परिवार नियोजन को लेकर किशनगंज जिले ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है। कभी 19वें स्थान पर रहने वाला यह जिला अब बिहार में चौथे पायदान पर पहुँच चुका है। यह सफलता केवल आँकड़ों में सुधार भर नहीं है, बल्कि मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी, महिला सशक्तिकरण और सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में उठाया गया सशक्त कदम है।
सफलता के पीछे रणनीति और निगरानी
स्वास्थ्य विभाग की योजनाबद्ध रणनीति और निरंतर मॉनिटरिंग ने इस उपलब्धि की नींव रखी। पीएसआई इंडिया के सहयोग से उप-स्वास्थ्य केंद्रों पर विशेष ध्यान दिया गया और वहाँ परिवार नियोजन सेवाओं की रिपोर्टिंग को सुदृढ़ किया गया। प्रशिक्षण, फॉलो-अप और समय पर आंकड़े उपलब्ध कराने की व्यवस्था ने रिपोर्टिंग प्रणाली को मजबूत बनाया।
सिविल सर्जन डॉ. राजकुमार चौधरी ने कहा – “यह केवल स्वास्थ्य विभाग की उपलब्धि नहीं है, बल्कि आशा कार्यकर्ताओं और फैसिलिटेटर्स की मेहनत का परिणाम है। गाँव-गाँव जाकर सेवाएँ पहुँचाना और लोगों को जागरूक करना ही हमारी सफलता की असली कुंजी है।”
आशा कार्यकर्ताओं की अहम भूमिका
इस अभियान में आशा और आशा फैसिलिटेटर्स की भूमिका निर्णायक रही। उन्होंने घर-घर जाकर परिवारों को जागरूक किया, दंपतियों को परिवार नियोजन विकल्पों की जानकारी दी और सुविधाएँ उपलब्ध कराईं। उनके समर्पण से न केवल योजना की पहुँच बढ़ी बल्कि समाज में परिवार नियोजन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण भी विकसित हुआ।
जिलाधिकारी विशाल राज ने कहा – “किशनगंज का चौथे स्थान पर पहुँचना इस बात का प्रमाण है कि जब स्वास्थ्य विभाग, प्रशासन और समाज मिलकर काम करें तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है। आने वाले समय में हम पारदर्शी रिपोर्टिंग और व्यापक पहुँच पर और ज्यादा जोर देंगे।”
संस्थागत सहयोग का असर
इस सफलता में सहयोगी संस्था पीएसआई इंडिया का योगदान भी उल्लेखनीय रहा। तकनीकी सहयोग से लेकर रिपोर्टिंग प्रणाली को मजबूत बनाने तक, संस्था ने जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ किया। इसका परिणाम यह रहा कि परिवार नियोजन सेवाएँ केवल कागजों में नहीं रहीं बल्कि वास्तव में गाँव-गाँव तक पहुँचीं।
भविष्य की दिशा
किशनगंज का यह प्रदर्शन अब अन्य जिलों के लिए प्रेरणा बन गया है। जिले की स्वास्थ्य टीम, आशा कार्यकर्ताओं और सहयोगी संस्थाओं की सामूहिक मेहनत ने यह साबित कर दिया है कि सही योजना और टीम भावना से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि निरंतर निगरानी और व्यापक जागरूकता से आने वाले समय में मातृ-शिशु मृत्यु दर और कम होगी, महिलाओं को निर्णय लेने की स्वतंत्रता मिलेगी और सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण का नया रास्ता खुलेगा।
सारस न्यूज़, किशनगंज।
परिवार नियोजन को लेकर किशनगंज जिले ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है। कभी 19वें स्थान पर रहने वाला यह जिला अब बिहार में चौथे पायदान पर पहुँच चुका है। यह सफलता केवल आँकड़ों में सुधार भर नहीं है, बल्कि मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी, महिला सशक्तिकरण और सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में उठाया गया सशक्त कदम है।
सफलता के पीछे रणनीति और निगरानी
स्वास्थ्य विभाग की योजनाबद्ध रणनीति और निरंतर मॉनिटरिंग ने इस उपलब्धि की नींव रखी। पीएसआई इंडिया के सहयोग से उप-स्वास्थ्य केंद्रों पर विशेष ध्यान दिया गया और वहाँ परिवार नियोजन सेवाओं की रिपोर्टिंग को सुदृढ़ किया गया। प्रशिक्षण, फॉलो-अप और समय पर आंकड़े उपलब्ध कराने की व्यवस्था ने रिपोर्टिंग प्रणाली को मजबूत बनाया।
सिविल सर्जन डॉ. राजकुमार चौधरी ने कहा – “यह केवल स्वास्थ्य विभाग की उपलब्धि नहीं है, बल्कि आशा कार्यकर्ताओं और फैसिलिटेटर्स की मेहनत का परिणाम है। गाँव-गाँव जाकर सेवाएँ पहुँचाना और लोगों को जागरूक करना ही हमारी सफलता की असली कुंजी है।”
आशा कार्यकर्ताओं की अहम भूमिका
इस अभियान में आशा और आशा फैसिलिटेटर्स की भूमिका निर्णायक रही। उन्होंने घर-घर जाकर परिवारों को जागरूक किया, दंपतियों को परिवार नियोजन विकल्पों की जानकारी दी और सुविधाएँ उपलब्ध कराईं। उनके समर्पण से न केवल योजना की पहुँच बढ़ी बल्कि समाज में परिवार नियोजन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण भी विकसित हुआ।
जिलाधिकारी विशाल राज ने कहा – “किशनगंज का चौथे स्थान पर पहुँचना इस बात का प्रमाण है कि जब स्वास्थ्य विभाग, प्रशासन और समाज मिलकर काम करें तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है। आने वाले समय में हम पारदर्शी रिपोर्टिंग और व्यापक पहुँच पर और ज्यादा जोर देंगे।”
संस्थागत सहयोग का असर
इस सफलता में सहयोगी संस्था पीएसआई इंडिया का योगदान भी उल्लेखनीय रहा। तकनीकी सहयोग से लेकर रिपोर्टिंग प्रणाली को मजबूत बनाने तक, संस्था ने जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ किया। इसका परिणाम यह रहा कि परिवार नियोजन सेवाएँ केवल कागजों में नहीं रहीं बल्कि वास्तव में गाँव-गाँव तक पहुँचीं।
भविष्य की दिशा
किशनगंज का यह प्रदर्शन अब अन्य जिलों के लिए प्रेरणा बन गया है। जिले की स्वास्थ्य टीम, आशा कार्यकर्ताओं और सहयोगी संस्थाओं की सामूहिक मेहनत ने यह साबित कर दिया है कि सही योजना और टीम भावना से किसी भी लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि निरंतर निगरानी और व्यापक जागरूकता से आने वाले समय में मातृ-शिशु मृत्यु दर और कम होगी, महिलाओं को निर्णय लेने की स्वतंत्रता मिलेगी और सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण का नया रास्ता खुलेगा।
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