“बायो-मेडिकल वेस्ट का उचित प्रबंधन: पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए वरदान”
भोपाल गैस त्रासदी के शहीदों की स्मृति में आयोजित राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस के अवसर पर किशनगंज के सदर अस्पताल प्रांगण में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने की और संचालन गैर संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. उर्मिला कुमारी ने किया। कार्यक्रम का उद्देश्य पर्यावरण प्रदूषण से संबंधित चुनौतियों और उनके समाधान के लिए जनसामान्य को जागरूक करना था।
“स्वच्छता और प्रबंधन से बनेगा प्रदूषण मुक्त समाज”
जिलाधिकारी विशाल राज ने कहा, “प्रदूषण नियंत्रण केवल सरकारी प्रयासों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सामूहिक जिम्मेदारी है। जैव चिकित्सा अपशिष्ट (बायो-मेडिकल वेस्ट) का सही प्रबंधन पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।” उन्होंने इस वर्ष की थीम “स्वच्छ पर्यावरण, स्वस्थ जीवन” को समाज को प्रदूषण नियंत्रण के प्रति जागरूक करने का एक सशक्त माध्यम बताया।
“संक्रमण रोकने के लिए कचरा प्रबंधन आवश्यक”
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने जिले के सरकारी और निजी स्वास्थ्य संस्थानों में बायो-मेडिकल वेस्ट के लिए बनाए गए कलेक्शन सेंटर की जानकारी दी। उन्होंने कहा, “कचरे का सटीक सेग्रिगेशन और सही निस्तारण संक्रमण को रोकने और पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।” उन्होंने अस्पतालों में लेबर रूम और ऑपरेशन थिएटर से उत्पन्न कचरे के प्रबंधन पर विशेष जोर दिया।
“हर नागरिक की भागीदारी जरूरी”
डॉ. उर्मिला कुमारी ने कहा कि प्रदूषण रोकने के लिए सामूहिक प्रयास और जागरूकता जरूरी है। उन्होंने ठोस, तरल, जैव चिकित्सा और ई-कचरे के प्रबंधन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा, “हम सभी को मिलकर स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सक्रिय होना चाहिए।”
प्रदूषण नियंत्रण के लिए सुझाए गए उपाय:
जैव चिकित्सा अपशिष्टों को कलर-कोडिंग के अनुसार अलग करना।
ठोस और तरल कचरे का पुन: उपयोग और पुनर्चक्रण।
शहरी क्षेत्रों में स्वच्छ विकास परियोजनाओं को बढ़ावा देना।
वाहनों के कार्बन उत्सर्जन को नियंत्रित करना।
भोपाल गैस त्रासदी: मानवता के लिए चेतावनी
कार्यक्रम में भोपाल गैस त्रासदी के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। जिलाधिकारी ने कहा, “यह त्रासदी हमें पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण को प्राथमिकता देने का महत्वपूर्ण संदेश देती है।” कार्यक्रम का समापन स्वच्छता और प्रदूषण मुक्त पर्यावरण की शपथ के साथ हुआ। सभी उपस्थित नागरिकों ने पर्यावरण संरक्षण के लिए अपने प्रयासों को तेज करने का संकल्प लिया। स्वच्छ पर्यावरण से ही स्वस्थ समाज संभव है। आइए, हम सब मिलकर प्रदूषण मुक्त भारत के निर्माण में अपना योगदान दें।
राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।
“बायो-मेडिकल वेस्ट का उचित प्रबंधन: पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए वरदान”
भोपाल गैस त्रासदी के शहीदों की स्मृति में आयोजित राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस के अवसर पर किशनगंज के सदर अस्पताल प्रांगण में जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने की और संचालन गैर संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. उर्मिला कुमारी ने किया। कार्यक्रम का उद्देश्य पर्यावरण प्रदूषण से संबंधित चुनौतियों और उनके समाधान के लिए जनसामान्य को जागरूक करना था।
“स्वच्छता और प्रबंधन से बनेगा प्रदूषण मुक्त समाज”
जिलाधिकारी विशाल राज ने कहा, “प्रदूषण नियंत्रण केवल सरकारी प्रयासों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सामूहिक जिम्मेदारी है। जैव चिकित्सा अपशिष्ट (बायो-मेडिकल वेस्ट) का सही प्रबंधन पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।” उन्होंने इस वर्ष की थीम “स्वच्छ पर्यावरण, स्वस्थ जीवन” को समाज को प्रदूषण नियंत्रण के प्रति जागरूक करने का एक सशक्त माध्यम बताया।
“संक्रमण रोकने के लिए कचरा प्रबंधन आवश्यक”
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने जिले के सरकारी और निजी स्वास्थ्य संस्थानों में बायो-मेडिकल वेस्ट के लिए बनाए गए कलेक्शन सेंटर की जानकारी दी। उन्होंने कहा, “कचरे का सटीक सेग्रिगेशन और सही निस्तारण संक्रमण को रोकने और पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।” उन्होंने अस्पतालों में लेबर रूम और ऑपरेशन थिएटर से उत्पन्न कचरे के प्रबंधन पर विशेष जोर दिया।
“हर नागरिक की भागीदारी जरूरी”
डॉ. उर्मिला कुमारी ने कहा कि प्रदूषण रोकने के लिए सामूहिक प्रयास और जागरूकता जरूरी है। उन्होंने ठोस, तरल, जैव चिकित्सा और ई-कचरे के प्रबंधन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा, “हम सभी को मिलकर स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सक्रिय होना चाहिए।”
प्रदूषण नियंत्रण के लिए सुझाए गए उपाय:
जैव चिकित्सा अपशिष्टों को कलर-कोडिंग के अनुसार अलग करना।
ठोस और तरल कचरे का पुन: उपयोग और पुनर्चक्रण।
शहरी क्षेत्रों में स्वच्छ विकास परियोजनाओं को बढ़ावा देना।
वाहनों के कार्बन उत्सर्जन को नियंत्रित करना।
भोपाल गैस त्रासदी: मानवता के लिए चेतावनी
कार्यक्रम में भोपाल गैस त्रासदी के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। जिलाधिकारी ने कहा, “यह त्रासदी हमें पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण को प्राथमिकता देने का महत्वपूर्ण संदेश देती है।” कार्यक्रम का समापन स्वच्छता और प्रदूषण मुक्त पर्यावरण की शपथ के साथ हुआ। सभी उपस्थित नागरिकों ने पर्यावरण संरक्षण के लिए अपने प्रयासों को तेज करने का संकल्प लिया। स्वच्छ पर्यावरण से ही स्वस्थ समाज संभव है। आइए, हम सब मिलकर प्रदूषण मुक्त भारत के निर्माण में अपना योगदान दें।