सारस न्यूज, वेब डेस्क।
बिहार विधानसभा चुनाव की सरगर्मियों के बीच राज्य में राजनीतिक हलचल तेज होती जा रही है। इसी क्रम में जनसुराज अभियान के अगुवा प्रशांत किशोर ने रविवार को किशनगंज के अंजुमन इस्लामिया मदरसा में आयोजित ‘बिहार बदलाव इजलास’ को संबोधित करते हुए प्रदेश की मौजूदा राजनीतिक व्यवस्था, सामाजिक असमानता और मुस्लिम समुदाय की स्थिति पर अपनी बेबाक राय रखी।
प्रशांत किशोर ने स्पष्ट किया कि वे अब तक कई ऐसे नेताओं की रणनीति बना चुके हैं, जिन्होंने भारतीय जनता पार्टी को चुनाव में शिकस्त दी है। लेकिन उन्होंने यह भी दोहराया कि वे किसी पार्टी के लिए नहीं, बल्कि एक विचारधारा के लिए काम करते हैं।
अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि वे यह तय करने में नहीं पड़ते कि कौन-सी पार्टी कितनी अच्छी या बुरी है। यदि वर्तमान सत्ता अन्यायपूर्ण लगती है, तो उसकी जिम्मेदारी जनता की चुनावी चूक पर भी जाती है।
उन्होंने राज्य में गरीबी के मुद्दे को रेखांकित करते हुए कहा कि दलितों के बाद सबसे बड़ी गरीब आबादी मुस्लिम समुदाय की है। पीके ने दावा किया कि बिहार में आधे से ज्यादा मुस्लिम परिवार ऐसे हैं, जो अपने बच्चों को न्याय दिलाने में असमर्थ हैं – चाहे वे चाहें भी तो।
उन्होंने यह भी कहा कि वर्षों से मुस्लिम समुदाय को यह कहकर मानसिक रूप से कमजोर किया गया है कि वे ‘अल्पसंख्यक’ हैं। जनसंख्या के अनुपात में जहां मुस्लिम विधायकों की संख्या 40 होनी चाहिए, वहां वर्तमान में सिर्फ 19 हैं। यह स्थिति उनके अनुसार राजनीतिक हाशिये पर धकेलने का संकेत है।