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सैनिक स्कूल में एकदिवसीय शैक्षिक कार्यशाला आयोजित।

प्रतिस्पर्धा के दौर में लोक शिक्षा समिति द्वारा संचालित विद्या मंदिर वटवृक्ष के समान: डॉ. दिलीप जायसवाल

राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।

शहर के मोतीबाग स्थित सरस्वती विद्या मंदिर सैनिक स्कूल के सभागार में लोक शिक्षा समिति उत्तर बिहार के तत्वावधान में गुरुवार को एकदिवसीय शैक्षिक कार्यशाला का आयोजन किया गया।
प्रथम सत्र के उद्घाटन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि बिहार सरकार के उद्योग मंत्री एवं विद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष डॉ. दिलीप कुमार जायसवाल उपस्थित रहे। उन्होंने दीप प्रज्वलित कर प्रथम सत्र का विधिवत उद्घाटन किया।

मंच पर उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों में लोक शिक्षा समिति उत्तर बिहार के प्रांतीय सचिव रामलाल सिंह, प्रांतीय कोषाध्यक्ष रजनीश गुप्ता, मुजफ्फरपुर लॉ कॉलेज के व्याख्याता पंकज कुमार, तथा समारोह की अध्यक्षता कर रहे विद्यालय प्रबंधन समिति के उपाध्यक्ष एवं अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष शिशिर कुमार दास शामिल थे। मंत्री डॉ. जायसवाल का भव्य स्वागत किया गया।

अपने संबोधन में डॉ. दिलीप कुमार जायसवाल ने कहा कि प्रतिस्पर्धा के इस दौर में लोक शिक्षा समिति द्वारा संचालित विद्या मंदिर अब वटवृक्ष के समान विकसित हो चुका है, जिसकी शाखाएँ उत्तर बिहार सहित देश के विभिन्न प्रांतों में स्थापित हैं। यह भले ही गैर-सरकारी संगठन है, लेकिन अपने प्रगतिशील दृष्टिकोण और उत्कृष्टता के प्रति प्रतिबद्धता के कारण राष्ट्रीय स्तर पर भी मान्यता प्राप्त है।

उन्होंने कहा कि इस शैक्षिक कार्यशाला से जो सीख प्रतिभागियों को मिलेगी, उसे वे अपने-अपने क्षेत्रों के विद्यालयों तक पहुँचाकर एक एम्बेसडर की भूमिका निभाएँगे, क्योंकि सीखने की प्रक्रिया मानव जीवन का ताउम्र चलने वाला गुण है।
डॉ. जायसवाल ने आगे बताया कि बिहार में एनडीए सरकार गठन के बाद उच्च शिक्षा के विकास हेतु एक अलग मंत्रालय बनाने का निर्णय कैबिनेट की बैठक में लिया गया है, जिससे गुणवत्तापूर्ण और पारदर्शी शैक्षिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। अंत में उन्होंने विभिन्न जिलों से आए सभी विद्यालय प्रतिनिधियों को शुभकामनाएँ दीं।

वहीं, प्रांतीय सचिव रामलाल सिंह ने कहा कि परंपरा में मजबूत लोक शिक्षा समिति राज्य, राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय शैक्षणिक संस्थानों के बीच नेटवर्किंग के एक सशक्त मैट्रिक्स के रूप में विकसित हुई है। उन्होंने कहा कि शैक्षिक प्रशिक्षण का आधार बच्चे की मनोवैज्ञानिक आवश्यकताएँ होनी चाहिए। आजादी के पचास वर्ष बाद भी भारत की शिक्षा प्रणाली पश्चिमी मॉडल पर आधारित है, जबकि हिंदू दर्शन के अनुसार आध्यात्मिक उत्थान के बिना बच्चे का सर्वांगीण विकास संभव नहीं है।

इस अवसर पर विद्यालय प्राचार्य नागेन्द्र तिवारी ने मंचासीन अतिथियों का परिचय कराया और बताया कि कार्यशाला कुल चार सत्रों में आयोजित की जाएगी, जिनमें से प्रथम सत्र सफलतापूर्वक संपन्न हो चुका है।
समारोह की अध्यक्षता कर रहे उपाध्यक्ष शिशिर कुमार दास ने सभी आमंत्रित अतिथियों एवं आचार्यों के प्रति आभार व्यक्त किया।

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