किशनगंज जिले में इस बार चुनावी माहौल के बीच गाँव–गाँव में “मतदान अवश्य करें” का संदेश लेकर जीविका दीदियाँ जन–जन तक पहुँच रही हैं। कहीं रंग–बिरंगी रंगोलियाँ बन रही हैं तो कहीं नारों की गूंज से गलियाँ जीवंत हो उठी हैं। मतदाता जागरूकता अभियान में जीविका दीदियों का जोश और समर्पण पूरे जिले में प्रेरणा का केंद्र बन गया है।
जीविका से जुड़ी स्वयं सहायता समूहों, ग्राम संगठनों और संकुल स्तरीय संघों की महिलाएँ अपने मताधिकार के महत्व को समझते हुए न सिर्फ स्वयं शपथ ले रही हैं, बल्कि दूसरों को भी प्रेरित कर रही हैं। सुबह गाँव की गलियों में नारों और गीतों के माध्यम से जागरूकता फैलाने के बाद शाम को ये दीदियाँ सामूहिक रूप से कैंडल मार्च निकाल रही हैं। इनकी इस सक्रियता से ग्रामीण क्षेत्रों में लोकतंत्र के इस उत्सव के प्रति नई ऊर्जा का संचार हो रहा है।
जीविका की जिला परियोजना प्रबंधक अनुराधा चंद्रा ने बताया कि जिन पंचायतों में पिछले चुनावों में मतदान प्रतिशत कम था, वहाँ इस बार जीविका दीदियाँ घर–घर जाकर मतदाताओं को मतदान के लिए प्रेरित कर रही हैं। लगभग 21,000 स्वयं सहायता समूहों में स्वीप कार्यक्रम के अंतर्गत मतदाता जागरूकता से जुड़े रचनात्मक आयोजन किए जा रहे हैं — जिनमें शपथ ग्रहण, रंगोली प्रतियोगिता, मेहंदी कार्यक्रम, कैंडल मार्च, मानव श्रृंखला और जनसंवाद जैसे प्रयास शामिल हैं।
प्रथम बार मतदान करने वाले युवाओं को विशेष रूप से जागरूक किया जा रहा है ताकि वे लोकतंत्र के इस पर्व में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें। जीविका दीदियों के सामूहिक प्रयास से गाँव–गाँव में मताधिकार के प्रति जागरूकता बढ़ रही है। ग्रामीणों का उत्साह भी देखने लायक है — वे दीदियों द्वारा बनाए गए स्लोगन, रंगोलियों और रचनात्मक संदेशों को गहराई से समझ रहे हैं।
जिले में इस जन–सहभागिता के कारण स्वीप कार्यक्रम को नई दिशा और मजबूती मिली है। यह अभियान न केवल मतदान प्रतिशत बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगा, बल्कि यह ग्रामीण समाज में महिला सशक्तिकरण और लोकतंत्र के प्रति नई चेतना का भी प्रतीक बन गया है।
सारस न्यूज़, किशनगंज।
किशनगंज जिले में इस बार चुनावी माहौल के बीच गाँव–गाँव में “मतदान अवश्य करें” का संदेश लेकर जीविका दीदियाँ जन–जन तक पहुँच रही हैं। कहीं रंग–बिरंगी रंगोलियाँ बन रही हैं तो कहीं नारों की गूंज से गलियाँ जीवंत हो उठी हैं। मतदाता जागरूकता अभियान में जीविका दीदियों का जोश और समर्पण पूरे जिले में प्रेरणा का केंद्र बन गया है।
जीविका से जुड़ी स्वयं सहायता समूहों, ग्राम संगठनों और संकुल स्तरीय संघों की महिलाएँ अपने मताधिकार के महत्व को समझते हुए न सिर्फ स्वयं शपथ ले रही हैं, बल्कि दूसरों को भी प्रेरित कर रही हैं। सुबह गाँव की गलियों में नारों और गीतों के माध्यम से जागरूकता फैलाने के बाद शाम को ये दीदियाँ सामूहिक रूप से कैंडल मार्च निकाल रही हैं। इनकी इस सक्रियता से ग्रामीण क्षेत्रों में लोकतंत्र के इस उत्सव के प्रति नई ऊर्जा का संचार हो रहा है।
जीविका की जिला परियोजना प्रबंधक अनुराधा चंद्रा ने बताया कि जिन पंचायतों में पिछले चुनावों में मतदान प्रतिशत कम था, वहाँ इस बार जीविका दीदियाँ घर–घर जाकर मतदाताओं को मतदान के लिए प्रेरित कर रही हैं। लगभग 21,000 स्वयं सहायता समूहों में स्वीप कार्यक्रम के अंतर्गत मतदाता जागरूकता से जुड़े रचनात्मक आयोजन किए जा रहे हैं — जिनमें शपथ ग्रहण, रंगोली प्रतियोगिता, मेहंदी कार्यक्रम, कैंडल मार्च, मानव श्रृंखला और जनसंवाद जैसे प्रयास शामिल हैं।
प्रथम बार मतदान करने वाले युवाओं को विशेष रूप से जागरूक किया जा रहा है ताकि वे लोकतंत्र के इस पर्व में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें। जीविका दीदियों के सामूहिक प्रयास से गाँव–गाँव में मताधिकार के प्रति जागरूकता बढ़ रही है। ग्रामीणों का उत्साह भी देखने लायक है — वे दीदियों द्वारा बनाए गए स्लोगन, रंगोलियों और रचनात्मक संदेशों को गहराई से समझ रहे हैं।
जिले में इस जन–सहभागिता के कारण स्वीप कार्यक्रम को नई दिशा और मजबूती मिली है। यह अभियान न केवल मतदान प्रतिशत बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगा, बल्कि यह ग्रामीण समाज में महिला सशक्तिकरण और लोकतंत्र के प्रति नई चेतना का भी प्रतीक बन गया है।
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