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निजी अस्पतालों को एक मंच पर लाकर जिले में सुरक्षित मातृत्व सेवाएँ मजबूत करने की पहल।

राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।

संस्थागत प्रसव बढ़ाने की दिशा में बड़ा कदम

जागरूकता, डेटा सुधार और सेवा-गुणवत्ता—तीनों मोर्चों पर तय हुआ नया रोडमैप

जिले में मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर को कम करना प्रशासन की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल है। कई बार प्रसव के दौरान देरी, गलत रेफरल अथवा समय पर जानकारी उपलब्ध न होने के कारण गंभीर जटिलताएँ उत्पन्न हो जाती हैं। ऐसी स्थिति में निजी अस्पतालों को सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था से जोड़कर एक पारदर्शी, तेज़ और डेटा-आधारित स्वास्थ्य तंत्र विकसित करना अत्यंत आवश्यक है।
इसी उद्देश्य से आज जिले में एक महत्वपूर्ण कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें सभी निजी अस्पतालों को संस्थागत प्रसव को प्रोत्साहन देने, सुरक्षित डिलीवरी प्रोटोकॉल का पालन करने तथा HMIS पोर्टल पर नियमित और सटीक डेटा एंट्री की अनिवार्यता को लेकर विस्तृत प्रशिक्षण दिया गया।
इस पहल से न केवल जिले की मातृ-शिशु स्वास्थ्य सेवाएँ सुदृढ़ होंगी, बल्कि यह भी सुनिश्चित होगा कि किस अस्पताल में किस लाभार्थी का प्रसव हुआ, कौन गर्भवती महिला जोखिम की श्रेणी में है और किसे तत्काल रेफरल की आवश्यकता है—यह सभी जानकारियाँ वास्तविक समय में उपलब्ध हो सकेंगी।

हर गर्भवती तक सुरक्षित प्रसव सुविधा पहुँचे—यही लक्ष्य

जिलाधिकारी विशाल राज ने संस्थागत प्रसव को जिला प्रशासन की प्राथमिक चुनौती बताते हुए कहा कि हमारा उद्देश्य स्पष्ट है कि जिले की हर गर्भवती महिला तक सुरक्षित, गुणवत्तापूर्ण और समय पर प्रसव सुविधा पहुँचे। उन्होंने कहा कि निजी अस्पताल इस प्रयास के प्रमुख साझेदार हैं।
HMIS पोर्टल पर समयबद्ध डेटा एंट्री से यह तुरंत स्पष्ट हो जाता है कि किस क्षेत्र में त्वरित हस्तक्षेप की आवश्यकता है। इससे पारदर्शिता और जवाबदेही दोनों में वृद्धि होती है।
डीएम ने संस्थागत प्रसव को मातृ मृत्यु दर कम करने का सबसे प्रभावी साधन बताते हुए निजी अस्पतालों से सरकारी तंत्र के साथ बेहतर समन्वय स्थापित करने की अपील की।

निजी अस्पतालों की भागीदारी से जिले की मातृ स्वास्थ्य सेवाएँ होंगी और मजबूत

सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी ने बैठक के दौरान कहा कि निजी स्वास्थ्य संस्थानों को एक साझा प्लेटफॉर्म पर लाना समय की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, “संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने में निजी अस्पतालों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। HMIS पर सटीक डेटा मिलने से जिले की पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था अधिक सुव्यवस्थित ढंग से संचालित हो पाती है। हम चाहते हैं कि प्रत्येक निजी सुविधा सुरक्षित प्रसव प्रोटोकॉल, रेफरल प्रबंधन और आपातकालीन सेवाओं में मानक प्रक्रिया का पालन करे।”
उन्होंने सभी निजी अस्पतालों से डेटा की शुद्धता, त्वरित रिपोर्टिंग और गुणवत्ता-आधारित सेवा सुनिश्चित करने का आग्रह किया।

डेटा की सटीकता से निर्णय लेने की प्रक्रिया होगी तेज और प्रभावी

बैठक में सदर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ. अनवर हुसैन ने निजी अस्पतालों को HMIS पोर्टल की तकनीकी जानकारी, विभिन्न मॉड्यूल, प्रसव रिपोर्टिंग प्रक्रिया तथा जोखिमग्रस्त गर्भवती महिलाओं की पहचान प्रणाली का प्रशिक्षण दिया।
उन्होंने बताया कि दैनिक एंट्री से जिले की वास्तविक स्थिति तुरंत सामने आती है—कौन-सी सुविधा में अधिक प्रसव हो रहे हैं, कहाँ उच्च जोखिम के मामले बढ़ रहे हैं और कहाँ विशेष निगरानी की आवश्यकता है।
प्रतिभागियों को लाइव डेमो के माध्यम से ANC, PNC, डिलीवरी और रेफरल एंट्री का अभ्यास भी कराया गया।
डॉ. अनवर हुसैन ने बताया कि रेफरल में थोड़ी-सी देरी भी कभी-कभी गंभीर परिणाम ला सकती है। सरकारी और निजी संस्थानों के बीच नियमित डेटा-साझेदारी से जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था की प्रतिक्रिया क्षमता और अधिक मजबूत होगी।
कार्यशाला में शामिल निजी अस्पतालों ने जिला प्रशासन के साथ बेहतर समन्वय और HMIS रिपोर्टिंग प्रणाली को पूरी तरह अपनाने पर सहमति जताई। प्रतिभागियों ने इसे मातृ स्वास्थ्य सेवाओं को अधिक सुरक्षित और सुलभ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।

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