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प्रखंडों में गैर-संचारी रोगों पर एक दिवसीय उन्मुखीकरण सह प्रशिक्षण का आयोजन।

जागरूकता के साथ एनसीडी रोकथाम की ओर एक महत्वपूर्ण कदम

राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।

आज के दौर में जहाँ चिकित्सा जगत संक्रामक रोगों पर विजय पाने में काफी हद तक सफल हो चुका है, वहीं एक नई चुनौती हमारे स्वास्थ्य के लिए उभर रही है – गैर-संचारी रोग। यह एक ऐसा संकट है जो किसी व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता, परन्तु हमारी जीवनशैली, आदतों और अनदेखी के कारण कई गंभीर बीमारियों के रूप में सामने आता है। उच्च रक्तचाप, मधुमेह, हृदय रोग, और कैंसर जैसे रोगों ने समाज में एक स्थायी स्थान बना लिया है, जिनका प्रभाव हर उम्र के व्यक्ति पर दिखाई देता है। इसी को ध्यान में रखते हुए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, कोचाधामन में गैर-संचारी रोगों की रोकथाम, पहचान, और प्रबंधन के लिए एक दिवसीय उन्मुखीकरण सह प्रशिक्षण का आयोजन किया गया।

इस प्रशिक्षण में बहादुरगंज से जिले के गैर-संचारी रोग पदाधिकारी, जिला अनुश्रवण एवं मूल्यांकन पदाधिकारी, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, और प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक की महत्वपूर्ण भूमिका रही। सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने गैर-संचारी रोगों के प्रभाव को रोकने और समाज में जागरूकता बढ़ाने पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता को रेखांकित किया।

कार्यक्रम में गैर-संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. उर्मिला कुमारी ने बताया कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य था कि स्वास्थ्य कर्मी इन रोगों से जुड़े मुद्दों को गहराई से समझ सकें और स्थानीय स्तर पर रोगियों की समय रहते पहचान करके उन्हें उचित उपचार प्रदान कर सकें। सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी और डाटा ऑपरेटरों ने भाग लिया और उच्च रक्तचाप, मधुमेह, हृदय रोग, और कैंसर आदि की रोकथाम एवं उपचार के तरीकों पर चर्चा की।

गैर-संचारी रोगों की गंभीरता और रोकथाम के उपाय

डॉ. उर्मिला कुमारी ने बताया कि गैर-संचारी रोग, जिन्हें आमतौर पर NCD कहा जाता है, वे बीमारियाँ हैं जो व्यक्ति से व्यक्ति में नहीं फैलतीं। मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, और कैंसर जैसे दीर्घकालिक रोग जीवनशैली से जुड़ी आदतों के कारण बढ़ रहे हैं और एक प्रमुख स्वास्थ्य चुनौती बन चुके हैं। सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि जागरूकता और समय पर इलाज के माध्यम से इन बीमारियों के जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसे रोग, समय रहते नियंत्रित न किए जाने पर, व्यक्ति की जीवनशैली और कार्यक्षमता पर गहरा असर डाल सकते हैं।

उन्होंने अस्वास्थ्यकर भोजन, धूम्रपान, अल्कोहल का सेवन, और शारीरिक गतिविधियों की कमी जैसे कारणों को इन बीमारियों के प्रमुख कारक बताया और NCD की रोकथाम के लिए नियमित स्वास्थ्य जांच, संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, और तंबाकू व अल्कोहल से दूरी बनाए रखने की सलाह दी।

प्रशिक्षण के माध्यम से जागरूकता का संचार

डॉ. उर्मिला कुमारी ने बताया कि प्रशिक्षण में CHO और डाटा ऑपरेटरों को गैर-संचारी रोगों से जुड़े आंकड़ों का विश्लेषण करने, सही जानकारी एकत्रित करने, और रोगियों को नियमित रूप से फॉलोअप करने की विधियाँ सिखाई गईं। सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि जागरूकता की कमी के कारण NCD से पीड़ित कई लोग सही समय पर इलाज नहीं कर पाते, जिससे उनके स्वास्थ्य में जटिलताएं उत्पन्न हो जाती हैं। इसलिए, इस प्रशिक्षण का उद्देश्य था कि स्वास्थ्यकर्मी जागरूकता का प्रसार करें और NCD के बारे में समाज को शिक्षित करें ताकि लोग जीवनशैली में बदलाव कर इन रोगों से सुरक्षित रह सकें।

सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों की भूमिका पर विशेष जोर

सिविल सर्जन ने जिले के सभी सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों से आग्रह किया कि वे अपने क्षेत्र में जाकर लोगों को गैर-संचारी रोगों से जुड़े जोखिम और इसके बचाव के बारे में जागरूक करें। उन्होंने कहा कि नियमित स्वास्थ्य परीक्षण और जीवनशैली में सुधार ही इस समस्या का समाधान है। इस कार्यक्रम से सभी स्वास्थ्यकर्मी एनसीडी कार्यक्रम के प्रति अधिक प्रतिबद्ध हुए और लोगों तक सही संदेश पहुंचाने के लिए प्रेरित हुए। इस कार्यक्रम के माध्यम से गैर-संचारी रोगों के बारे में जानकारी साझा करना और उनके प्रभाव को कम करने के उपाय बताना एक सकारात्मक कदम है, जो समाज को एक स्वस्थ भविष्य की ओर अग्रसर करेगा।

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