किशनगंज के चकला पंचायत में कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन की सहयोगी संस्था ने रोका नाबालिग का विवाह, 18 वर्ष से पहले शादी ना करवाने की परिजनों से दिलवाई शपथ।
किशनगंज प्रखंड के चकला पंचायत अंतर्गत बालूबाड़ी में एक 17 वर्षीय नाबालिग बच्ची की शादी पोठिया प्रखंड के एक युवक से तय हुई थी। गुप्त सूचना के आधार पर कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन की सहयोगी संस्था जन निर्माण केंद्र के जिला परियोजना समन्वयक मोहम्मद मुजाहिद आलम ने अनुमंडल पदाधिकारी सह बाल विवाह निषेध पदाधिकारी को जिला बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक, बाल कल्याण समिति, महिला विकास निगम के नोडल पदाधिकारी, प्रखंड विकास पदाधिकारी, अंचलाधिकारी, एवं सदर थाना को इसकी लिखित सूचना दी। उक्त मामले को अनुमंडल पदाधिकारी लतीफूर रहमान ने गंभीरता से लेकर एक टीम गठित की जिसमें संबंधित पदाधिकारी को निर्देश देते हुए हो रही नाबालिग बच्चों की शादी को अभिलंब रोकने को कहा। उक्त टीम दलबल के साथ बच्ची के घर पहुंची। गांव में शादी की सभी प्रकार की तैयारियां पूरी कर ली गई थीं। बारात भी अगले दिन आने वाली थी। ऐसे में शादी को रोकना प्रशासन के लिए चुनौती थी। संस्था के जिला परियोजना समन्वयक मोहम्मद मुजाहिद आलम ने परिजनों को बताया कि बाल विवाह एक कानून अपराध है, जिसमें विवाह में शामिल सभी लोगों को दो साल की जेल व एक लाख रुपए के जुर्माने का प्रावधान है। तो वहीं अंचलाधिकारी राहुल कुमार ने लोगों को समझाते हुए कहा कि किसी भी नाबालिग की शादी करवाना या करना या किसी तरह से सहायता प्रदान करना गैर जमानतीय कानूनी अपराध है। नाबालिगों के विवाह से अधिकतर बच्चों के मानसिक विकास और साथ ही समाज पर बुरा प्रभाव पड़ता है। यह बात समझाने के बाद परिजन मान गए और विवाह को रोक दिया गया। उक्त टीम ने परिजनों से एक शपथ पत्र भरवाया, जिसमें उन्होंने इकरार किया कि अपनी बच्ची की शादी 18 वर्ष पूरा होने के बाद ही करेंगे। उक्त टीम में अंचलाधिकारी राहुल कुमार, संस्था के जिला परियोजना समन्वयक मोहम्मद मुजाहिद आलम, सामूदायिक सामाजिक कार्यकर्ता मोहम्मद जफर अंजुम, चाइल्ड हेल्पलाइन के जिला समन्वयक मनोज कुमार सिंह, सुपरवाइजर अब्दुल कय्यूम एवं स्थानीय जनप्रतिनिधि मौजूद थे।
सारस न्यूज़, किशनगंज।
किशनगंज प्रखंड के चकला पंचायत अंतर्गत बालूबाड़ी में एक 17 वर्षीय नाबालिग बच्ची की शादी पोठिया प्रखंड के एक युवक से तय हुई थी। गुप्त सूचना के आधार पर कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन की सहयोगी संस्था जन निर्माण केंद्र के जिला परियोजना समन्वयक मोहम्मद मुजाहिद आलम ने अनुमंडल पदाधिकारी सह बाल विवाह निषेध पदाधिकारी को जिला बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक, बाल कल्याण समिति, महिला विकास निगम के नोडल पदाधिकारी, प्रखंड विकास पदाधिकारी, अंचलाधिकारी, एवं सदर थाना को इसकी लिखित सूचना दी। उक्त मामले को अनुमंडल पदाधिकारी लतीफूर रहमान ने गंभीरता से लेकर एक टीम गठित की जिसमें संबंधित पदाधिकारी को निर्देश देते हुए हो रही नाबालिग बच्चों की शादी को अभिलंब रोकने को कहा। उक्त टीम दलबल के साथ बच्ची के घर पहुंची। गांव में शादी की सभी प्रकार की तैयारियां पूरी कर ली गई थीं। बारात भी अगले दिन आने वाली थी। ऐसे में शादी को रोकना प्रशासन के लिए चुनौती थी। संस्था के जिला परियोजना समन्वयक मोहम्मद मुजाहिद आलम ने परिजनों को बताया कि बाल विवाह एक कानून अपराध है, जिसमें विवाह में शामिल सभी लोगों को दो साल की जेल व एक लाख रुपए के जुर्माने का प्रावधान है। तो वहीं अंचलाधिकारी राहुल कुमार ने लोगों को समझाते हुए कहा कि किसी भी नाबालिग की शादी करवाना या करना या किसी तरह से सहायता प्रदान करना गैर जमानतीय कानूनी अपराध है। नाबालिगों के विवाह से अधिकतर बच्चों के मानसिक विकास और साथ ही समाज पर बुरा प्रभाव पड़ता है। यह बात समझाने के बाद परिजन मान गए और विवाह को रोक दिया गया। उक्त टीम ने परिजनों से एक शपथ पत्र भरवाया, जिसमें उन्होंने इकरार किया कि अपनी बच्ची की शादी 18 वर्ष पूरा होने के बाद ही करेंगे। उक्त टीम में अंचलाधिकारी राहुल कुमार, संस्था के जिला परियोजना समन्वयक मोहम्मद मुजाहिद आलम, सामूदायिक सामाजिक कार्यकर्ता मोहम्मद जफर अंजुम, चाइल्ड हेल्पलाइन के जिला समन्वयक मनोज कुमार सिंह, सुपरवाइजर अब्दुल कय्यूम एवं स्थानीय जनप्रतिनिधि मौजूद थे।
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