संक्रमण की वास्तविक स्थिति जानने की वैज्ञानिक प्रक्रिया — प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और समुदाय की संयुक्त जिम्मेदारी
हाथीपाँव रोग एक ऐसा गंभीर विकार है, जो शरीर को भीतर से कमजोर कर देता है और बाहरी रूप से स्थायी विकृति व अपंगता का कारण बनता है। हाथ–पैरों में असामान्य सूजन, लगातार दर्द, चलने-फिरने में कठिनाई और सामाजिक उपेक्षा—यह रोग जीवन को केवल शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक रूप से भी अत्यंत बोझिल बना देता है। इसी गंभीर खतरे से स्थायी मुक्ति के उद्देश्य से ठाकुरगंज प्रखंड में पूर्व प्रसारण मूल्यांकन सर्वेक्षण (प्री–टैस) के अंतर्गत रात्रि रक्त परीक्षण अभियान लगातार संचालित किया जा रहा है। यह वैज्ञानिक प्रक्रिया यह स्पष्ट करती है कि क्षेत्र में संक्रमण का स्तर क्या है और क्या उन्मूलन के अगले चरण की शुरुआत की जा सकती है।
जनभागीदारी बढ़ी, आँकड़े बने आशा का संकेत
अभियान के दौरान शहरी क्षेत्र के गांधी नगर वार्ड संख्या 1 से 302, बरगीझार वार्ड संख्या 10 से 303, तथा खोसीडांगी (पठारिया) से 160 व्यक्तियों के रक्त नमूने लिए गए हैं। खोसीडांगी क्षेत्र में यह प्रक्रिया अभी जारी है, जिससे नमूनों की संख्या में और वृद्धि होने की संभावना है। ये आँकड़े केवल संख्यात्मक नहीं हैं, बल्कि इस बात के प्रमाण हैं कि लोग हाथीपाँव रोग के खतरे को समझते हुए स्वास्थ्य विभाग की टीमों के साथ सक्रिय सहयोग कर रहे हैं और सुरक्षित भविष्य की दिशा में जागरूकता दिखा रहे हैं।
पूर्व प्रसारण मूल्यांकन और रात्रि रक्त परीक्षण क्यों हैं आवश्यक?
वी.बी.डी.सी. पदाधिकारी डॉ. मंजर आलम ने बताया कि पूर्व प्रसारण मूल्यांकन वह महत्वपूर्ण चरण है, जो यह सुनिश्चित करता है कि क्षेत्र में संक्रमण का स्तर इतना कम हो चुका है कि उन्मूलन की अगली रणनीति अपनाई जा सके। उन्होंने बताया कि रात्रि रक्त परीक्षण इसलिए आवश्यक है, क्योंकि हाथीपाँव रोग के परजीवी रात के समय ही रक्त में सक्रिय अवस्था में अधिक पाए जाते हैं। इसी कारण स्वास्थ्य कर्मी देर रात तक घर-घर जाकर रक्त नमूने एकत्र करते हैं, ताकि संक्रमण की वास्तविक स्थिति का सटीक आकलन किया जा सके। यह प्रक्रिया भविष्य में दवा वितरण, रोकथाम और अंतिम उन्मूलन की दिशा तय करने का आधार बनेगी।
“ठाकुरगंज जागरूकता के बल पर एक उल्लेखनीय उदाहरण बन रहा है”
सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी ने अभियान की प्रगति की सराहना करते हुए कहा कि ठाकुरगंज में पूर्व प्रसारण मूल्यांकन और रात्रि रक्त परीक्षण के प्रारम्भिक परिणाम उत्साहवर्धक हैं। जिन क्षेत्रों में परीक्षण किया गया है, वहाँ लोगों ने स्वेच्छा से सहयोग किया है। यदि यही जागरूकता बनी रही, तो वैज्ञानिक प्रमाणों के आधार पर ठाकुरगंज हाथीपाँव रोग मुक्त क्षेत्र बनने की दिशा में मजबूती से आगे बढ़ सकता है।
“सही आँकड़े ही आगे की राह तय करेंगे”
वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. मंजर आलम ने कहा कि हमारा उद्देश्य केवल अधिक संख्या में रक्त नमूने लेना नहीं, बल्कि उन्हें पूरी शुद्धता और वैज्ञानिक मानकों के अनुरूप एकत्र करना है। आगे की रणनीति पूरी तरह इन्हीं आँकड़ों पर निर्भर करती है। खोसीडांगी में परीक्षण जारी है और हमें विश्वास है कि लोगों का सहयोग अभियान को और गति देगा। उन्होंने आम जनता से परीक्षण दलों का सहयोग करने की अपील की और कहा कि यही सहयोग रोग-मुक्त जीवन की कुंजी है।
मैदान में निरंतर सक्रियता : आशुतोष प्रसाद कात्यायन की अहम भूमिका
अभियान के संचालन और समुदाय से संवाद स्थापित करने में वी.बी.डी.एस. आशुतोष प्रसाद कात्यायन की भूमिका उल्लेखनीय रही है। सर्वेक्षण दलों का मार्गदर्शन, जमीनी स्तर पर निगरानी और लोगों के बीच विश्वास निर्माण से अभियान को निरंतर गति मिली है। स्थानीय लोगों का कहना है कि उनकी सक्रिय उपस्थिति से रक्त परीक्षण को लेकर झिझक कम हुई और लोगों ने स्वेच्छा से जांच कराई।
जागरूकता ही सबसे बड़ा हथियार : भागीदारी से मिल रही नई ऊर्जा
यह अब स्पष्ट हो चुका है कि जहाँ समझ और जागरूकता होती है, वहीं जनभागीदारी भी मजबूत होती है—और यही भागीदारी रोग उन्मूलन की सबसे मजबूत नींव है। स्वास्थ्यकर्मियों का मानना है कि यदि आगामी सामूहिक दवा सेवन अभियानों में भी यही सहयोग बना रहा, तो हाथीपाँव रोग को धीरे-धीरे क्षेत्र से पूरी तरह समाप्त किया जा सकता है। पूर्व प्रसारण मूल्यांकन और रात्रि रक्त परीक्षण के प्रारम्भिक परिणाम इस बात के संकेत दे रहे हैं कि ठाकुरगंज उन्मूलन की राह पर स्थिर और सशक्त कदमों के साथ आगे बढ़ रहा है। प्रशासन की सतत निगरानी, स्वास्थ्य विभाग की वैज्ञानिक कार्यप्रणाली और समुदाय की भागीदारी मिलकर एक ऐसी उम्मीद जगा रही है, जिसमें भविष्य में यह क्षेत्र हाथीपाँव रोग के बोझ से मुक्त हो सकता है।
राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।
संक्रमण की वास्तविक स्थिति जानने की वैज्ञानिक प्रक्रिया — प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और समुदाय की संयुक्त जिम्मेदारी
हाथीपाँव रोग एक ऐसा गंभीर विकार है, जो शरीर को भीतर से कमजोर कर देता है और बाहरी रूप से स्थायी विकृति व अपंगता का कारण बनता है। हाथ–पैरों में असामान्य सूजन, लगातार दर्द, चलने-फिरने में कठिनाई और सामाजिक उपेक्षा—यह रोग जीवन को केवल शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक रूप से भी अत्यंत बोझिल बना देता है। इसी गंभीर खतरे से स्थायी मुक्ति के उद्देश्य से ठाकुरगंज प्रखंड में पूर्व प्रसारण मूल्यांकन सर्वेक्षण (प्री–टैस) के अंतर्गत रात्रि रक्त परीक्षण अभियान लगातार संचालित किया जा रहा है। यह वैज्ञानिक प्रक्रिया यह स्पष्ट करती है कि क्षेत्र में संक्रमण का स्तर क्या है और क्या उन्मूलन के अगले चरण की शुरुआत की जा सकती है।
जनभागीदारी बढ़ी, आँकड़े बने आशा का संकेत
अभियान के दौरान शहरी क्षेत्र के गांधी नगर वार्ड संख्या 1 से 302, बरगीझार वार्ड संख्या 10 से 303, तथा खोसीडांगी (पठारिया) से 160 व्यक्तियों के रक्त नमूने लिए गए हैं। खोसीडांगी क्षेत्र में यह प्रक्रिया अभी जारी है, जिससे नमूनों की संख्या में और वृद्धि होने की संभावना है। ये आँकड़े केवल संख्यात्मक नहीं हैं, बल्कि इस बात के प्रमाण हैं कि लोग हाथीपाँव रोग के खतरे को समझते हुए स्वास्थ्य विभाग की टीमों के साथ सक्रिय सहयोग कर रहे हैं और सुरक्षित भविष्य की दिशा में जागरूकता दिखा रहे हैं।
पूर्व प्रसारण मूल्यांकन और रात्रि रक्त परीक्षण क्यों हैं आवश्यक?
वी.बी.डी.सी. पदाधिकारी डॉ. मंजर आलम ने बताया कि पूर्व प्रसारण मूल्यांकन वह महत्वपूर्ण चरण है, जो यह सुनिश्चित करता है कि क्षेत्र में संक्रमण का स्तर इतना कम हो चुका है कि उन्मूलन की अगली रणनीति अपनाई जा सके। उन्होंने बताया कि रात्रि रक्त परीक्षण इसलिए आवश्यक है, क्योंकि हाथीपाँव रोग के परजीवी रात के समय ही रक्त में सक्रिय अवस्था में अधिक पाए जाते हैं। इसी कारण स्वास्थ्य कर्मी देर रात तक घर-घर जाकर रक्त नमूने एकत्र करते हैं, ताकि संक्रमण की वास्तविक स्थिति का सटीक आकलन किया जा सके। यह प्रक्रिया भविष्य में दवा वितरण, रोकथाम और अंतिम उन्मूलन की दिशा तय करने का आधार बनेगी।
“ठाकुरगंज जागरूकता के बल पर एक उल्लेखनीय उदाहरण बन रहा है”
सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी ने अभियान की प्रगति की सराहना करते हुए कहा कि ठाकुरगंज में पूर्व प्रसारण मूल्यांकन और रात्रि रक्त परीक्षण के प्रारम्भिक परिणाम उत्साहवर्धक हैं। जिन क्षेत्रों में परीक्षण किया गया है, वहाँ लोगों ने स्वेच्छा से सहयोग किया है। यदि यही जागरूकता बनी रही, तो वैज्ञानिक प्रमाणों के आधार पर ठाकुरगंज हाथीपाँव रोग मुक्त क्षेत्र बनने की दिशा में मजबूती से आगे बढ़ सकता है।
“सही आँकड़े ही आगे की राह तय करेंगे”
वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. मंजर आलम ने कहा कि हमारा उद्देश्य केवल अधिक संख्या में रक्त नमूने लेना नहीं, बल्कि उन्हें पूरी शुद्धता और वैज्ञानिक मानकों के अनुरूप एकत्र करना है। आगे की रणनीति पूरी तरह इन्हीं आँकड़ों पर निर्भर करती है। खोसीडांगी में परीक्षण जारी है और हमें विश्वास है कि लोगों का सहयोग अभियान को और गति देगा। उन्होंने आम जनता से परीक्षण दलों का सहयोग करने की अपील की और कहा कि यही सहयोग रोग-मुक्त जीवन की कुंजी है।
मैदान में निरंतर सक्रियता : आशुतोष प्रसाद कात्यायन की अहम भूमिका
अभियान के संचालन और समुदाय से संवाद स्थापित करने में वी.बी.डी.एस. आशुतोष प्रसाद कात्यायन की भूमिका उल्लेखनीय रही है। सर्वेक्षण दलों का मार्गदर्शन, जमीनी स्तर पर निगरानी और लोगों के बीच विश्वास निर्माण से अभियान को निरंतर गति मिली है। स्थानीय लोगों का कहना है कि उनकी सक्रिय उपस्थिति से रक्त परीक्षण को लेकर झिझक कम हुई और लोगों ने स्वेच्छा से जांच कराई।
जागरूकता ही सबसे बड़ा हथियार : भागीदारी से मिल रही नई ऊर्जा
यह अब स्पष्ट हो चुका है कि जहाँ समझ और जागरूकता होती है, वहीं जनभागीदारी भी मजबूत होती है—और यही भागीदारी रोग उन्मूलन की सबसे मजबूत नींव है। स्वास्थ्यकर्मियों का मानना है कि यदि आगामी सामूहिक दवा सेवन अभियानों में भी यही सहयोग बना रहा, तो हाथीपाँव रोग को धीरे-धीरे क्षेत्र से पूरी तरह समाप्त किया जा सकता है। पूर्व प्रसारण मूल्यांकन और रात्रि रक्त परीक्षण के प्रारम्भिक परिणाम इस बात के संकेत दे रहे हैं कि ठाकुरगंज उन्मूलन की राह पर स्थिर और सशक्त कदमों के साथ आगे बढ़ रहा है। प्रशासन की सतत निगरानी, स्वास्थ्य विभाग की वैज्ञानिक कार्यप्रणाली और समुदाय की भागीदारी मिलकर एक ऐसी उम्मीद जगा रही है, जिसमें भविष्य में यह क्षेत्र हाथीपाँव रोग के बोझ से मुक्त हो सकता है।