तेज़ी से बदलती जीवनशैली, खान-पान में अनियमितता और शारीरिक गतिविधियों की कमी ने गैर-संचारी रोगों को आज सबसे बड़ा स्वास्थ्य संकट बना दिया है। मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और कैंसर जैसी बीमारियां बिना किसी स्पष्ट लक्षण के धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाती हैं। ऐसे में अधिकांश लोग जब तक चिकित्सक के पास पहुंचते हैं, तब तक रोग गंभीर अवस्था में पहुंच चुका होता है। इन्हीं बीमारियों से बचाव का सबसे प्रभावी उपाय समय रहते जांच कराना है।
इसी उद्देश्य से जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा गुरुवार को जिलेभर में एनसीडी फिक्स्ड डे सर्विस के तहत विशेष जांच अभियान चलाया गया। अभियान के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों के 30 वर्ष से अधिक आयु के महिला एवं पुरुषों की निःशुल्क स्वास्थ्य जांच की गई। यह सुविधा जिले के सभी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों पर पूरी तरह निःशुल्क उपलब्ध कराई जा रही है, ताकि आर्थिक कारणों से कोई भी व्यक्ति जांच से वंचित न रह जाए।
हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों पर निःशुल्क जांच, बीमारी से पहले पहचान
गैर-संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. उर्मिला कुमारी ने बताया कि एनसीडी फिक्स्ड डे सर्विस के अंतर्गत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों पर ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर, बीएमआई, कैंसर के शुरुआती लक्षणों सहित अन्य जोखिम कारकों की जांच की गई। स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा लाभुकों को यह भी समझाया गया कि लक्षण दिखने का इंतजार करना खतरनाक हो सकता है। जांच के दौरान जिन लोगों में जोखिम पाया गया, उन्हें मौके पर ही चिकित्सकीय परामर्श दिया गया तथा आवश्यकता अनुसार दवाएं भी उपलब्ध कराई गईं।
महिलाओं की भागीदारी से बढ़ी अभियान की प्रभावशीलता
सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी ने बताया कि अभियान के दौरान बड़ी संख्या में महिलाओं ने आगे बढ़कर जांच कराई। स्वास्थ्य कर्मियों के अनुसार महिलाएं अक्सर पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता नहीं दे पातीं, जिससे गैर-संचारी रोगों का खतरा और बढ़ जाता है। जांच के दौरान कई महिलाओं में उच्च रक्तचाप और मधुमेह के शुरुआती लक्षण पाए गए, जिन्हें समय रहते परामर्श देकर जीवनशैली में सुधार की सलाह दी गई।
30 वर्ष के बाद नियमित जांच क्यों जरूरी
गैर-संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. उर्मिला कुमारी ने बताया कि 30 वर्ष की उम्र के बाद एनसीडी का खतरा तेजी से बढ़ने लगता है। उन्होंने कहा कि कमजोरी, थकान, सिरदर्द या चक्कर जैसे लक्षणों को सामान्य समझकर नजरअंदाज करना गंभीर बीमारी को न्योता दे सकता है। हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों पर उपलब्ध निःशुल्क जांच सुविधा का लाभ लेकर लोग समय रहते खुद को सुरक्षित कर सकते हैं।
निरीक्षण के दौरान जांच गुणवत्ता पर विशेष ध्यान
गुरुवार को एनसीडीओ डॉ. उर्मिला कुमारी ने जिले में चल रहे एनसीडी फिक्स्ड डे सर्विस कार्यक्रम का निरीक्षण भी किया। इस दौरान उन्होंने जांच प्रक्रिया, मेडिकल किट के उपयोग तथा लाभुकों को दिए जा रहे परामर्श की जानकारी ली और यह सुनिश्चित किया कि सभी पात्र व्यक्तियों की जांच सही एवं गुणवत्तापूर्ण ढंग से की जा रही है।
बीमारी का इंतजार नहीं, जांच को बनाएं आदत
गैर-संचारी रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. उर्मिला कुमारी ने कहा कि गैर-संचारी रोगों से लड़ाई का सबसे मजबूत हथियार जागरूकता और नियमित जांच है। हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों पर उपलब्ध निःशुल्क एनसीडी जांच सुविधा आम लोगों के लिए एक बड़ा अवसर है, जिसका लाभ उठाकर वे गंभीर बीमारी से पहले ही अपनी सेहत को सुरक्षित कर सकते हैं।
राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।
तेज़ी से बदलती जीवनशैली, खान-पान में अनियमितता और शारीरिक गतिविधियों की कमी ने गैर-संचारी रोगों को आज सबसे बड़ा स्वास्थ्य संकट बना दिया है। मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और कैंसर जैसी बीमारियां बिना किसी स्पष्ट लक्षण के धीरे-धीरे शरीर को नुकसान पहुंचाती हैं। ऐसे में अधिकांश लोग जब तक चिकित्सक के पास पहुंचते हैं, तब तक रोग गंभीर अवस्था में पहुंच चुका होता है। इन्हीं बीमारियों से बचाव का सबसे प्रभावी उपाय समय रहते जांच कराना है।
इसी उद्देश्य से जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा गुरुवार को जिलेभर में एनसीडी फिक्स्ड डे सर्विस के तहत विशेष जांच अभियान चलाया गया। अभियान के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों के 30 वर्ष से अधिक आयु के महिला एवं पुरुषों की निःशुल्क स्वास्थ्य जांच की गई। यह सुविधा जिले के सभी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों पर पूरी तरह निःशुल्क उपलब्ध कराई जा रही है, ताकि आर्थिक कारणों से कोई भी व्यक्ति जांच से वंचित न रह जाए।
हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों पर निःशुल्क जांच, बीमारी से पहले पहचान
गैर-संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. उर्मिला कुमारी ने बताया कि एनसीडी फिक्स्ड डे सर्विस के अंतर्गत हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों पर ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर, बीएमआई, कैंसर के शुरुआती लक्षणों सहित अन्य जोखिम कारकों की जांच की गई। स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा लाभुकों को यह भी समझाया गया कि लक्षण दिखने का इंतजार करना खतरनाक हो सकता है। जांच के दौरान जिन लोगों में जोखिम पाया गया, उन्हें मौके पर ही चिकित्सकीय परामर्श दिया गया तथा आवश्यकता अनुसार दवाएं भी उपलब्ध कराई गईं।
महिलाओं की भागीदारी से बढ़ी अभियान की प्रभावशीलता
सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी ने बताया कि अभियान के दौरान बड़ी संख्या में महिलाओं ने आगे बढ़कर जांच कराई। स्वास्थ्य कर्मियों के अनुसार महिलाएं अक्सर पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता नहीं दे पातीं, जिससे गैर-संचारी रोगों का खतरा और बढ़ जाता है। जांच के दौरान कई महिलाओं में उच्च रक्तचाप और मधुमेह के शुरुआती लक्षण पाए गए, जिन्हें समय रहते परामर्श देकर जीवनशैली में सुधार की सलाह दी गई।
30 वर्ष के बाद नियमित जांच क्यों जरूरी
गैर-संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. उर्मिला कुमारी ने बताया कि 30 वर्ष की उम्र के बाद एनसीडी का खतरा तेजी से बढ़ने लगता है। उन्होंने कहा कि कमजोरी, थकान, सिरदर्द या चक्कर जैसे लक्षणों को सामान्य समझकर नजरअंदाज करना गंभीर बीमारी को न्योता दे सकता है। हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों पर उपलब्ध निःशुल्क जांच सुविधा का लाभ लेकर लोग समय रहते खुद को सुरक्षित कर सकते हैं।
निरीक्षण के दौरान जांच गुणवत्ता पर विशेष ध्यान
गुरुवार को एनसीडीओ डॉ. उर्मिला कुमारी ने जिले में चल रहे एनसीडी फिक्स्ड डे सर्विस कार्यक्रम का निरीक्षण भी किया। इस दौरान उन्होंने जांच प्रक्रिया, मेडिकल किट के उपयोग तथा लाभुकों को दिए जा रहे परामर्श की जानकारी ली और यह सुनिश्चित किया कि सभी पात्र व्यक्तियों की जांच सही एवं गुणवत्तापूर्ण ढंग से की जा रही है।
बीमारी का इंतजार नहीं, जांच को बनाएं आदत
गैर-संचारी रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. उर्मिला कुमारी ने कहा कि गैर-संचारी रोगों से लड़ाई का सबसे मजबूत हथियार जागरूकता और नियमित जांच है। हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों पर उपलब्ध निःशुल्क एनसीडी जांच सुविधा आम लोगों के लिए एक बड़ा अवसर है, जिसका लाभ उठाकर वे गंभीर बीमारी से पहले ही अपनी सेहत को सुरक्षित कर सकते हैं।