• Thu. Sep 11th, 2025

Saaras News - सारस न्यूज़ - चुन - चुन के हर खबर, ताकि आप न रहें बेखबर

अब न छुपेगा कालाजार, हर गांव से उठेगी इलाज की आवाज़।


राहुल कुमार, सारस न्यूज, किशनगंज।

कालाजार जैसी गंभीर बीमारी को जड़ से मिटाने के लिए सिर्फ दवा नहीं, जन-जागरूकता ही असली हथियार है। बीमारी जब तक छुपी रहती है, तब तक यह जानलेवा बनती है, लेकिन यदि समय पर पहचान हो जाए तो इसका इलाज पूरी तरह संभव है। भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे कालाजार उन्मूलन कार्यक्रम को सफल बनाने की दिशा में आज एक और अहम पहल की गई। इस अभियान की सफलता इसी में है कि छिपे हुए कालाजार रोगियों की जल्द पहचान कर उनका समय पर इलाज कराया जाए, ताकि संक्रमण को फैलने से रोका जा सके। इसी उद्देश्य से बहादुरगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में आज एक विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित हुआ, जिसमें सरकारी अधिकारियों से लेकर स्वयंसेवी संस्थाओं तक ने एक सुर में संकल्प लिया कि हर रोगी तक पहुँचेंगे, हर गांव को कालाजार मुक्त बनाएंगे। अब यह सिर्फ मिशन नहीं, जनआंदोलन बन चुका है।

कालाजार की रोकथाम में सामुदायिक भागीदारी का निर्णायक प्रयास
वीबीडीसीओ डॉ. मंजर आलम ने कहा कि भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही कालाजार उन्मूलन योजना के तहत 30 जून को दिघलबैंक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में केआई प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का मकसद था छिपे हुए कालाजार रोगियों की पहचान कर उन्हें समय पर इलाज से जोड़ना, जिससे संक्रमण की श्रृंखला को तोड़ा जा सके। प्रशिक्षण में डॉ. रिजवाना तबस्सुम, अजय, मोहम्मद नवाब, पिरामल फाउंडेशन से मोनिस, विश्वजीत और अमरदीप, तथा डब्लूएचओ से एफएम प्रतिनिधि सहित कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों एवं फील्ड कार्यकर्ताओं की सक्रिय भागीदारी रही।

रोग छुपे नहीं, इलाज जुड़े — यही है असली जीत
सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी ने बताया कि प्रशिक्षण कार्यक्रम में यह संदेश दिया गया कि कालाजार से डरने की नहीं, लड़ने की जरूरत है। जब तक समुदाय जागरूक नहीं होगा, तब तक बीमारी की जड़ें बनी रहेंगी। यह प्रशिक्षण स्थानीय स्वास्थ्यकर्मियों, सीएचओ, आशा कार्यकर्ताओं और स्वयंसेवकों को यह समझाने के लिए था कि वे कैसे संभावित रोगियों की पहचान कर उन्हें उपचार तक लाएं। कार्यक्रम की शुरुआत में कालाजार की गंभीरता, इसके लक्षण, उपचार की उपलब्ध सुविधाएं और इसे जड़ से मिटाने के लिए जागरूकता की आवश्यकता पर चर्चा की गई। यह बताया गया कि बिहार समेत खासकर सीमावर्ती जिलों में कालाजार लंबे समय से एक गंभीर स्वास्थ्य चुनौती बना रहा है, लेकिन सरकार की सतत पहल और जमीनी स्तर पर काम कर रहे स्वास्थ्यकर्मियों के सहयोग से अब इसे नियंत्रित करने की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति हुई है।

कालाजार पीड़ितों के लिए ये लाभ हैं उपलब्ध

  • निःशुल्क इलाज सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर उपलब्ध है।
  • ₹7100 तक की आर्थिक सहायता रोगियों को दी जाती है।
  • पोषण आहार योजना के तहत अतिरिक्त पोषण की व्यवस्था।
  • घर-घर दवा छिड़काव और निगरानी की सुविधा।
  • फॉलो-अप जांच के माध्यम से संक्रमण पर पूर्ण नियंत्रण।

प्रशिक्षण में निकला एक स्वर — कालाजार को कहो अलविदा
सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी ने कहा कि कालाजार से लड़ाई केवल स्वास्थ्य विभाग की नहीं, पूरे समाज की है। जब समुदाय जागरूक होता है, तब बीमारी को हार माननी ही पड़ती है। इस तरह के प्रशिक्षण इसी चेतना को मजबूती देते हैं। वहीं डॉ. मंजर आलम ने कहा कि समय पर पहचान और शीघ्र इलाज कालाजार उन्मूलन की कुंजी है। जब हम खुद जागरूक होते हैं, तभी दूसरों की रक्षा कर सकते हैं। यह प्रशिक्षण उस दिशा में एक मजबूत कदम है।

जन-जागरूकता और स्वास्थ्य सेवा की साझा ताकत से होगी कालाजार पर विजय
कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों ने संकल्प लिया कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में जाकर जागरूकता फैलाएंगे, संभावित मरीजों की पहचान करेंगे और उन्हें सरकारी इलाज से जोड़ेंगे। पिरामल और डब्लूएचओ के विशेषज्ञों ने भी फील्ड स्तर पर सहयोग देने का आश्वासन दिया। बहादुरगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में आयोजित यह प्रशिक्षण न केवल एक तकनीकी अभ्यास था, बल्कि यह एक भावनात्मक, मानवीय और सामाजिक संकल्प का प्रतीक बना। यह संदेश स्पष्ट है कि अगर हम सभी मिलकर जागरूक हों, तो कोई भी बीमारी, चाहे वह कालाजार ही क्यों न हो, हमारे समाज में टिक नहीं सकती।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *