ठाकुरगंज प्रखंड के चुरली पंचायत में स्थित नया प्राथमिक विद्यालय भैंसलोटी का विद्यालय परिसर का नजारा कुछ अलग नजर आ रहा है। विद्यालय के प्रधान शिक्षक नीलेश भारती के कुशल नेतृत्व एवं बिहार की संस्कृति के प्रति उनकी सकारात्मक सोच ने स्कूल की दीवारों पर बिहार की मधुबनी पेंटिंग कर स्कूल परिसर को आकर्षक बनाया है। भारत – नेपाल सीमा के समीप स्थित उक्त विद्यालय में चित्रांकित मधुबनी पेंटिंग को अब इस गांव से गुजरने वाले राहगीर चाहे वो स्थानीय प्रखंडवासी हो या नेपाल के नागरिक, सभी राहगीर स्कूल परिसर को देखे बगैर नहीं गुजरते है। चुरली पंचायत के पिछड़े गांव भैंसलोटी में स्थित इस प्राथमिक विद्यालय में कक्षा 1 से 5वीं तक छात्र- छात्राएं पढ़ते हैं। स्कूल में 77 छात्र – छात्राओं को पढ़ाने के लिए 2 शिक्षक पदस्थापित हैं। स्कूल के प्रधान शिक्षक नीलेश भारती ने बताया कि स्कूल के छात्रों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत उन्होंने चित्रकला के माध्यम से छात्रों का कौशल विकास किया है। इससे छात्र भारतीय कला और संस्कृति से भी रूबरू हो रहे हैं। इसे और एक कदम बढ़ाते हुए स्कूली बच्चों की सृजनात्मक क्षमता एवं सौंदर्य बोध को जागृत करने की दृष्टि से तथा बिहार की संस्कृति की ओर ध्यान आकृष्ट कराने हेतु स्कूल को शिक्षा विभाग द्वारा प्राप्त विद्यालय विकास मद की राशि से स्कूल के दीवारों पर मधुबनी पेंटिंग का चित्रांकन कर सजाया गया है।
प्रधान शिक्षक नीलेश भारती ने बताया कि मधुबनी चित्रकला, जिसे मिथिला चित्रकला भी कहते हैं, बिहार की एक प्रमुख कला परंपरा है। यह चित्रकला मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा बनाई जाती है और इसमें प्राकृतिक रंगों का उपयोग किया जाता है। इस कला का आरंभ 1960 में मधुबनी जिले के एक साध्वी स्व. महासुन्दरी देवी के साथ हुआ था जिन्होंने रंगीन चित्रकला का परिचय दिया। इसके बाद से ही महिलाएं इस कला को अपनाने लगीं और आज यह कला पूरी दुनिया में मशहूर है।
वहीं गांव में सरकारी स्कूल की स्थापना के लिए वर्ष 2007 में कुल 13 डिसमिल भूमि दान देने वाले बुधारू सिंह ने बताया कि स्कूल के दीवारों पर मधुबनी पेंटिंग के हो जाने से विद्यालयों का शैक्षणिक माहौल में बदलाव आएगा। अब उनका स्कूल भी किसी निजी विद्यालय की तुलना में कम नही है। उन्होंने बताया कि दीवारों पर बनें पेटिंग्स से काफी कुछ सीखने को मिल रहा है। उन्होंने बताया कि प्रारंभ में गांव के बच्चें अपने अभिभावकों से जिद करती थीं कि किसी बड़े प्राइवेट स्कूल में उसका नामांकन करा दें। लेकिन अब काफी बदलाव हुआ है। यह स्कूल ही इतना सुंदर हो गया है कि यहां आने के बाद किसी बच्चे को दूसरे स्कूल में जाने का मन नहीं करेगा। स्कूल की छात्र – छात्राओं ने बताया कि स्कूल के दीवारों पर बने मधुबनी पेंटिंग चित्र के माध्यम से बिहार की संस्कृति से अवगत होने का अवसर प्राप्त हुआ है।
सारस न्यूज, किशनगंज।
ठाकुरगंज प्रखंड के चुरली पंचायत में स्थित नया प्राथमिक विद्यालय भैंसलोटी का विद्यालय परिसर का नजारा कुछ अलग नजर आ रहा है। विद्यालय के प्रधान शिक्षक नीलेश भारती के कुशल नेतृत्व एवं बिहार की संस्कृति के प्रति उनकी सकारात्मक सोच ने स्कूल की दीवारों पर बिहार की मधुबनी पेंटिंग कर स्कूल परिसर को आकर्षक बनाया है। भारत – नेपाल सीमा के समीप स्थित उक्त विद्यालय में चित्रांकित मधुबनी पेंटिंग को अब इस गांव से गुजरने वाले राहगीर चाहे वो स्थानीय प्रखंडवासी हो या नेपाल के नागरिक, सभी राहगीर स्कूल परिसर को देखे बगैर नहीं गुजरते है। चुरली पंचायत के पिछड़े गांव भैंसलोटी में स्थित इस प्राथमिक विद्यालय में कक्षा 1 से 5वीं तक छात्र- छात्राएं पढ़ते हैं। स्कूल में 77 छात्र – छात्राओं को पढ़ाने के लिए 2 शिक्षक पदस्थापित हैं। स्कूल के प्रधान शिक्षक नीलेश भारती ने बताया कि स्कूल के छात्रों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत उन्होंने चित्रकला के माध्यम से छात्रों का कौशल विकास किया है। इससे छात्र भारतीय कला और संस्कृति से भी रूबरू हो रहे हैं। इसे और एक कदम बढ़ाते हुए स्कूली बच्चों की सृजनात्मक क्षमता एवं सौंदर्य बोध को जागृत करने की दृष्टि से तथा बिहार की संस्कृति की ओर ध्यान आकृष्ट कराने हेतु स्कूल को शिक्षा विभाग द्वारा प्राप्त विद्यालय विकास मद की राशि से स्कूल के दीवारों पर मधुबनी पेंटिंग का चित्रांकन कर सजाया गया है।
प्रधान शिक्षक नीलेश भारती ने बताया कि मधुबनी चित्रकला, जिसे मिथिला चित्रकला भी कहते हैं, बिहार की एक प्रमुख कला परंपरा है। यह चित्रकला मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा बनाई जाती है और इसमें प्राकृतिक रंगों का उपयोग किया जाता है। इस कला का आरंभ 1960 में मधुबनी जिले के एक साध्वी स्व. महासुन्दरी देवी के साथ हुआ था जिन्होंने रंगीन चित्रकला का परिचय दिया। इसके बाद से ही महिलाएं इस कला को अपनाने लगीं और आज यह कला पूरी दुनिया में मशहूर है।
वहीं गांव में सरकारी स्कूल की स्थापना के लिए वर्ष 2007 में कुल 13 डिसमिल भूमि दान देने वाले बुधारू सिंह ने बताया कि स्कूल के दीवारों पर मधुबनी पेंटिंग के हो जाने से विद्यालयों का शैक्षणिक माहौल में बदलाव आएगा। अब उनका स्कूल भी किसी निजी विद्यालय की तुलना में कम नही है। उन्होंने बताया कि दीवारों पर बनें पेटिंग्स से काफी कुछ सीखने को मिल रहा है। उन्होंने बताया कि प्रारंभ में गांव के बच्चें अपने अभिभावकों से जिद करती थीं कि किसी बड़े प्राइवेट स्कूल में उसका नामांकन करा दें। लेकिन अब काफी बदलाव हुआ है। यह स्कूल ही इतना सुंदर हो गया है कि यहां आने के बाद किसी बच्चे को दूसरे स्कूल में जाने का मन नहीं करेगा। स्कूल की छात्र – छात्राओं ने बताया कि स्कूल के दीवारों पर बने मधुबनी पेंटिंग चित्र के माध्यम से बिहार की संस्कृति से अवगत होने का अवसर प्राप्त हुआ है।
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