सारस न्यूज़, ठाकुरगंज।
ठाकुरगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पिछले 9 महीनों में कुत्ते के काटने के लगभग 983 मामले सामने आए हैं, जिसमें सिर्फ अक्टूबर महीने में 70 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं। इसके बावजूद, भारत सरकार के अवर सचिव द्वारा जारी पत्रांक 1069 दिनांक 06.08.2024 के बाद भी नगर विकास एवं आवास विभाग ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। ठाकुरगंज प्रखंड के ग्रामीण इलाकों और नगर पंचायत की गलियों में इन दिनों आवारा कुत्तों का आतंक बढ़ता जा रहा है, जिससे लोग अनजान गलियों से गुजरने में डर महसूस करने लगे हैं। ठाकुरगंज नगर पंचायत के कई वार्डों में दर्जनों लोग इन कुत्तों का शिकार हो चुके हैं।
कई गलियों में कुत्तों के डर से लोग सुबह और देर रात घर से बाहर निकलने से भी कतराने लगे हैं। ये आवारा कुत्ते कभी बच्चों पर हमला करते हैं, तो कभी वाहन चालकों को निशाना बनाते हैं। राजौरी में भी आवारा कुत्तों के आतंक के चलते लोगों ने गलियों में निकलना कम कर दिया है। ठाकुरगंज नगर में कई वर्षों से जंगली बंदरों का भी आतंक है, लेकिन प्रशासन अब तक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठा पाया है। ठाकुरगंज स्थित अस्पताल, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, प्रखंड मुख्यालय आदि सार्वजनिक स्थानों के आसपास भी आवारा कुत्तों के झुंड देखे जा सकते हैं।
स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, ठाकुरगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हर महीने 80 से अधिक मरीज कुत्ते के काटने से घायल होकर इलाज के लिए आते हैं। सिर्फ सितंबर महीने में कुत्ते के काटने से 88 मरीजों का इलाज किया गया। डॉक्टरों के मुताबिक, कुत्ते के काटने से रेबीज नामक जानलेवा बीमारी हो सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत में हर साल 1.7 करोड़ कुत्ते के काटने के मामले सामने आते हैं।
भारत सरकार के Ministry of Housing and Urban Affairs ने 25/07/2024 को National Commission for Protection of Child Rights (NCPCR) के संदर्भ में आवारा कुत्तों से बच्चों की सुरक्षा के लिए कार्रवाई की मांग की थी। हालांकि, नगर विकास एवं आवास विभाग, पटना, बिहार द्वारा अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। ठाकुरगंज नगर पंचायत के सूत्रों के अनुसार, पूर्व में एक कमेटी भी गठित की गई थी, लेकिन अब तक उस कमेटी ने कोई ठोस कार्य नहीं किया।