आईयूसीडी और पीपीआईयूसीडी से जुड़े मिथकों पर जागरूकता फैलाने के लिए प्रशिक्षण।
जिले में परिवार नियोजन कार्यक्रम को मजबूत बनाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इसी क्रम में स्वास्थ्य कर्मियों का समय-समय पर प्रशिक्षण कराया जा रहा है। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य महिलाओं को परिवार नियोजन संबंधी सेवाओं की जानकारी देकर उन्हें सुरक्षित गर्भनिरोधक उपाय अपनाने के लिए प्रेरित करना है। पीपीआईयूसीडी के माध्यम से बच्चों के बीच सुरक्षित अंतर रखने में सहायता मिलती है। यह एक प्रभावी और सुरक्षित गर्भनिरोधक तरीका है, जो अनचाहे गर्भ से बचने या दो बच्चों के बीच अंतर रखने में मदद करता है।
जिले के सदर अस्पताल में क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधन इकाई द्वारा पीपीआईयूसीडी के उपयोग और लाभों पर आधारित एक विशेष पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। इसमें जिले के छह प्रखंडों से 18 एएनएम (तीन-तीन एएनएम प्रति प्रखंड) को नेहा कौसर (सिस्टर ट्यूटर) और उषा कुमारी (ग्रेड ए नर्स) द्वारा आवासीय प्रशिक्षण दिया जा रहा है। आरपीएम कौसर इकबाल ने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य स्वास्थ्य कर्मियों, नर्सों और आशा कार्यकर्ताओं को गर्भनिरोधक उपायों पर प्रशिक्षित करना है ताकि वे समुदाय की महिलाओं को इन प्रभावी और सुरक्षित गर्भनिरोधक विधियों के प्रति जागरूक कर सकें।
आईयूसीडी और पीपीआईयूसीडी से जुड़े मिथकों पर जागरूकता
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि मातृ और शिशु स्वास्थ्य में सुधार के लिए यह प्रशिक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह प्रशिक्षण स्वास्थ्य कर्मियों को आईयूसीडी और पीपीआईयूसीडी जैसे आधुनिक गर्भनिरोधक साधनों के बारे में विस्तृत जानकारी देगा और उन्हें इनका सुरक्षित तरीके से उपयोग करने में सक्षम बनाएगा।
कार्यक्रम के अंतर्गत स्वास्थ्य कर्मियों को आईयूसीडी और पीपीआईयूसीडी के उपयोग की तकनीक, संभावित दुष्प्रभाव और इनसे जुड़े मिथकों पर जागरूकता फैलाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। साथ ही महिलाओं को प्रसव के तुरंत बाद पीपीआईयूसीडी लगाने के लाभों के बारे में भी जानकारी दी जाएगी, ताकि वे गर्भनिरोधक के प्रति अधिक जागरूक हो सकें।
पीपीआईयूसीडी और आईयूसीडी के लाभ
दीर्घकालिक गर्भनिरोधक समाधान: पीपीआईयूसीडी और आईयूसीडी दोनों ही महिलाओं को 5 से 10 वर्षों तक गर्भनिरोधक सुरक्षा प्रदान करते हैं। इससे बार-बार गर्भनिरोधक उपाय अपनाने की आवश्यकता नहीं होती।
प्रसव के बाद तुरंत उपयोग: पीपीआईयूसीडी को प्रसव के 48 घंटे के भीतर लगाया जा सकता है, जो महिलाओं के लिए बहुत सुविधाजनक है। इससे उन्हें नवजात शिशु की देखभाल के दौरान गर्भनिरोधक के बारे में अलग से चिंता नहीं करनी पड़ती।
कम दुष्प्रभाव: ये गैर-हार्मोनल गर्भनिरोधक होते हैं, जिससे वजन बढ़ना या मूड स्विंग्स जैसी समस्याएं नहीं होती हैं।
सुरक्षित और प्रभावी: यह एक अत्यधिक सुरक्षित और प्रभावी विधि है, जिसकी गर्भनिरोधक सफलता दर 99% से अधिक है। इसे एक बार लगाने के बाद अन्य किसी उपाय की आवश्यकता नहीं होती
आर्थिक रूप से सस्ता उपाय: एक बार लगाने के बाद यह लंबे समय तक काम करता है, जिससे यह अन्य अस्थायी गर्भनिरोधक साधनों की तुलना में सस्ता और किफायती साबित होता है।
स्वास्थ्य और परिवार नियोजन में महत्त्व
डीडीए सह प्रभारी डीक्यूएसी सुमन सिन्हा ने कहा कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य सिर्फ गर्भनिरोधक उपायों को बढ़ावा देना नहीं है, बल्कि महिलाओं को उनके स्वास्थ्य और परिवार नियोजन के प्रति जागरूक बनाना भी है। पीपीआईयूसीडी और आईयूसीडी के माध्यम से महिलाओं को अनचाहे गर्भधारण से बचने का एक स्थायी और सुरक्षित विकल्प मिलता है, जिससे उनके स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
प्रजनन स्वास्थ्य में सुधार के साथ-साथ, इस कार्यक्रम से मातृ और शिशु मृत्यु दर में कमी लाने की भी संभावना है। सही जानकारी और प्रशिक्षण के साथ, स्वास्थ्य कर्मी और आशा कार्यकर्ता इन गर्भनिरोधक उपायों को सफलतापूर्वक लागू कर सकते हैं, जिससे समाज में परिवार नियोजन को लेकर जागरूकता बढ़ेगी।
आरपीएम कौसर इकबाल ने कहा कि यह प्रशिक्षण स्वास्थ्य कर्मियों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि वे सीधे तौर पर महिलाओं और परिवारों से जुड़े होते हैं। इस प्रकार के कार्यक्रम से उन्हें तकनीकी जानकारी मिलेगी और वे समुदाय में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं को सुनिश्चित करने में भी अहम भूमिका निभा सकेंगे।
पीपीआईयूसीडी और आईयूसीडी के लाभों पर आधारित इस पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम से स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की उम्मीद की जा रही है। यह कार्यक्रम परिवार नियोजन और महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर एक सार्थक पहल है, जो महिलाओं को सुरक्षित, प्रभावी और किफायती गर्भनिरोधक उपायों को अपनाने में सहायता करेगा।
राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।
आईयूसीडी और पीपीआईयूसीडी से जुड़े मिथकों पर जागरूकता फैलाने के लिए प्रशिक्षण।
जिले में परिवार नियोजन कार्यक्रम को मजबूत बनाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इसी क्रम में स्वास्थ्य कर्मियों का समय-समय पर प्रशिक्षण कराया जा रहा है। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य महिलाओं को परिवार नियोजन संबंधी सेवाओं की जानकारी देकर उन्हें सुरक्षित गर्भनिरोधक उपाय अपनाने के लिए प्रेरित करना है। पीपीआईयूसीडी के माध्यम से बच्चों के बीच सुरक्षित अंतर रखने में सहायता मिलती है। यह एक प्रभावी और सुरक्षित गर्भनिरोधक तरीका है, जो अनचाहे गर्भ से बचने या दो बच्चों के बीच अंतर रखने में मदद करता है।
जिले के सदर अस्पताल में क्षेत्रीय कार्यक्रम प्रबंधन इकाई द्वारा पीपीआईयूसीडी के उपयोग और लाभों पर आधारित एक विशेष पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। इसमें जिले के छह प्रखंडों से 18 एएनएम (तीन-तीन एएनएम प्रति प्रखंड) को नेहा कौसर (सिस्टर ट्यूटर) और उषा कुमारी (ग्रेड ए नर्स) द्वारा आवासीय प्रशिक्षण दिया जा रहा है। आरपीएम कौसर इकबाल ने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य स्वास्थ्य कर्मियों, नर्सों और आशा कार्यकर्ताओं को गर्भनिरोधक उपायों पर प्रशिक्षित करना है ताकि वे समुदाय की महिलाओं को इन प्रभावी और सुरक्षित गर्भनिरोधक विधियों के प्रति जागरूक कर सकें।
आईयूसीडी और पीपीआईयूसीडी से जुड़े मिथकों पर जागरूकता
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि मातृ और शिशु स्वास्थ्य में सुधार के लिए यह प्रशिक्षण अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह प्रशिक्षण स्वास्थ्य कर्मियों को आईयूसीडी और पीपीआईयूसीडी जैसे आधुनिक गर्भनिरोधक साधनों के बारे में विस्तृत जानकारी देगा और उन्हें इनका सुरक्षित तरीके से उपयोग करने में सक्षम बनाएगा।
कार्यक्रम के अंतर्गत स्वास्थ्य कर्मियों को आईयूसीडी और पीपीआईयूसीडी के उपयोग की तकनीक, संभावित दुष्प्रभाव और इनसे जुड़े मिथकों पर जागरूकता फैलाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। साथ ही महिलाओं को प्रसव के तुरंत बाद पीपीआईयूसीडी लगाने के लाभों के बारे में भी जानकारी दी जाएगी, ताकि वे गर्भनिरोधक के प्रति अधिक जागरूक हो सकें।
पीपीआईयूसीडी और आईयूसीडी के लाभ
दीर्घकालिक गर्भनिरोधक समाधान: पीपीआईयूसीडी और आईयूसीडी दोनों ही महिलाओं को 5 से 10 वर्षों तक गर्भनिरोधक सुरक्षा प्रदान करते हैं। इससे बार-बार गर्भनिरोधक उपाय अपनाने की आवश्यकता नहीं होती।
प्रसव के बाद तुरंत उपयोग: पीपीआईयूसीडी को प्रसव के 48 घंटे के भीतर लगाया जा सकता है, जो महिलाओं के लिए बहुत सुविधाजनक है। इससे उन्हें नवजात शिशु की देखभाल के दौरान गर्भनिरोधक के बारे में अलग से चिंता नहीं करनी पड़ती।
कम दुष्प्रभाव: ये गैर-हार्मोनल गर्भनिरोधक होते हैं, जिससे वजन बढ़ना या मूड स्विंग्स जैसी समस्याएं नहीं होती हैं।
सुरक्षित और प्रभावी: यह एक अत्यधिक सुरक्षित और प्रभावी विधि है, जिसकी गर्भनिरोधक सफलता दर 99% से अधिक है। इसे एक बार लगाने के बाद अन्य किसी उपाय की आवश्यकता नहीं होती
आर्थिक रूप से सस्ता उपाय: एक बार लगाने के बाद यह लंबे समय तक काम करता है, जिससे यह अन्य अस्थायी गर्भनिरोधक साधनों की तुलना में सस्ता और किफायती साबित होता है।
स्वास्थ्य और परिवार नियोजन में महत्त्व
डीडीए सह प्रभारी डीक्यूएसी सुमन सिन्हा ने कहा कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य सिर्फ गर्भनिरोधक उपायों को बढ़ावा देना नहीं है, बल्कि महिलाओं को उनके स्वास्थ्य और परिवार नियोजन के प्रति जागरूक बनाना भी है। पीपीआईयूसीडी और आईयूसीडी के माध्यम से महिलाओं को अनचाहे गर्भधारण से बचने का एक स्थायी और सुरक्षित विकल्प मिलता है, जिससे उनके स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
प्रजनन स्वास्थ्य में सुधार के साथ-साथ, इस कार्यक्रम से मातृ और शिशु मृत्यु दर में कमी लाने की भी संभावना है। सही जानकारी और प्रशिक्षण के साथ, स्वास्थ्य कर्मी और आशा कार्यकर्ता इन गर्भनिरोधक उपायों को सफलतापूर्वक लागू कर सकते हैं, जिससे समाज में परिवार नियोजन को लेकर जागरूकता बढ़ेगी।
आरपीएम कौसर इकबाल ने कहा कि यह प्रशिक्षण स्वास्थ्य कर्मियों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि वे सीधे तौर पर महिलाओं और परिवारों से जुड़े होते हैं। इस प्रकार के कार्यक्रम से उन्हें तकनीकी जानकारी मिलेगी और वे समुदाय में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं को सुनिश्चित करने में भी अहम भूमिका निभा सकेंगे।
पीपीआईयूसीडी और आईयूसीडी के लाभों पर आधारित इस पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम से स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की उम्मीद की जा रही है। यह कार्यक्रम परिवार नियोजन और महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर एक सार्थक पहल है, जो महिलाओं को सुरक्षित, प्रभावी और किफायती गर्भनिरोधक उपायों को अपनाने में सहायता करेगा।
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