स्वास्थ्य सेवा और सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में महत्वपूर्ण योगदान- पीएमएसएमए अभियान की सफलता से आसान हुई है हाई रिस्क प्रिंगनेंसी मामलों की पहचान-
राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।
प्रधानमंत्री मातृत्व सुरक्षा अभियान (पीएमएसएमए) भारत सरकार की एक प्रमुख स्वास्थ्य पहल है, जिसका उद्देश्य गर्भवती महिलाओं के लिए गुणवत्तापूर्ण और समय पर चिकित्सा सेवाएं सुनिश्चित करना है। गर्भावस्था के दौरान उचित स्वास्थ्य देखभाल का अभाव अक्सर मातृ और शिशु मृत्यु दर का प्रमुख कारण बनता है। सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार ने अबतय की इस अभियान के माध्यम से गर्भवती माताओं को मुफ्त चिकित्सा परामर्श, जाँच और उपचार उपलब्ध कराकर मातृत्व स्वास्थ्य में सुधार लाने का प्रयास किया गया है। यह अभियान न केवल मातृत्व देखभाल की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि यह महिलाओं के समग्र स्वास्थ्य और कल्याण को भी प्राथमिकता देता है। गर्भवती महिलाओं को प्रसव पूर्व बेहतर चिकित्सकीय देखभाल की सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से संचालित प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान सरकार के महत्वाकांक्षी स्वास्थ्य योजनाओं में शुमार है। अभियान के तहत हर महीने की 09 व 21 तारीख को जिले में गर्भवती महिलाओं की जांच को लेकर विशेष अभियान संचालित किया जा रहा है। इसी क्रम में सोमवार को भी जिले के सदर सप्तल सहित सभी सामुदायिक , प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के साथ सभी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर आयोजित पीएमएसएम अभियान बेहद सफल रहा।
स्वास्थ्य सेवाओं के सशक्तिकरण में योगदान: गैर संचारी रोग पदाधिकारी डॉ उर्मिला कुमारी ने हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के निरिक्षण के दौरान बताया कि यह अभियान भारत में स्वास्थ्य सेवाओं के व्यापक सुदृढ़ीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। पीएमएसएमए ने न केवल शहरों में बल्कि ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में भी गर्भवती महिलाओं के लिए स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ाई है। गुणवत्तापूर्ण और समय पर चिकित्सा सेवाओं की उपलब्धता ने कई महिलाओं के जीवन को बचाने में मदद की है और प्रसव के दौरान जटिलताओं को कम किया है। इसके अतिरिक्त, इस योजना के अंतर्गत पोषण और स्वस्थ जीवनशैली के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए भी प्रयास किए जाते हैं, जो महिलाओं के दीर्घकालिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में योगदान: सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार ने बताया कि पीएमएसएमए का योगदान सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की प्राप्ति में भी महत्वपूर्ण है, विशेषकर लक्ष्य 3 “सभी के लिए स्वास्थ्य और कल्याण सुनिश्चित करना”। इस अभियान के माध्यम से मातृ और शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए सतत प्रयास किए जा रहे हैं, जोकि इस लक्ष्य की प्रमुख आवश्यकताओं में से एक है। गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं की आसान उपलब्धता और जटिलताओं को कम करने के लिए दी गई चिकित्सा सहायता ने न केवल माताओं और शिशुओं के जीवन की सुरक्षा को सुनिश्चित किया है, बल्कि इससे स्वास्थ्य सेवाओं में असमानता को भी दूर किया गया है।
ग्रामीण क्षेत्रों में गर्भवती माताओ के लिए अहम् की भूमिका: ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी लंबे समय से एक गंभीर मुद्दा रहा है। प्रधानमंत्री मातृत्व सुरक्षा अभियान ने इन क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच और सुलभता को बढ़ावा दिया है। गर्भवती महिलाओं को नियमित रूप से चिकित्सा जांच और परामर्श प्राप्त हो रहे हैं, जो पहले संभव नहीं था। इस अभियान के तहत विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा ग्रामीण महिलाओं को उच्च-स्तरीय देखभाल प्रदान की जा रही है, जो कि स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति में सुधार लाने का एक महत्वपूर्ण कदम है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य जागरूकता और प्रसव से जुड़े जोखिमों को कम करने के लिए यह योजना विशेष रूप से प्रभावी रही है। महिला चिकित्सा पदाधिकारी डॉ शबनम यास्मिन ने बाते की में गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए एक मील का पत्थर साबित हुआ है। यह योजना न केवल गर्भवती महिलाओं को आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करती है, बल्कि मातृ और शिशु मृत्यु दर को कम करने और स्वास्थ्य असमानताओं को दूर करने के लिए भी महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। पीएमएसएमए के माध्यम से सरकार ने मातृत्व और शिशु स्वास्थ्य की दिशा में एक सशक्त और ठोस कदम उठाया है, जो भारत को सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के करीब ला रहा है।
हाई रिस्क प्रेग्नेंसी लों की पहचान को मिला बढ़ावा: डीपीएम डॉ मुनाजिम ने बताया कि पीएमएसएमए अभियान के सफल आयोजन व इसमें गुणात्मक सुधार को लेकर किये गये प्रयासों की मदद से हाई रिस्क प्रिगनेंसी मामलों की पहचान पहले से आसान हुआ है। इसकी संख्या में भी बढ़ोतरी दिख रहा है। प्रसव संबंधी जांच को अधिक सुलभ व आसान बनाने के उद्देश्य से पीएमएसएमए अभियान का सफल क्रियान्वयन जरूरी है। अभियान की मदद से प्रसव संबंधी जटिल मामलों की ससमय पहचान को प्राथमिकता दी जा रही है। ताकि जिले में सुरक्षित व संस्थागत प्रसव को बढ़ावा मिल सके। उन्होंने बताया कि जच्चा-बच्चा की सुरक्षा, मां से बच्चों में होने वाले गंभीर संक्रामक रोगों के प्रसार को नियंत्रित करने व गर्भवती महिलाओं को परिवार नियोजन, उचित पोषाहार व स्वस्थ जीवनशैली के प्रति जागरूक करने, प्रसव पूर्व व इसके बाद स्वास्थ्य देखभाल संबंधी जरूरी चिकित्सकीय परामर्श उपलब्ध कराने की दिशा में उन्होंने पीएमएसएमए अभियान के सफल क्रियान्वयन को महत्वपूर्ण बताया।
स्वास्थ्य सेवा और सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में महत्वपूर्ण योगदान- पीएमएसएमए अभियान की सफलता से आसान हुई है हाई रिस्क प्रिंगनेंसी मामलों की पहचान-
राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।
प्रधानमंत्री मातृत्व सुरक्षा अभियान (पीएमएसएमए) भारत सरकार की एक प्रमुख स्वास्थ्य पहल है, जिसका उद्देश्य गर्भवती महिलाओं के लिए गुणवत्तापूर्ण और समय पर चिकित्सा सेवाएं सुनिश्चित करना है। गर्भावस्था के दौरान उचित स्वास्थ्य देखभाल का अभाव अक्सर मातृ और शिशु मृत्यु दर का प्रमुख कारण बनता है। सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार ने अबतय की इस अभियान के माध्यम से गर्भवती माताओं को मुफ्त चिकित्सा परामर्श, जाँच और उपचार उपलब्ध कराकर मातृत्व स्वास्थ्य में सुधार लाने का प्रयास किया गया है। यह अभियान न केवल मातृत्व देखभाल की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि यह महिलाओं के समग्र स्वास्थ्य और कल्याण को भी प्राथमिकता देता है। गर्भवती महिलाओं को प्रसव पूर्व बेहतर चिकित्सकीय देखभाल की सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से संचालित प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान सरकार के महत्वाकांक्षी स्वास्थ्य योजनाओं में शुमार है। अभियान के तहत हर महीने की 09 व 21 तारीख को जिले में गर्भवती महिलाओं की जांच को लेकर विशेष अभियान संचालित किया जा रहा है। इसी क्रम में सोमवार को भी जिले के सदर सप्तल सहित सभी सामुदायिक , प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के साथ सभी हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर आयोजित पीएमएसएम अभियान बेहद सफल रहा।
स्वास्थ्य सेवाओं के सशक्तिकरण में योगदान: गैर संचारी रोग पदाधिकारी डॉ उर्मिला कुमारी ने हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर के निरिक्षण के दौरान बताया कि यह अभियान भारत में स्वास्थ्य सेवाओं के व्यापक सुदृढ़ीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। पीएमएसएमए ने न केवल शहरों में बल्कि ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में भी गर्भवती महिलाओं के लिए स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ाई है। गुणवत्तापूर्ण और समय पर चिकित्सा सेवाओं की उपलब्धता ने कई महिलाओं के जीवन को बचाने में मदद की है और प्रसव के दौरान जटिलताओं को कम किया है। इसके अतिरिक्त, इस योजना के अंतर्गत पोषण और स्वस्थ जीवनशैली के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए भी प्रयास किए जाते हैं, जो महिलाओं के दीर्घकालिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में योगदान: सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार ने बताया कि पीएमएसएमए का योगदान सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की प्राप्ति में भी महत्वपूर्ण है, विशेषकर लक्ष्य 3 “सभी के लिए स्वास्थ्य और कल्याण सुनिश्चित करना”। इस अभियान के माध्यम से मातृ और शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए सतत प्रयास किए जा रहे हैं, जोकि इस लक्ष्य की प्रमुख आवश्यकताओं में से एक है। गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं की आसान उपलब्धता और जटिलताओं को कम करने के लिए दी गई चिकित्सा सहायता ने न केवल माताओं और शिशुओं के जीवन की सुरक्षा को सुनिश्चित किया है, बल्कि इससे स्वास्थ्य सेवाओं में असमानता को भी दूर किया गया है।
ग्रामीण क्षेत्रों में गर्भवती माताओ के लिए अहम् की भूमिका: ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी लंबे समय से एक गंभीर मुद्दा रहा है। प्रधानमंत्री मातृत्व सुरक्षा अभियान ने इन क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच और सुलभता को बढ़ावा दिया है। गर्भवती महिलाओं को नियमित रूप से चिकित्सा जांच और परामर्श प्राप्त हो रहे हैं, जो पहले संभव नहीं था। इस अभियान के तहत विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा ग्रामीण महिलाओं को उच्च-स्तरीय देखभाल प्रदान की जा रही है, जो कि स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति में सुधार लाने का एक महत्वपूर्ण कदम है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य जागरूकता और प्रसव से जुड़े जोखिमों को कम करने के लिए यह योजना विशेष रूप से प्रभावी रही है। महिला चिकित्सा पदाधिकारी डॉ शबनम यास्मिन ने बाते की में गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए एक मील का पत्थर साबित हुआ है। यह योजना न केवल गर्भवती महिलाओं को आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करती है, बल्कि मातृ और शिशु मृत्यु दर को कम करने और स्वास्थ्य असमानताओं को दूर करने के लिए भी महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। पीएमएसएमए के माध्यम से सरकार ने मातृत्व और शिशु स्वास्थ्य की दिशा में एक सशक्त और ठोस कदम उठाया है, जो भारत को सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के करीब ला रहा है।
हाई रिस्क प्रेग्नेंसी लों की पहचान को मिला बढ़ावा: डीपीएम डॉ मुनाजिम ने बताया कि पीएमएसएमए अभियान के सफल आयोजन व इसमें गुणात्मक सुधार को लेकर किये गये प्रयासों की मदद से हाई रिस्क प्रिगनेंसी मामलों की पहचान पहले से आसान हुआ है। इसकी संख्या में भी बढ़ोतरी दिख रहा है। प्रसव संबंधी जांच को अधिक सुलभ व आसान बनाने के उद्देश्य से पीएमएसएमए अभियान का सफल क्रियान्वयन जरूरी है। अभियान की मदद से प्रसव संबंधी जटिल मामलों की ससमय पहचान को प्राथमिकता दी जा रही है। ताकि जिले में सुरक्षित व संस्थागत प्रसव को बढ़ावा मिल सके। उन्होंने बताया कि जच्चा-बच्चा की सुरक्षा, मां से बच्चों में होने वाले गंभीर संक्रामक रोगों के प्रसार को नियंत्रित करने व गर्भवती महिलाओं को परिवार नियोजन, उचित पोषाहार व स्वस्थ जीवनशैली के प्रति जागरूक करने, प्रसव पूर्व व इसके बाद स्वास्थ्य देखभाल संबंधी जरूरी चिकित्सकीय परामर्श उपलब्ध कराने की दिशा में उन्होंने पीएमएसएमए अभियान के सफल क्रियान्वयन को महत्वपूर्ण बताया।