जिला प्रशासन की पहल पर जेंडर आधारित हिंसा के विरुद्ध 16 दिवसीय एवं 100 दिवसीय बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के तहत शनिवार को समाहरणालय स्थित DRDA भवन में कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा को लेकर POSH (Prevention of Sexual Harassment) कानून पर एक विशेष उन्मुखीकरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का उद्घाटन DRDA निदेशक, श्रम अधीक्षक, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (ICDS) तथा बहादुरगंज, दिघलबैंक, ठाकुरगंज एवं टेढ़ागाछ के बाल विकास परियोजना पदाधिकारियों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। इस मौके पर उपस्थित सभी पदाधिकारियों ने कार्यस्थल पर महिलाओं की भागीदारी, सम्मान एवं सुरक्षा को लेकर अपने विचार साझा किए।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता जिला मिशन समन्वयक शहबाज आलम ने POSH अधिनियम, 2013 की विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि यह कानून महिलाओं को यौन उत्पीड़न से बचाने के लिए बनाया गया है। इसका उद्देश्य कार्यस्थलों पर सुरक्षित, गरिमापूर्ण और लैंगिक-संवेदनशील वातावरण तैयार करना है। उन्होंने कहा कि यह अधिनियम विशाखा दिशा-निर्देश (1997) के आधार पर बनाया गया है, जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने लागू करने का निर्देश दिया था।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि POSH कानून के तहत शारीरिक, मौखिक, लिखित, इशारों या किसी भी प्रकार का अशोभनीय व्यवहार यौन उत्पीड़न की श्रेणी में आता है। यह कानून सरकारी व निजी कार्यालयों, शिक्षण संस्थानों, अस्पतालों, फैक्ट्रियों, दुकानों, एनजीओ, प्रशिक्षण संस्थानों, वाहनों एवं सभी प्रकार के कार्यस्थलों पर लागू होता है।
कार्यक्रम में यह भी बताया गया कि POSH अधिनियम केवल शिकायत के बाद कार्रवाई तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य ऐसे मामलों की रोकथाम करना भी है। हर नियोक्ता और कर्मचारी की जिम्मेदारी है कि वे इस कानून का पालन करें और महिलाओं के लिए सुरक्षित कार्य वातावरण सुनिश्चित करें।
इस मौके पर वन स्टॉप सेंटर की प्रशासक रोशनी परवीन, पारा लीगल पर्सनल पवन कुमार, जीएस सुशील कुमार झा, लेखा सहायक बसंत कुमार, सी-बॉक्स पर पंजीकृत जिले के सभी संस्थान के प्रबंधक एवं संचालक, जिले की महिला पर्यवेक्षिकाएं, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी तथा सभी प्रखंडों की एएनएम बड़ी संख्या में उपस्थित रहीं।
सारस न्यूज़, किशनगंज।
जिला प्रशासन की पहल पर जेंडर आधारित हिंसा के विरुद्ध 16 दिवसीय एवं 100 दिवसीय बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के तहत शनिवार को समाहरणालय स्थित DRDA भवन में कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा को लेकर POSH (Prevention of Sexual Harassment) कानून पर एक विशेष उन्मुखीकरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का उद्घाटन DRDA निदेशक, श्रम अधीक्षक, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (ICDS) तथा बहादुरगंज, दिघलबैंक, ठाकुरगंज एवं टेढ़ागाछ के बाल विकास परियोजना पदाधिकारियों ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। इस मौके पर उपस्थित सभी पदाधिकारियों ने कार्यस्थल पर महिलाओं की भागीदारी, सम्मान एवं सुरक्षा को लेकर अपने विचार साझा किए।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता जिला मिशन समन्वयक शहबाज आलम ने POSH अधिनियम, 2013 की विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि यह कानून महिलाओं को यौन उत्पीड़न से बचाने के लिए बनाया गया है। इसका उद्देश्य कार्यस्थलों पर सुरक्षित, गरिमापूर्ण और लैंगिक-संवेदनशील वातावरण तैयार करना है। उन्होंने कहा कि यह अधिनियम विशाखा दिशा-निर्देश (1997) के आधार पर बनाया गया है, जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने लागू करने का निर्देश दिया था।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि POSH कानून के तहत शारीरिक, मौखिक, लिखित, इशारों या किसी भी प्रकार का अशोभनीय व्यवहार यौन उत्पीड़न की श्रेणी में आता है। यह कानून सरकारी व निजी कार्यालयों, शिक्षण संस्थानों, अस्पतालों, फैक्ट्रियों, दुकानों, एनजीओ, प्रशिक्षण संस्थानों, वाहनों एवं सभी प्रकार के कार्यस्थलों पर लागू होता है।
कार्यक्रम में यह भी बताया गया कि POSH अधिनियम केवल शिकायत के बाद कार्रवाई तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य ऐसे मामलों की रोकथाम करना भी है। हर नियोक्ता और कर्मचारी की जिम्मेदारी है कि वे इस कानून का पालन करें और महिलाओं के लिए सुरक्षित कार्य वातावरण सुनिश्चित करें।
इस मौके पर वन स्टॉप सेंटर की प्रशासक रोशनी परवीन, पारा लीगल पर्सनल पवन कुमार, जीएस सुशील कुमार झा, लेखा सहायक बसंत कुमार, सी-बॉक्स पर पंजीकृत जिले के सभी संस्थान के प्रबंधक एवं संचालक, जिले की महिला पर्यवेक्षिकाएं, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी तथा सभी प्रखंडों की एएनएम बड़ी संख्या में उपस्थित रहीं।