राज्य सरकार एवं पूर्णिया विश्वविद्यालय प्रशासन के निर्देशानुसार शुक्रवार को मारवाड़ी कॉलेज, किशनगंज में राष्ट्रीय गीत “वन्दे मातरम्” के 150 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में सामूहिक गायन कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधानाचार्य प्रो. (डॉ.) संजीव कुमार ने की। उन्होंने “वन्दे मातरम्” गीत की रचना और उसकी ऐतिहासिक महत्ता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह गीत बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित है तथा इसका प्रथम गायन वर्ष 1896 में रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा कांग्रेस अधिवेशन में किया गया था।
हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. (डॉ.) सजल प्रसाद ने कहा कि अंग्रेजों से भारत को स्वतंत्र कराने में “वन्दे मातरम्” गीत का योगदान अतुलनीय रहा है। यह गीत स्वतंत्रता संग्राम में युवाओं के लिए प्रेरणा, उत्साह और जोश का स्रोत बना। उन्होंने यह भी बताया कि आज भी देश की संसद में राष्ट्रगान “जन गण मन” के साथ राष्ट्रगीत “वन्दे मातरम्” का गायन अनिवार्य रूप से किया जाता है। प्रो. सजल प्रसाद ने स्वयं मंच से “वन्दे मातरम्” गीत का सस्वर गायन कर कार्यक्रम को भावनात्मक बना दिया।
स्नातक प्रथम सेमेस्टर की छात्रा नाजिस परवीन ने “वन्दे मातरम्” गीत के 150 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर विस्तार से अपने विचार रखे और स्वतंत्रता संग्राम की सफलता में इस गीत के महत्व को रेखांकित किया। छात्रा माया कुमारी ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम का संचालन राजनीति विज्ञान विभाग के संतोष कुमार ने किया। उन्होंने बताया कि “वन्दे मातरम्” गीत का प्रथम प्रकाशन 07 नवम्बर 1875 को “बंग दर्शन” पत्रिका में हुआ था। इसी उपलक्ष्य में 07 नवम्बर 2025 को इसके 150 वर्ष पूर्ण होने पर राज्य सरकार ने पूरे बिहार में सामूहिक गायन कार्यक्रम आयोजित करने का निर्देश दिया है।
कार्यक्रम में कुमार साकेत, डॉ. अश्विनी कुमार, डॉ. अनुज कुमार मिश्रा, डॉ. विजयेता दास, डॉ. उमा शंकर भारती, तथा डॉ. रमेश कुमार सिंह सहित कई प्राध्यापकगण उपस्थित रहे और सभी ने “वन्दे मातरम्” गीत के ऐतिहासिक महत्व पर अपने विचार साझा किए।
कार्यक्रम का समापन सामूहिक रूप से “वन्दे मातरम्” के गायन और भारत माता की जयघोष के साथ हुआ, जिससे पूरा परिसर देशभक्ति की भावना से गूंज उठा।
राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।
राज्य सरकार एवं पूर्णिया विश्वविद्यालय प्रशासन के निर्देशानुसार शुक्रवार को मारवाड़ी कॉलेज, किशनगंज में राष्ट्रीय गीत “वन्दे मातरम्” के 150 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में सामूहिक गायन कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधानाचार्य प्रो. (डॉ.) संजीव कुमार ने की। उन्होंने “वन्दे मातरम्” गीत की रचना और उसकी ऐतिहासिक महत्ता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह गीत बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित है तथा इसका प्रथम गायन वर्ष 1896 में रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा कांग्रेस अधिवेशन में किया गया था।
हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो. (डॉ.) सजल प्रसाद ने कहा कि अंग्रेजों से भारत को स्वतंत्र कराने में “वन्दे मातरम्” गीत का योगदान अतुलनीय रहा है। यह गीत स्वतंत्रता संग्राम में युवाओं के लिए प्रेरणा, उत्साह और जोश का स्रोत बना। उन्होंने यह भी बताया कि आज भी देश की संसद में राष्ट्रगान “जन गण मन” के साथ राष्ट्रगीत “वन्दे मातरम्” का गायन अनिवार्य रूप से किया जाता है। प्रो. सजल प्रसाद ने स्वयं मंच से “वन्दे मातरम्” गीत का सस्वर गायन कर कार्यक्रम को भावनात्मक बना दिया।
स्नातक प्रथम सेमेस्टर की छात्रा नाजिस परवीन ने “वन्दे मातरम्” गीत के 150 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर विस्तार से अपने विचार रखे और स्वतंत्रता संग्राम की सफलता में इस गीत के महत्व को रेखांकित किया। छात्रा माया कुमारी ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम का संचालन राजनीति विज्ञान विभाग के संतोष कुमार ने किया। उन्होंने बताया कि “वन्दे मातरम्” गीत का प्रथम प्रकाशन 07 नवम्बर 1875 को “बंग दर्शन” पत्रिका में हुआ था। इसी उपलक्ष्य में 07 नवम्बर 2025 को इसके 150 वर्ष पूर्ण होने पर राज्य सरकार ने पूरे बिहार में सामूहिक गायन कार्यक्रम आयोजित करने का निर्देश दिया है।
कार्यक्रम में कुमार साकेत, डॉ. अश्विनी कुमार, डॉ. अनुज कुमार मिश्रा, डॉ. विजयेता दास, डॉ. उमा शंकर भारती, तथा डॉ. रमेश कुमार सिंह सहित कई प्राध्यापकगण उपस्थित रहे और सभी ने “वन्दे मातरम्” गीत के ऐतिहासिक महत्व पर अपने विचार साझा किए।
कार्यक्रम का समापन सामूहिक रूप से “वन्दे मातरम्” के गायन और भारत माता की जयघोष के साथ हुआ, जिससे पूरा परिसर देशभक्ति की भावना से गूंज उठा।
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