जिला पदाधिकारी विशाल राज की अध्यक्षता में पीएम कुसुम (फीडर सोलराइजेशन योजना) से संबंधित बैठक कार्यालय कक्ष में आयोजित की गई।
बैठक में कार्यपालक अभियंता, विद्युत आपूर्ति प्रमंडल ने योजना की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि इस योजना के तहत राज्य के कृषि एवं मिश्रित (कृषि भार युक्त) फीडरों को सौर ऊर्जा से संचालित किया जाएगा। योजना के तहत विद्युत उपकेंद्रों के लगभग 5 किलोमीटर के दायरे में सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए जाएंगे। इसका मुख्य उद्देश्य किसानों की आय में वृद्धि और हरित ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा देना है।
योजना के अंतर्गत, भारत सरकार प्रति मेगावाट अधिकतम 1.05 करोड़ रुपए और बिहार सरकार 45 लाख रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान करेगी। यह सहायता कृषि फीडर के सौर ऊर्जावान क्षमता के आधार पर चरणबद्ध तरीके से नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा निर्धारित कार्यों की पूर्ति के उपरांत दी जाएगी।
निविदा प्रक्रिया: निविदा में भाग लेने के लिए आवेदकों को 590 रुपए निविदा प्रसंस्करण शुल्क, 11,800 रुपए निविदा शुल्क, और 1,00,000 रुपए प्रति मेगावाट अग्रिम धनराशि (बैंक गारंटी या डिमांड ड्राफ्ट) के रूप में जमा करनी होगी।
कार्य का दायरा:
उपकेंद्र से 5 किलोमीटर के दायरे में भूमि की पहचान और स्वामित्व/पट्टा का अधिकार सुनिश्चित करना।
भूमि पर सौर संयंत्र की स्थापना।
ट्रांसमिशन लाइन के माध्यम से संयंत्र को विद्युत उपकेंद्र से जोड़ना।
पात्रता मानदंड:
नेटवर्थ सकारात्मक होना चाहिए।
किसान/किसानों के समूह, सहकारिता पंचायत, किसान उत्पादक संगठन, जल उपभोक्ता संघ, या स्वयं सहायता समूह बिना किसी तकनीकी या वित्तीय मानदंड के भाग ले सकते हैं।
योजना का विवरण:
परियोजना की लागत: 5 करोड़ रुपए प्रति मेगावाट (भूमि और पारेषण सहित)।
पारेषण लाइन का खर्च: 5 लाख रुपए प्रति किलोमीटर।
सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना के लिए 4 एकड़ भूमि प्रति मेगावाट की आवश्यकता।
कार्य पूरा करने की समय सीमा: 12 महीने।
अनुबंध की अवधि: 25 वर्ष।
कुल वित्तीय सहायता: 1.5 करोड़ रुपए प्रति मेगावाट।
जिला पदाधिकारी ने निर्देश दिया कि इस योजना के लिए अधिकतम संख्या में आवेदन सुनिश्चित किए जाएं। उन्होंने कहा कि यदि यह योजना जिले में सफल होती है, तो इसे सोलर हब बनाने का प्रयास किया जाएगा।
बैठक में कार्यपालक अभियंता, विद्युत आपूर्ति प्रमंडल, निदेशक डीआरडीए, जीएम डीआईसी, एलडीएम, और अन्य जिला स्तरीय अधिकारी उपस्थित थे।
राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।
जिला पदाधिकारी विशाल राज की अध्यक्षता में पीएम कुसुम (फीडर सोलराइजेशन योजना) से संबंधित बैठक कार्यालय कक्ष में आयोजित की गई।
बैठक में कार्यपालक अभियंता, विद्युत आपूर्ति प्रमंडल ने योजना की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि इस योजना के तहत राज्य के कृषि एवं मिश्रित (कृषि भार युक्त) फीडरों को सौर ऊर्जा से संचालित किया जाएगा। योजना के तहत विद्युत उपकेंद्रों के लगभग 5 किलोमीटर के दायरे में सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए जाएंगे। इसका मुख्य उद्देश्य किसानों की आय में वृद्धि और हरित ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा देना है।
योजना के अंतर्गत, भारत सरकार प्रति मेगावाट अधिकतम 1.05 करोड़ रुपए और बिहार सरकार 45 लाख रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान करेगी। यह सहायता कृषि फीडर के सौर ऊर्जावान क्षमता के आधार पर चरणबद्ध तरीके से नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा निर्धारित कार्यों की पूर्ति के उपरांत दी जाएगी।
निविदा प्रक्रिया: निविदा में भाग लेने के लिए आवेदकों को 590 रुपए निविदा प्रसंस्करण शुल्क, 11,800 रुपए निविदा शुल्क, और 1,00,000 रुपए प्रति मेगावाट अग्रिम धनराशि (बैंक गारंटी या डिमांड ड्राफ्ट) के रूप में जमा करनी होगी।
कार्य का दायरा:
उपकेंद्र से 5 किलोमीटर के दायरे में भूमि की पहचान और स्वामित्व/पट्टा का अधिकार सुनिश्चित करना।
भूमि पर सौर संयंत्र की स्थापना।
ट्रांसमिशन लाइन के माध्यम से संयंत्र को विद्युत उपकेंद्र से जोड़ना।
पात्रता मानदंड:
नेटवर्थ सकारात्मक होना चाहिए।
किसान/किसानों के समूह, सहकारिता पंचायत, किसान उत्पादक संगठन, जल उपभोक्ता संघ, या स्वयं सहायता समूह बिना किसी तकनीकी या वित्तीय मानदंड के भाग ले सकते हैं।
योजना का विवरण:
परियोजना की लागत: 5 करोड़ रुपए प्रति मेगावाट (भूमि और पारेषण सहित)।
पारेषण लाइन का खर्च: 5 लाख रुपए प्रति किलोमीटर।
सौर ऊर्जा संयंत्र की स्थापना के लिए 4 एकड़ भूमि प्रति मेगावाट की आवश्यकता।
कार्य पूरा करने की समय सीमा: 12 महीने।
अनुबंध की अवधि: 25 वर्ष।
कुल वित्तीय सहायता: 1.5 करोड़ रुपए प्रति मेगावाट।
जिला पदाधिकारी ने निर्देश दिया कि इस योजना के लिए अधिकतम संख्या में आवेदन सुनिश्चित किए जाएं। उन्होंने कहा कि यदि यह योजना जिले में सफल होती है, तो इसे सोलर हब बनाने का प्रयास किया जाएगा।
बैठक में कार्यपालक अभियंता, विद्युत आपूर्ति प्रमंडल, निदेशक डीआरडीए, जीएम डीआईसी, एलडीएम, और अन्य जिला स्तरीय अधिकारी उपस्थित थे।
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