नगर पंचायत पौआखाली समेत आसपास के क्षेत्रों में मंगलवार को हरितालिका तीज का पावन पर्व श्रद्धा, भक्ति और उत्साह के साथ मनाया गया। इस पारंपरिक पर्व पर सुहागिन महिलाओं ने अपने पति की लंबी उम्र, सुखी वैवाहिक जीवन और अखंड सौभाग्य की कामना को लेकर पूरे दिन निर्जला और निराहार व्रत रखा।
महिलाओं ने व्रत के दौरान विशेष रूप से भगवान शिव और माता पार्वती की विधिवत पूजा-अर्चना की। पूजा के लिए शुभ मुहूर्त की प्रतीक्षा के बाद सुहागिनों ने पारंपरिक विधियों से व्रत की पूजा पूरी की और भगवान भोलेनाथ से अपने वैवाहिक जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्रार्थना की।
पंडित अंजनी पाठक ने बताया कि हर वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरितालिका तीज का व्रत रखा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन माता पार्वती ने कठोर तपस्या कर भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया था। तभी से यह पर्व सुहागिनों के लिए विशेष महत्व रखता है।
पर्व को लेकर महिलाओं में खासा उत्साह देखा गया। कई जगहों पर सामूहिक रूप से व्रत रखा गया और पूजा कार्यक्रमों का आयोजन भी किया गया। पारंपरिक वेशभूषा में सजी महिलाओं ने गीत-संगीत के माध्यम से भी इस पर्व की महत्ता को साझा किया।
हरितालिका तीज न केवल धार्मिक भावनाओं से जुड़ा पर्व है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति में नारी सशक्तिकरण और पारिवारिक मूल्यों के संरक्षण का प्रतीक भी है।
सारस न्यूज, वेब डेस्क।
नगर पंचायत पौआखाली समेत आसपास के क्षेत्रों में मंगलवार को हरितालिका तीज का पावन पर्व श्रद्धा, भक्ति और उत्साह के साथ मनाया गया। इस पारंपरिक पर्व पर सुहागिन महिलाओं ने अपने पति की लंबी उम्र, सुखी वैवाहिक जीवन और अखंड सौभाग्य की कामना को लेकर पूरे दिन निर्जला और निराहार व्रत रखा।
महिलाओं ने व्रत के दौरान विशेष रूप से भगवान शिव और माता पार्वती की विधिवत पूजा-अर्चना की। पूजा के लिए शुभ मुहूर्त की प्रतीक्षा के बाद सुहागिनों ने पारंपरिक विधियों से व्रत की पूजा पूरी की और भगवान भोलेनाथ से अपने वैवाहिक जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्रार्थना की।
पंडित अंजनी पाठक ने बताया कि हर वर्ष भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरितालिका तीज का व्रत रखा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन माता पार्वती ने कठोर तपस्या कर भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया था। तभी से यह पर्व सुहागिनों के लिए विशेष महत्व रखता है।
पर्व को लेकर महिलाओं में खासा उत्साह देखा गया। कई जगहों पर सामूहिक रूप से व्रत रखा गया और पूजा कार्यक्रमों का आयोजन भी किया गया। पारंपरिक वेशभूषा में सजी महिलाओं ने गीत-संगीत के माध्यम से भी इस पर्व की महत्ता को साझा किया।
हरितालिका तीज न केवल धार्मिक भावनाओं से जुड़ा पर्व है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति में नारी सशक्तिकरण और पारिवारिक मूल्यों के संरक्षण का प्रतीक भी है।
Leave a Reply