जिसके बिना असंभव है सृष्टि का संवरना, जिसके बिना असंभव हैं जीवन का निखरना। जिसके बिना अधूरा है जीवन का हर राग, जिसके दम पर ही तो है हर जीवन में अनुराग।
जो जन्म से ले मरते दम तक,आशीष अपना देती है, पांव तले बिछा आंचल जो,सारे दुःख हर लेती है। जो हँसते देख कर हँसती हमको, रोता देख कर रोती है, जरा कष्ट में देख हमें,अपना सुख चैन वो खोती है।
उंगली थाम चलना सिखलाती, होठों से अपने बोली, कदम मिला कर चलती हर दम,जैसे दो हमजोली। बच्चों के प्रीत से रंगी हुई है, माँ के दिल की हर रंगोली, बच्चों की खुशियाँ दिवाली है, बच्चों की बोली होली।
मां के चरणों में स्वर्ग यहां, आंचल में भोर सुहानी, मा का दूध लहू बन कर देता जीवन को रवानी। जिसके बिना अधूरी है जीवन की हर कहानी, हर जीवन का वजूद यहां उसकी “मां”की निशानी।
सभी मातृ शक्तियों को समर्पित
बिंदु अग्रवाल, किशनगंज बिहार
सारस न्यूज़, वेब डेस्क।
जिसके बिना असंभव है सृष्टि का संवरना, जिसके बिना असंभव हैं जीवन का निखरना। जिसके बिना अधूरा है जीवन का हर राग, जिसके दम पर ही तो है हर जीवन में अनुराग।
जो जन्म से ले मरते दम तक,आशीष अपना देती है, पांव तले बिछा आंचल जो,सारे दुःख हर लेती है। जो हँसते देख कर हँसती हमको, रोता देख कर रोती है, जरा कष्ट में देख हमें,अपना सुख चैन वो खोती है।
उंगली थाम चलना सिखलाती, होठों से अपने बोली, कदम मिला कर चलती हर दम,जैसे दो हमजोली। बच्चों के प्रीत से रंगी हुई है, माँ के दिल की हर रंगोली, बच्चों की खुशियाँ दिवाली है, बच्चों की बोली होली।
मां के चरणों में स्वर्ग यहां, आंचल में भोर सुहानी, मा का दूध लहू बन कर देता जीवन को रवानी। जिसके बिना अधूरी है जीवन की हर कहानी, हर जीवन का वजूद यहां उसकी “मां”की निशानी।
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