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फाइलेरिया मरीजों के बीच एमएमडीपी किट वितरित।

राहुल कुमार, सारस न्यूज, किशनगंज।

संक्रमित अंगों की देखरेख की दी गई जानकारी।

फाइलेरिया संक्रमित मरीजों को नियमित उपचार व रोग प्रबंधन से जुड़े उपाय अपनाने की जरूरत।

वेक्टर जनित रोगों में शामिल फाइलेरिया संक्रमित मरीजों को नियमित उपचार की जरूरत होती है। ताकि उचित तरीके से रोग का प्रबंधन संभव हो सके। संक्रमित अंगों का उन्हें विशेष ध्यान रखना होता है। साथ ही नियमित रूप से आवश्यक दवाओं का सेवन करना पड़ता है। इससे फाइलेरिया संक्रमण को ज्यादा गंभीर होने से रोका जा सकता है। इस बाबत मरीजों को जानकारी के उद्देश्य से जिले के कोचाधामन प्रखंड अंतर्गत फाइलेरिया मरीजों को एमएमडीपी किट वितरण सह जन जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ मंजर आलम की अगुआई में आयोजित कार्यक्रम में फाइलेरिया मरीजों को बचाव व संक्रमित अंगों के साफ-सफाई की विस्तार से जानकारी दी गई। इस दौरान उपस्थित 15 मरीजों के बीच एमएमडीपी किट का वितरण किया गया। जिसमें मगए तौलियाए साबुन सहित अन्य सामग्री शामिल है।

फाइलेरिया को शुरुआत में ही रोका जा सकता।

डीवीबीडीसीओ डॉ मंजर आलम ने कहा कि जिले में फाइलेरिया मरीजों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा निरूशुल्क दवा व चिकित्सकीय परामर्श उपलब्ध कराया जा रहा है। फाइलेरिया रोग संक्रमित मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है। शुरूआत में रोग की पहचान होने पर इसे रोका जा सकता है। संक्रमित होने के बाद मरीजों को प्रभावित अंगों की सफाई सहित अन्य बातों को समुचित ध्यान रखना जरूरी होता है। सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जा रही डीईसी व अल्बेंडाजोल की दवा का नियमित सेवन करना होता है। उन्होंने कहा कि फाइलेरिया मुख्यतः मनुष्य के शरीर के चार अंगों को प्रभावित करता है।

फाइलेरिया से ग्रसित अंग रखे साफ .सुथरा।

सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार ने बताया कि फाइलेरिया रोगियों को स्वउपचार किट उपलब्ध कराया गया है साथ ही प्रभावित अंगों की देखरेख से संबंधित आवश्यक जानकारी दी गयी संबंधित विभाग के मोइनुल हक चौधरी के द्वारा विस्तार से बताया गया है । जिसमे फाइलेरिया संक्रमित होने पर व्यक्ति को हर महीने एक.एक सप्ताह तक तेज बुखारए पैरों में दर्द जलन के साथ बेचैनी त्वचा में लालीपन की शिकायत होने लगती है। एक्यूट अटैक के समय मरीज को पैर को साधारण पानी में डुबाकर रखना चाहिए या भीगे हुए धोती या साड़ी को पैर में अच्छी तरह लपेटना चाहिएए इससे उन्हें काफी हद तक राहत मिलती है।

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