कुटीर उद्योग भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाते हैं, जो न केवल पारंपरिक शिल्प और स्थानीय हुनर को जीवित रखते हैं, बल्कि ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर भी पैदा करते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सरकार और निजी क्षेत्र मिलकर इस दिशा में ठोस कदम उठाएं, तो यह क्षेत्र आर्थिक आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा परिवर्तन ला सकता है।
किशनगंज जिला फिलहाल उद्योग और रोजगार के मामले में राज्य के पिछड़े जिलों में गिना जाता है। जिले के शहरी इलाकों को छोड़ दें तो सातों प्रखंडों में उद्योग-धंधों की स्थिति लगभग नगण्य है। इस कारण यहां के युवाओं को रोजगार के लिए दूसरे राज्यों की ओर पलायन करना पड़ता है।
स्थानीय उद्यमियों का कहना है कि यदि सरकार कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए प्रशिक्षण, वित्तीय सहयोग और विपणन की बेहतर सुविधा उपलब्ध कराए, तो किशनगंज भी उद्योग के मानचित्र पर अपनी पहचान बना सकता है।
विशेषज्ञों का सुझाव है कि स्थानीय उत्पादों — जैसे कि हस्तशिल्प, बांस एवं जूट से बने सामान, और पारंपरिक खाद्य उत्पादों — को प्रोत्साहन देकर उन्हें वैश्विक बाजार में पहुंचाने की दिशा में प्रयास किए जाने चाहिए। इससे न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी बल्कि युवाओं के लिए घर-परिवार के पास ही रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
कुल मिलाकर, कुटीर उद्योगों के विकास से किशनगंज की आर्थिक तस्वीर बदलने की पूरी संभावना है, जरूरत है तो केवल सही दिशा और सहयोग की।
सारस न्यूज, वेब डेस्क।
कुटीर उद्योग भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाते हैं, जो न केवल पारंपरिक शिल्प और स्थानीय हुनर को जीवित रखते हैं, बल्कि ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर भी पैदा करते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सरकार और निजी क्षेत्र मिलकर इस दिशा में ठोस कदम उठाएं, तो यह क्षेत्र आर्थिक आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा परिवर्तन ला सकता है।
किशनगंज जिला फिलहाल उद्योग और रोजगार के मामले में राज्य के पिछड़े जिलों में गिना जाता है। जिले के शहरी इलाकों को छोड़ दें तो सातों प्रखंडों में उद्योग-धंधों की स्थिति लगभग नगण्य है। इस कारण यहां के युवाओं को रोजगार के लिए दूसरे राज्यों की ओर पलायन करना पड़ता है।
स्थानीय उद्यमियों का कहना है कि यदि सरकार कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए प्रशिक्षण, वित्तीय सहयोग और विपणन की बेहतर सुविधा उपलब्ध कराए, तो किशनगंज भी उद्योग के मानचित्र पर अपनी पहचान बना सकता है।
विशेषज्ञों का सुझाव है कि स्थानीय उत्पादों — जैसे कि हस्तशिल्प, बांस एवं जूट से बने सामान, और पारंपरिक खाद्य उत्पादों — को प्रोत्साहन देकर उन्हें वैश्विक बाजार में पहुंचाने की दिशा में प्रयास किए जाने चाहिए। इससे न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी बल्कि युवाओं के लिए घर-परिवार के पास ही रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
कुल मिलाकर, कुटीर उद्योगों के विकास से किशनगंज की आर्थिक तस्वीर बदलने की पूरी संभावना है, जरूरत है तो केवल सही दिशा और सहयोग की।
Leave a Reply