राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।
सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी के नेतृत्व में गहन मूल्यांकन, चिकित्सा पदाधिकारियों की पूर्ण भागीदारी
कोविड-19 के नए वैरिएंट LF-7 और NB-1.8.1 की आशंकाओं के बीच किशनगंज में बुधवार को ज़िला स्तरीय मॉक ड्रिल का आयोजन हुआ। इसका उद्देश्य था— संक्रमण की संभावित लहर से पहले स्वास्थ्य तंत्र की तत्परता और संसाधनों की उपलब्धता का गहन परीक्षण करना। यह अभ्यास सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी की निगरानी में सदर अस्पताल में संपन्न हुआ, जिसमें जिला कार्यक्रम प्रबंधक डॉ. मुनाजिम और उपाधीक्षक डॉ. अनवर हुसैन सहित सभी चिकित्सा पदाधिकारियों ने भाग लिया।
नई वैरिएंट्स पर WHO की नजर, सजगता ही सबसे बड़ा बचाव
सिविल सर्जन डॉ. चौधरी ने जानकारी दी कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने LF-7 और NB-1.8.1 को “वैरिएंट अंडर मॉनिटरिंग” की श्रेणी में रखा है। इनकी उच्च संक्रमण क्षमता और तीव्र लक्षणों को लेकर वैश्विक चिकित्सा समुदाय सतर्क है। ऐसे में सजगता, समय पर जांच और संसाधनों की उपलब्धता सबसे अहम है।
सरकारी दिशा-निर्देशों पर आधारित गहन मॉक ड्रिल
स्वास्थ्य विभाग, बिहार सरकार द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार मॉक ड्रिल में निम्न बिंदुओं को जांचा गया:
- ऑक्सीजन युक्त आइसोलेशन वार्ड: अस्पतालों में 5-बेड वाले आइसोलेशन वार्ड की व्यवस्था।
- जीवन रक्षक दवाएं और ऑक्सीजन कंसंट्रेटर: गंभीर मरीजों के लिए दवाएं और ऑक्सीजन उपकरण सुनिश्चित।
- सुरक्षा किट और हाइजीन सामग्री: PPE किट, मास्क, ग्लव्स और सैनिटाइज़र की समुचित आपूर्ति।
- RT-PCR और VTM किट्स: टेस्टिंग किट्स की पर्याप्त उपलब्धता।
- कोविड अनुरूप व्यवहार: स्टाफ द्वारा मास्क, हैंड हाइजीन और सोशल डिस्टेंसिंग का कड़ाई से पालन।
- IDSP/IHIP पोर्टल रिपोर्टिंग: हर गतिविधि की डिजिटल रिपोर्टिंग सुनिश्चित की गई।
सदर अस्पताल में व्यावहारिक परीक्षण: मरीज़ से लेकर दवा तक का परीक्षण
मॉक ड्रिल के दौरान एक नकली कोविड मरीज को अस्पताल में लाया गया और उसके इलाज की पूरी प्रक्रिया — स्क्रीनिंग से लेकर रेफरल तक — को व्यवहारिक रूप से लागू किया गया। सिविल सर्जन ने स्वयं लैब, वार्ड और फार्मेसी का निरीक्षण कर व्यवस्था की बारीकियों को परखा और स्टाफ की तत्परता की सराहना की।
प्रखंड स्तर तक विस्तारित हुआ अभ्यास
यह ड्रिल सिर्फ जिला मुख्यालय तक सीमित नहीं रही, बल्कि सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC), उप स्वास्थ्य केंद्र (HSC) और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) तक फैलाई गई। हर केंद्र को IHIP पोर्टल पर रिपोर्ट अपलोड करने का निर्देश दिया गया।
“यह अभ्यास नहीं, बचाव की नींव है” — सिविल सर्जन डॉ. चौधरी
कार्यक्रम के समापन पर डॉ. चौधरी ने कहा, “यह मॉक ड्रिल केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि हमारी तैयारियों की वास्तविक परीक्षा थी। कोविड का खतरा अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। हमें अस्पतालों के साथ-साथ आम लोगों को भी जागरूक बनाना होगा।” उन्होंने चिकित्सा पदाधिकारियों को 24×7 सतर्क रहने और राज्य स्तर पर आवश्यक सूचनाएं भेजने का निर्देश दिया।
निष्कर्ष: सजग प्रशासन, सशक्त तंत्र
किशनगंज की यह मॉक ड्रिल न केवल स्वास्थ्य ढांचे की मजबूती का प्रमाण बनी, बल्कि एक ऐसा मॉडल भी प्रस्तुत किया जिसे अन्य जिलों में अपनाया जा सकता है। प्रशासन और चिकित्सा विभाग की संयुक्त सक्रियता से यह अभ्यास एक सफल उदाहरण बनकर उभरा।
