जिले में स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह अलर्ट – जिला पदाधिकारी
देश में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) के बढ़ते मामलों को देखते हुए राज्य सरकार ने एडवाइजरी जारी की है। यह वायरस ऊपरी और निचले श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है, जिससे सर्दी, खांसी और सांस की समस्याएं हो सकती हैं। हालांकि, यह सामान्य रूप से मामूली संक्रमण का कारण बनता है, लेकिन 05 साल से कम उम्र के बच्चों, 65 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, और कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों के लिए यह गंभीर खतरा बन सकता है। स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिलाधिकारियों और सिविल सर्जनों को सतर्क रहने और सावधानी बरतने का निर्देश दिया है।
जागरूकता और सतर्कता की आवश्यकता
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि एचएमपीवी से घबराने की जरूरत नहीं है। यह वायरस नया नहीं है, और 2001 से इसके मामले सामने आते रहे हैं। हालांकि, विभाग सतर्क है और लोगों को भी सतर्क रहने की सलाह दी गई है। यह वायरस खांसने, छींकने, या संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है। सर्दियों में इसके मामलों में वृद्धि देखी जाती है, जबकि वसंत में इसके प्रसार में कमी होती है।
डॉ. राजेश ने बताया कि कमजोर इम्युनिटी वाले लोग, अस्थमा के मरीज, और सांस की अन्य बीमारियों से ग्रसित लोगों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। संक्रमण से बचाव के लिए नियमित हाथ धोना, संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाए रखना और व्यक्तिगत स्वच्छता का पालन करना बेहद जरूरी है।
जिले में स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह अलर्ट
जिलाधिकारी विशाल राज ने कहा कि एचएमपीवी से डरने की बजाय सतर्क रहने की जरूरत है। विभाग ने संक्रमण के मामलों पर नजर रखने और संभावित मरीजों की पहचान के लिए आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। सभी स्वास्थ्य संस्थानों को खांसी, जुकाम और सांस से जुड़ी समस्याओं वाले मरीजों की नियमित निगरानी करने का निर्देश दिया गया है। यदि किसी मरीज में एचएमपीवी के लक्षण पाए जाते हैं, तो तुरंत जांच कराई जाएगी और आवश्यक एहतियाती कदम उठाए जाएंगे।
संक्रमण से बचाव के उपाय
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि एचएमपीवी संक्रमण से बचाव और इसके प्रसार को रोकना आसान है। निम्नलिखित सावधानियां अपनाकर संक्रमण को नियंत्रित किया जा सकता है:
हाथों की सफाई: नियमित अंतराल पर साबुन और पानी से हाथ धोएं।
गंदे हाथों से बचाव: आंख, नाक, मुंह और कान को गंदे हाथों से न छुएं।
संक्रमित व्यक्ति से दूरी: संक्रमित व्यक्ति के संपर्क से बचें।
छींकते समय सावधानी: छींकते और खांसते वक्त रुमाल या टिश्यू का उपयोग करें।
साफ-सफाई: संक्रमित व्यक्ति द्वारा उपयोग की जाने वाली वस्तुओं की नियमित सफाई करें।
आइसोलेशन: संक्रमण की अवधि के दौरान खुद को आइसोलेट रखें।
बच्चों और बुजुर्गों की देखभाल: कमजोर इम्युनिटी वाले व्यक्तियों की सेहत पर विशेष ध्यान दें।
समाज में जागरूकता बढ़ाना जरूरी
जिलाधिकारी और सिविल सर्जन ने कहा कि वर्तमान में बिहार में एचएमपीवी का कोई मामला सामने नहीं आया है। इसके बावजूद विभाग सतर्क है। जागरूकता अभियानों के माध्यम से लोगों को इसके लक्षण और बचाव के उपायों के प्रति जागरूक किया जाएगा। आवश्यक सावधानियां बरतकर संक्रमण के खतरे को कम किया जा सकता है।
राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।
जिले में स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह अलर्ट – जिला पदाधिकारी
देश में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) के बढ़ते मामलों को देखते हुए राज्य सरकार ने एडवाइजरी जारी की है। यह वायरस ऊपरी और निचले श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है, जिससे सर्दी, खांसी और सांस की समस्याएं हो सकती हैं। हालांकि, यह सामान्य रूप से मामूली संक्रमण का कारण बनता है, लेकिन 05 साल से कम उम्र के बच्चों, 65 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों, और कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों के लिए यह गंभीर खतरा बन सकता है। स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिलाधिकारियों और सिविल सर्जनों को सतर्क रहने और सावधानी बरतने का निर्देश दिया है।
जागरूकता और सतर्कता की आवश्यकता
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि एचएमपीवी से घबराने की जरूरत नहीं है। यह वायरस नया नहीं है, और 2001 से इसके मामले सामने आते रहे हैं। हालांकि, विभाग सतर्क है और लोगों को भी सतर्क रहने की सलाह दी गई है। यह वायरस खांसने, छींकने, या संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है। सर्दियों में इसके मामलों में वृद्धि देखी जाती है, जबकि वसंत में इसके प्रसार में कमी होती है।
डॉ. राजेश ने बताया कि कमजोर इम्युनिटी वाले लोग, अस्थमा के मरीज, और सांस की अन्य बीमारियों से ग्रसित लोगों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। संक्रमण से बचाव के लिए नियमित हाथ धोना, संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाए रखना और व्यक्तिगत स्वच्छता का पालन करना बेहद जरूरी है।
जिले में स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह अलर्ट
जिलाधिकारी विशाल राज ने कहा कि एचएमपीवी से डरने की बजाय सतर्क रहने की जरूरत है। विभाग ने संक्रमण के मामलों पर नजर रखने और संभावित मरीजों की पहचान के लिए आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। सभी स्वास्थ्य संस्थानों को खांसी, जुकाम और सांस से जुड़ी समस्याओं वाले मरीजों की नियमित निगरानी करने का निर्देश दिया गया है। यदि किसी मरीज में एचएमपीवी के लक्षण पाए जाते हैं, तो तुरंत जांच कराई जाएगी और आवश्यक एहतियाती कदम उठाए जाएंगे।
संक्रमण से बचाव के उपाय
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि एचएमपीवी संक्रमण से बचाव और इसके प्रसार को रोकना आसान है। निम्नलिखित सावधानियां अपनाकर संक्रमण को नियंत्रित किया जा सकता है:
हाथों की सफाई: नियमित अंतराल पर साबुन और पानी से हाथ धोएं।
गंदे हाथों से बचाव: आंख, नाक, मुंह और कान को गंदे हाथों से न छुएं।
संक्रमित व्यक्ति से दूरी: संक्रमित व्यक्ति के संपर्क से बचें।
छींकते समय सावधानी: छींकते और खांसते वक्त रुमाल या टिश्यू का उपयोग करें।
साफ-सफाई: संक्रमित व्यक्ति द्वारा उपयोग की जाने वाली वस्तुओं की नियमित सफाई करें।
आइसोलेशन: संक्रमण की अवधि के दौरान खुद को आइसोलेट रखें।
बच्चों और बुजुर्गों की देखभाल: कमजोर इम्युनिटी वाले व्यक्तियों की सेहत पर विशेष ध्यान दें।
समाज में जागरूकता बढ़ाना जरूरी
जिलाधिकारी और सिविल सर्जन ने कहा कि वर्तमान में बिहार में एचएमपीवी का कोई मामला सामने नहीं आया है। इसके बावजूद विभाग सतर्क है। जागरूकता अभियानों के माध्यम से लोगों को इसके लक्षण और बचाव के उपायों के प्रति जागरूक किया जाएगा। आवश्यक सावधानियां बरतकर संक्रमण के खतरे को कम किया जा सकता है।