जिले में प्रशासन की तमाम कोशिशों के बावजूद, पश्चिम बंगाल की सीमा पार कर कोयले की अवैध एंट्री पर पूरी तरह से रोक नहीं लग पाई है। प्रशासन द्वारा गलगलिया खनन चेकपोस्ट पर सख्त जांच अभियान चलाया जा रहा है, लेकिन कोयला माफियाओं की रणनीति इसे विफल करने में लगातार सफल हो रही है।
जिला पदाधिकारी विशाल राज के निर्देश पर 21 अप्रैल 2025 से 20 मई 2025 तक प्रतिदिन रात्रि 8 बजे से प्रातः 8 बजे तक खनिज विभाग और अन्य संबंधित अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की गई है। इस दौरान असम, नागालैंड और पश्चिम बंगाल से आने वाले कोयला, बालू, गिट्टी व अन्य ओवरलोडेड वाहनों की जांच की जा रही है।
हालांकि, सूत्रों की मानें तो कोयला माफिया पहले से चेकपोस्ट की निगरानी कर लेते हैं और जैसे ही अधिकारी ड्यूटी से हटते हैं, भारी संख्या में कोयला लदे ट्रक बिना रोक-टोक के बिहार में प्रवेश कर जाते हैं। खासकर ठाकुरगंज के एनएच-327ई पर इन ट्रकों की निर्बाध आवाजाही प्रशासन के लिए चुनौती बन गई है।
बताया जा रहा है कि ये वाहन गलगलिया सीमा पार कर ठाकुरगंज और बहादुरगंज होते हुए अपने गंतव्य तक पहुंचते हैं। इस पूरे अवैध नेटवर्क के पीछे ‘अरशद’ नामक व्यक्ति का नाम प्रमुखता से सामने आया है, जिसे जिले में कोयला सिंडिकेट का मुखिया माना जा रहा है।
प्रशासन समय-समय पर कार्रवाई करता रहा है, लेकिन तस्करी का नेटवर्क इतना संगठित है कि यह अभियान लंबे समय तक प्रभावी नहीं रह पाता। अब देखने वाली बात यह होगी कि जिला प्रशासन इन माफियाओं की कमर तोड़ने में कितनी प्रभावशीलता से कदम उठाता है।
जिले में यह सवाल अब गहराने लगा है कि इतने बड़े पैमाने पर अवैध गाड़ियों की आवाजाही किसके संरक्षण में हो रही है? और आखिर कौन हैं वे चेहरे, जो अरशद जैसे माफियाओं को पर्दे के पीछे से सहयोग प्रदान कर रहे हैं।
सारस न्यूज, किशनगंज।
जिले में प्रशासन की तमाम कोशिशों के बावजूद, पश्चिम बंगाल की सीमा पार कर कोयले की अवैध एंट्री पर पूरी तरह से रोक नहीं लग पाई है। प्रशासन द्वारा गलगलिया खनन चेकपोस्ट पर सख्त जांच अभियान चलाया जा रहा है, लेकिन कोयला माफियाओं की रणनीति इसे विफल करने में लगातार सफल हो रही है।
जिला पदाधिकारी विशाल राज के निर्देश पर 21 अप्रैल 2025 से 20 मई 2025 तक प्रतिदिन रात्रि 8 बजे से प्रातः 8 बजे तक खनिज विभाग और अन्य संबंधित अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति की गई है। इस दौरान असम, नागालैंड और पश्चिम बंगाल से आने वाले कोयला, बालू, गिट्टी व अन्य ओवरलोडेड वाहनों की जांच की जा रही है।
हालांकि, सूत्रों की मानें तो कोयला माफिया पहले से चेकपोस्ट की निगरानी कर लेते हैं और जैसे ही अधिकारी ड्यूटी से हटते हैं, भारी संख्या में कोयला लदे ट्रक बिना रोक-टोक के बिहार में प्रवेश कर जाते हैं। खासकर ठाकुरगंज के एनएच-327ई पर इन ट्रकों की निर्बाध आवाजाही प्रशासन के लिए चुनौती बन गई है।
बताया जा रहा है कि ये वाहन गलगलिया सीमा पार कर ठाकुरगंज और बहादुरगंज होते हुए अपने गंतव्य तक पहुंचते हैं। इस पूरे अवैध नेटवर्क के पीछे ‘अरशद’ नामक व्यक्ति का नाम प्रमुखता से सामने आया है, जिसे जिले में कोयला सिंडिकेट का मुखिया माना जा रहा है।
प्रशासन समय-समय पर कार्रवाई करता रहा है, लेकिन तस्करी का नेटवर्क इतना संगठित है कि यह अभियान लंबे समय तक प्रभावी नहीं रह पाता। अब देखने वाली बात यह होगी कि जिला प्रशासन इन माफियाओं की कमर तोड़ने में कितनी प्रभावशीलता से कदम उठाता है।
जिले में यह सवाल अब गहराने लगा है कि इतने बड़े पैमाने पर अवैध गाड़ियों की आवाजाही किसके संरक्षण में हो रही है? और आखिर कौन हैं वे चेहरे, जो अरशद जैसे माफियाओं को पर्दे के पीछे से सहयोग प्रदान कर रहे हैं।
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