महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार की पहल पर देशभर में बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीति को समाप्त करने के उद्देश्य से 27 नवंबर 2025 से 08 मार्च 2026 तक 100 दिवसीय गहन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इसी के तहत किशनगंज जिले में भी जिला प्रशासन द्वारा चरणबद्ध एवं सुनियोजित कार्ययोजना के अनुसार व्यापक अभियान की शुरुआत की गई है।
जिला पदाधिकारी किशनगंज के निर्देशन में जिले के सभी उच्च विद्यालयों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जहां छात्र-छात्राओं को बाल विवाह के दुष्परिणामों, कानूनी प्रावधानों और शिक्षा के महत्व की जानकारी दी जा रही है। प्रशासन का उद्देश्य है कि किशोर अवस्था में ही बच्चों को अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक किया जाए।
जिला पदाधिकारी ने बताया कि भारत में कानून के अनुसार लड़कियों के लिए विवाह की न्यूनतम आयु 18 वर्ष और लड़कों के लिए 21 वर्ष निर्धारित है। इसके बावजूद समाज के कुछ हिस्सों में आज भी बाल विवाह की घटनाएँ सामने आती हैं। बाल विवाह बच्चों के बचपन, शिक्षा और उज्ज्वल भविष्य पर गहरा आघात करता है। विशेष रूप से लड़कियों के लिए यह गंभीर शारीरिक, मानसिक और सामाजिक समस्याओं का कारण बनता है।
कम उम्र में विवाह से लड़कियों का शारीरिक और मानसिक विकास बाधित होता है, स्वास्थ्य संबंधी जटिलताएँ बढ़ती हैं और वे शिक्षा, आत्मनिर्भरता एवं अपने अधिकारों से वंचित रह जाती हैं। यह न केवल व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित करता है, बल्कि समाज की प्रगति में भी बाधक बनता है।
प्रशासन ने बताया कि बाल विवाह के पीछे अशिक्षा, गरीबी, सामाजिक दबाव और पुरानी रूढ़ियाँ प्रमुख कारण हैं। आवश्यकता इस बात की है कि समाज यह समझे कि वही परंपराएँ सार्थक हैं, जो बच्चों को सशक्त बनाएं और उन्हें आगे बढ़ने का अवसर दें।
भारत सरकार द्वारा बाल विवाह रोकने के लिए सख्त कानून बनाए गए हैं, लेकिन कानून के साथ-साथ सामाजिक जागरूकता भी उतनी ही आवश्यक है। जब तक समाज स्वयं आगे आकर इस कुप्रथा का विरोध नहीं करेगा, तब तक इसे पूरी तरह समाप्त करना संभव नहीं होगा।
जिला प्रशासन ने आमजन से अपील की है कि वे बाल विवाह के खिलाफ आवाज उठाएँ, बच्चों को शिक्षा से जोड़ें और अपने आसपास होने वाली ऐसी घटनाओं की जानकारी संबंधित विभागों को दें। सभी के सामूहिक प्रयास से ही बाल विवाह मुक्त समाज का निर्माण किया जा सकता है।
आइए, हम सब मिलकर यह संकल्प लें कि हम न केवल स्वयं बाल विवाह का विरोध करेंगे, बल्कि दूसरों को भी इसके दुष्परिणामों के प्रति जागरूक करेंगे और बच्चों को सुरक्षित, शिक्षित एवं सशक्त भविष्य प्रदान करेंगे।
सारस न्यूज़, किशनगंज।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, भारत सरकार की पहल पर देशभर में बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीति को समाप्त करने के उद्देश्य से 27 नवंबर 2025 से 08 मार्च 2026 तक 100 दिवसीय गहन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इसी के तहत किशनगंज जिले में भी जिला प्रशासन द्वारा चरणबद्ध एवं सुनियोजित कार्ययोजना के अनुसार व्यापक अभियान की शुरुआत की गई है।
जिला पदाधिकारी किशनगंज के निर्देशन में जिले के सभी उच्च विद्यालयों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जहां छात्र-छात्राओं को बाल विवाह के दुष्परिणामों, कानूनी प्रावधानों और शिक्षा के महत्व की जानकारी दी जा रही है। प्रशासन का उद्देश्य है कि किशोर अवस्था में ही बच्चों को अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक किया जाए।
जिला पदाधिकारी ने बताया कि भारत में कानून के अनुसार लड़कियों के लिए विवाह की न्यूनतम आयु 18 वर्ष और लड़कों के लिए 21 वर्ष निर्धारित है। इसके बावजूद समाज के कुछ हिस्सों में आज भी बाल विवाह की घटनाएँ सामने आती हैं। बाल विवाह बच्चों के बचपन, शिक्षा और उज्ज्वल भविष्य पर गहरा आघात करता है। विशेष रूप से लड़कियों के लिए यह गंभीर शारीरिक, मानसिक और सामाजिक समस्याओं का कारण बनता है।
कम उम्र में विवाह से लड़कियों का शारीरिक और मानसिक विकास बाधित होता है, स्वास्थ्य संबंधी जटिलताएँ बढ़ती हैं और वे शिक्षा, आत्मनिर्भरता एवं अपने अधिकारों से वंचित रह जाती हैं। यह न केवल व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित करता है, बल्कि समाज की प्रगति में भी बाधक बनता है।
प्रशासन ने बताया कि बाल विवाह के पीछे अशिक्षा, गरीबी, सामाजिक दबाव और पुरानी रूढ़ियाँ प्रमुख कारण हैं। आवश्यकता इस बात की है कि समाज यह समझे कि वही परंपराएँ सार्थक हैं, जो बच्चों को सशक्त बनाएं और उन्हें आगे बढ़ने का अवसर दें।
भारत सरकार द्वारा बाल विवाह रोकने के लिए सख्त कानून बनाए गए हैं, लेकिन कानून के साथ-साथ सामाजिक जागरूकता भी उतनी ही आवश्यक है। जब तक समाज स्वयं आगे आकर इस कुप्रथा का विरोध नहीं करेगा, तब तक इसे पूरी तरह समाप्त करना संभव नहीं होगा।
जिला प्रशासन ने आमजन से अपील की है कि वे बाल विवाह के खिलाफ आवाज उठाएँ, बच्चों को शिक्षा से जोड़ें और अपने आसपास होने वाली ऐसी घटनाओं की जानकारी संबंधित विभागों को दें। सभी के सामूहिक प्रयास से ही बाल विवाह मुक्त समाज का निर्माण किया जा सकता है।
आइए, हम सब मिलकर यह संकल्प लें कि हम न केवल स्वयं बाल विवाह का विरोध करेंगे, बल्कि दूसरों को भी इसके दुष्परिणामों के प्रति जागरूक करेंगे और बच्चों को सुरक्षित, शिक्षित एवं सशक्त भविष्य प्रदान करेंगे।