सदर के चकला पंचायत अंतर्गत सिंघिया सुल्तानपुर में एक 17 वर्षीय नाबालिक बच्चे की शादी सदर के मझिया गांव में एक नाबालिग बच्ची से तय हुई थी। गुप्त सूचना के आधार पर कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन की सहयोगी संस्था जन निर्माण केंद्र के जिला परियोजना समन्वयक मोहम्मद मुजाहिद आलम ने अनुमंडल पदाधिकारी सह बाल विवाह निषेध पदाधिकारी को देते हुए जिला बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक, बाल कल्याण समिति, महिला विकास निगम के नोडल पदाधिकारी, प्रखंड विकास पदाधिकारी, अंचलाधिकारी, एवं सदर थाना को इसकी लिखित सूचना दी। उक्त मामले को अनुमंडल पदाधिकारी लतीफूर रहमान ने गंभीरता से लेकर एक टीम गठित की जिसमें संबंधित पदाधिकारी को निर्देश देते हुए हो रही दोनो नाबालिक बच्चे की शादी को अभिलंब रोकने को कहा। उक्त टीम दलबल के साथ बच्चे के घर पहुंची। गांव में शादी की की तैयारिया चल रही थी। बारात 25 मई को जाने वाले थे। उससे पहले प्रशासन ने रोक दिया। संस्था के जिला परियोजना समन्वयक मोहम्मद मुजाहिद आलम ने परिजनों को बताया कि बाल विवाह एक कानून अपराध है। जिसमें विवाह में शामिल सभी लोगों को दो साल की जेल व एक लाख रुपए का जुर्माना का प्रावधान है। तो वही अंचलाधिकारी राहुल कुमार ने लोगो को समझते हुए कहा कि किसी भी नाबालिक की शादी करवाना या करना या किसी तरह से सहायता प्रदान करना गैर जमानतीय कानूनी अपराध है। नाबालिक कि विवाह से शिक्षा के अधिकार, बच्चे के विकास, मानसिक शक्ति और समाज पर बुरा प्रभाव पड़ता है। यह बात समझाने के बाद परिजनो के लोग मान गए और विवाह को रोक दिया गया। उक्त टीम ने परिजनों से एक शपथ पत्र भरवाया। जिसमें वह इकरार किया कि अपने बच्चे की शादी 18 वर्ष पूरा होने के बाद ही करेंगे। उक्त टीम में अंचलाधिकारी राहुल कुमार, संस्था के जिला परियोजना समन्वयक मोहम्मद मुजाहिद आलम, सामूदायिक सामाजिक कार्यकर्ता बिपिन बिहारी, ग्रामीण आवास पर्यवेक्षक राम प्यारे, एवं स्थानीय सरपंच मुज्तबा राही व जनप्रतिनिधि मौजूद थे।
सारस न्यूज़, किशनगंज।
सदर के चकला पंचायत अंतर्गत सिंघिया सुल्तानपुर में एक 17 वर्षीय नाबालिक बच्चे की शादी सदर के मझिया गांव में एक नाबालिग बच्ची से तय हुई थी। गुप्त सूचना के आधार पर कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन फाउंडेशन की सहयोगी संस्था जन निर्माण केंद्र के जिला परियोजना समन्वयक मोहम्मद मुजाहिद आलम ने अनुमंडल पदाधिकारी सह बाल विवाह निषेध पदाधिकारी को देते हुए जिला बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक, बाल कल्याण समिति, महिला विकास निगम के नोडल पदाधिकारी, प्रखंड विकास पदाधिकारी, अंचलाधिकारी, एवं सदर थाना को इसकी लिखित सूचना दी। उक्त मामले को अनुमंडल पदाधिकारी लतीफूर रहमान ने गंभीरता से लेकर एक टीम गठित की जिसमें संबंधित पदाधिकारी को निर्देश देते हुए हो रही दोनो नाबालिक बच्चे की शादी को अभिलंब रोकने को कहा। उक्त टीम दलबल के साथ बच्चे के घर पहुंची। गांव में शादी की की तैयारिया चल रही थी। बारात 25 मई को जाने वाले थे। उससे पहले प्रशासन ने रोक दिया। संस्था के जिला परियोजना समन्वयक मोहम्मद मुजाहिद आलम ने परिजनों को बताया कि बाल विवाह एक कानून अपराध है। जिसमें विवाह में शामिल सभी लोगों को दो साल की जेल व एक लाख रुपए का जुर्माना का प्रावधान है। तो वही अंचलाधिकारी राहुल कुमार ने लोगो को समझते हुए कहा कि किसी भी नाबालिक की शादी करवाना या करना या किसी तरह से सहायता प्रदान करना गैर जमानतीय कानूनी अपराध है। नाबालिक कि विवाह से शिक्षा के अधिकार, बच्चे के विकास, मानसिक शक्ति और समाज पर बुरा प्रभाव पड़ता है। यह बात समझाने के बाद परिजनो के लोग मान गए और विवाह को रोक दिया गया। उक्त टीम ने परिजनों से एक शपथ पत्र भरवाया। जिसमें वह इकरार किया कि अपने बच्चे की शादी 18 वर्ष पूरा होने के बाद ही करेंगे। उक्त टीम में अंचलाधिकारी राहुल कुमार, संस्था के जिला परियोजना समन्वयक मोहम्मद मुजाहिद आलम, सामूदायिक सामाजिक कार्यकर्ता बिपिन बिहारी, ग्रामीण आवास पर्यवेक्षक राम प्यारे, एवं स्थानीय सरपंच मुज्तबा राही व जनप्रतिनिधि मौजूद थे।
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