समाज के समग्र स्वास्थ्य सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत गृह आधारित शिशु देखभाल (एचबीवाईसी) कार्यक्रम जिले में नवजात और छोटे बच्चों के समग्र विकास और स्वास्थ्य सुधार के लिए एक प्रभावशाली पहल है। इसका उद्देश्य नवजातों और छोटे बच्चों की देखभाल, पोषण, और टीकाकरण को लेकर माता-पिता को जागरूक करना है। इसी क्रम में जिला स्वास्थ्य समिति परिसर में सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार की अध्यक्षता में इस विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला में सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, बीएचएम, बीसीएम, और स्वास्थ्य अधिकारियों ने भाग लिया।
एचबीवाईसी कार्यक्रम की आवश्यकता और महत्व
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने कहा, “बच्चों के शुरुआती पांच साल उनके जीवन के सबसे महत्वपूर्ण वर्ष होते हैं। इस दौरान उचित पोषण, टीकाकरण और देखभाल उनकी शारीरिक और मानसिक वृद्धि को सुनिश्चित करते हैं। एचबीवाईसी कार्यक्रम के तहत आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है ताकि वे घर-घर जाकर नवजात और छोटे बच्चों की देखभाल से संबंधित जागरूकता फैला सकें।”
उन्होंने बताया कि कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों में कुपोषण और संक्रमण जैसी समस्याओं को कम करना है। इसके साथ ही, माता-पिता को यह सिखाना है कि वे बच्चों की देखभाल में किन महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखें।
कार्यशाला के प्रमुख बिंदु
कार्यशाला में जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. देवेंद्र कुमार ने प्रतिभागियों को नवजातों और शिशुओं की देखभाल से जुड़ी विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा, “बच्चों की नियमित देखभाल के लिए माताओं को छह माह तक केवल स्तनपान कराने, छठे महीने के बाद पूरक आहार शुरू करने, और नियमित टीकाकरण का पालन कराने की जानकारी देना आवश्यक है।”
शिशु रोग विशेषज्ञ सह सीडीओ डॉ. मंजर आलम ने कहा, “एचबीवाईसी कार्यक्रम का उद्देश्य जीवन के शुरुआती समय में बच्चों को सही पोषण और देखभाल देकर उनके समग्र स्वास्थ्य को सुदृढ़ करना है। इस पहल से बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार के साथ-साथ समाज में स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा मिलेगा।”
कार्यक्रम के मुख्य उद्देश्य
नवजात और शिशुओं के लिए उचित पोषण और स्वास्थ्य देखभाल सुनिश्चित करना।
कुपोषण और अति-कुपोषण की पहचान कर उन्हें सही पोषण प्रदान करना।
माता-पिता को टीकाकरण, स्वच्छता और संक्रमण से बचाव की जानकारी देना।
बच्चों की शारीरिक और मानसिक वृद्धि में मदद करना।
प्रशिक्षित आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका
कार्यशाला में बताया गया कि प्रशिक्षित आशा कार्यकर्ता अपने-अपने क्षेत्रों में घर-घर जाकर बच्चों और उनके परिवारों को जागरूक करेंगी। वे माता-पिता को नवजातों की देखभाल, पोषण, टीकाकरण, और स्वच्छता से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियां प्रदान करेंगी।
सिविल सर्जन ने कहा, “कार्यक्रम से जुड़े सभी प्रशिक्षणार्थी अपने-अपने क्षेत्रों में जाकर बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं को सुलझाने और उनके समग्र विकास को सुनिश्चित करने के लिए प्रयासरत रहेंगे।”
एचबीवाईसी कार्यक्रम का समाज पर प्रभाव
यह कार्यक्रम बच्चों के स्वस्थ विकास को सुनिश्चित करने के साथ-साथ समाज में स्वास्थ्य के स्तर को बेहतर बनाने का प्रयास है।
डॉ. राजेश कुमार ने कहा, “एचबीवाईसी न केवल बच्चों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाएगा, बल्कि समाज में कुपोषण और शिशु मृत्यु दर को कम करने में भी सहायक सिद्ध होगा। यह पहल बच्चों के उज्ज्वल भविष्य और स्वस्थ समाज की ओर बढ़ता कदम है।”
एचबीवाईसी कार्यक्रम बच्चों के भविष्य को स्वस्थ और समृद्ध बनाने के लिए एक सशक्त पहल है। यह न केवल बच्चों की सेहत बल्कि समाज के समग्र स्वास्थ्य और खुशहाली को भी बढ़ावा देगा। कार्यक्रम में शामिल सभी स्वास्थ्य पदाधिकारियों और प्रशिक्षित आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका इसे सफल बनाने में महत्वपूर्ण साबित होगी।
राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।
समाज के समग्र स्वास्थ्य सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत गृह आधारित शिशु देखभाल (एचबीवाईसी) कार्यक्रम जिले में नवजात और छोटे बच्चों के समग्र विकास और स्वास्थ्य सुधार के लिए एक प्रभावशाली पहल है। इसका उद्देश्य नवजातों और छोटे बच्चों की देखभाल, पोषण, और टीकाकरण को लेकर माता-पिता को जागरूक करना है। इसी क्रम में जिला स्वास्थ्य समिति परिसर में सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार की अध्यक्षता में इस विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला में सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, बीएचएम, बीसीएम, और स्वास्थ्य अधिकारियों ने भाग लिया।
एचबीवाईसी कार्यक्रम की आवश्यकता और महत्व
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने कहा, “बच्चों के शुरुआती पांच साल उनके जीवन के सबसे महत्वपूर्ण वर्ष होते हैं। इस दौरान उचित पोषण, टीकाकरण और देखभाल उनकी शारीरिक और मानसिक वृद्धि को सुनिश्चित करते हैं। एचबीवाईसी कार्यक्रम के तहत आशा कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है ताकि वे घर-घर जाकर नवजात और छोटे बच्चों की देखभाल से संबंधित जागरूकता फैला सकें।”
उन्होंने बताया कि कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों में कुपोषण और संक्रमण जैसी समस्याओं को कम करना है। इसके साथ ही, माता-पिता को यह सिखाना है कि वे बच्चों की देखभाल में किन महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखें।
कार्यशाला के प्रमुख बिंदु
कार्यशाला में जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. देवेंद्र कुमार ने प्रतिभागियों को नवजातों और शिशुओं की देखभाल से जुड़ी विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा, “बच्चों की नियमित देखभाल के लिए माताओं को छह माह तक केवल स्तनपान कराने, छठे महीने के बाद पूरक आहार शुरू करने, और नियमित टीकाकरण का पालन कराने की जानकारी देना आवश्यक है।”
शिशु रोग विशेषज्ञ सह सीडीओ डॉ. मंजर आलम ने कहा, “एचबीवाईसी कार्यक्रम का उद्देश्य जीवन के शुरुआती समय में बच्चों को सही पोषण और देखभाल देकर उनके समग्र स्वास्थ्य को सुदृढ़ करना है। इस पहल से बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार के साथ-साथ समाज में स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा मिलेगा।”
कार्यक्रम के मुख्य उद्देश्य
नवजात और शिशुओं के लिए उचित पोषण और स्वास्थ्य देखभाल सुनिश्चित करना।
कुपोषण और अति-कुपोषण की पहचान कर उन्हें सही पोषण प्रदान करना।
माता-पिता को टीकाकरण, स्वच्छता और संक्रमण से बचाव की जानकारी देना।
बच्चों की शारीरिक और मानसिक वृद्धि में मदद करना।
प्रशिक्षित आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका
कार्यशाला में बताया गया कि प्रशिक्षित आशा कार्यकर्ता अपने-अपने क्षेत्रों में घर-घर जाकर बच्चों और उनके परिवारों को जागरूक करेंगी। वे माता-पिता को नवजातों की देखभाल, पोषण, टीकाकरण, और स्वच्छता से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियां प्रदान करेंगी।
सिविल सर्जन ने कहा, “कार्यक्रम से जुड़े सभी प्रशिक्षणार्थी अपने-अपने क्षेत्रों में जाकर बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं को सुलझाने और उनके समग्र विकास को सुनिश्चित करने के लिए प्रयासरत रहेंगे।”
एचबीवाईसी कार्यक्रम का समाज पर प्रभाव
यह कार्यक्रम बच्चों के स्वस्थ विकास को सुनिश्चित करने के साथ-साथ समाज में स्वास्थ्य के स्तर को बेहतर बनाने का प्रयास है।
डॉ. राजेश कुमार ने कहा, “एचबीवाईसी न केवल बच्चों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाएगा, बल्कि समाज में कुपोषण और शिशु मृत्यु दर को कम करने में भी सहायक सिद्ध होगा। यह पहल बच्चों के उज्ज्वल भविष्य और स्वस्थ समाज की ओर बढ़ता कदम है।”
एचबीवाईसी कार्यक्रम बच्चों के भविष्य को स्वस्थ और समृद्ध बनाने के लिए एक सशक्त पहल है। यह न केवल बच्चों की सेहत बल्कि समाज के समग्र स्वास्थ्य और खुशहाली को भी बढ़ावा देगा। कार्यक्रम में शामिल सभी स्वास्थ्य पदाधिकारियों और प्रशिक्षित आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका इसे सफल बनाने में महत्वपूर्ण साबित होगी।