शशि कोशी रोक्का, सारस न्यूज़, किशनगंज।
किशनगंज जिले सहित सीमांत क्षेत्र गलगलिया में आज गुरुवार को वट सावित्री पूजा महिलाओं द्वारा अपने पति की दीर्घायु के लिए किया गया। सीमावर्ती क्षेत्र होने से पड़ोसी राज्य बंगाल तथा पड़ोसी राष्ट्र नेपाल में भी इस व्रत को महिलाओं द्वारा नियम निष्ठा के साथ किया गया। निर्णयामृत इत्यादि ग्रंथों के अनुसार वट सावित्री व्रत पूजा ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष के अमावस्या पर करने का विधान है। इस दिन महिलाएँ अपने सुखद वैवाहिक जीवन की कामना से वटवृक्ष की पूजा-अर्चना कर व्रत करती हैं। वट सावित्री व्रत में ‘वट’ और ‘सावित्री’ दोनों का विशेष महत्व माना गया है। इस संसार में अनेक प्रकार के वृक्ष है उनमे से बरगद के पेड़ का भी विशेष महत्व है। शास्त्रानुसार – ‘वट मूले तोपवासा’ ऐसा कहा गया है। वट वृक्ष तो दीर्घायु और अमरत्व का प्रतीक है। पुराण के अनुसार बरगद में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों का निवास होता है।इस वृक्ष के नीचे बैठकर पूजन,व्रत कथा आदि सुनने से मनोवांक्षित फल की प्राप्ति शीघ्र ही होती है।वट वृक्ष अपनी विशालता तथा दीर्घायु के लिए लोक में प्रसिद्ध है। ऐसा लगता है कि सुहागन महिलाएं वटवृक्ष की पूजा यही समझकर करती है कि मेरे पति भी वट की तरह विशाल और दीर्घायु बने रहे। भक्ति में शक्ति को चरितार्थ करता हुआ ये बट सावित्री पूजा जहाँ एक ओर इतनी गर्मी और धुप में सभी बर्ती पूरी नियम निष्ठा से वर्त को करते देखि गई। भक्ति के सामने साड़ी बाधाओं को दूर कर क्षेत्र की महिलाएं इस पूजन पाठन में डूबी रही।