चुनाव ड्यूटी के लिए फिट है और कौन नहीं। यह अनिवार्य प्रक्रिया है, और निर्धारित समय सीमा के भीतर जांच कराना सभी कर्मियों के लिए जरूरी होगा।
स्वास्थ्य विभाग की भूमिका अहम
डॉ. राज कुमार चौधरी ने बताया कि इस बार स्वास्थ्य विभाग की भूमिका केवल चिकित्सीय सुविधा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह चुनावी प्रक्रिया को सुरक्षित और निर्बाध बनाने की दिशा में एक मुख्य स्तंभ के रूप में काम कर रहा है। आवश्यक दवाइयां, आपातकालीन व्यवस्था और फील्ड में मेडिकल सपोर्ट को लेकर भी विभाग पूरी तरह तैयार है।
जिलाधिकारी ने इसे प्रशासनिक सतर्कता का उदाहरण बताते हुए कहा कि “यह कदम ना सिर्फ कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है, बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया की सफलता के लिए एक मज़बूत स्वास्थ्य व्यवस्था की नींव भी रखता है।”
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