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जिले के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचे समुचित स्वास्थ्य सुविधा, स्वास्थ्य विभाग पर सख्त निगरानी।

जिलाधिकारी की अध्यक्षता में मासिक समीक्षा बैठक

एईएस-जेई को लेकर विशेष सतर्कता

जन-जागरूकता, डिजिटल स्वास्थ्य सेवा और चिकित्सकीय जवाबदेही पर दिया गया विशेष जोर

राहुल कुमार, सारस न्यूज, किशनगंज।

जिला प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग किशनगंज अंतिम व्यक्ति तक समुचित स्वास्थ्य सेवा पहुँचाने के लिए पूरी तरह संकल्पित है। इसी उद्देश्य से जिला पदाधिकारी विशाल राज (भा.प्र.से.) द्वारा स्वास्थ्य विभाग की नियमित समीक्षा, निरीक्षण और त्रुटियों के शीघ्र समाधान हेतु लगातार निर्देश दिए जा रहे हैं। शुक्रवार को आयोजित स्वास्थ्य विभाग की मासिक समीक्षा बैठक में AES एवं JE जैसी गंभीर बीमारियों को लेकर जन-जागरूकता, चिकित्सकों की कार्यशैली, अस्पतालों की सेवाओं की उपलब्धता और डिजिटल माध्यम से स्वास्थ्य सेवा की स्थिति की गहन समीक्षा की गई। बैठक में सिविल सर्जन डॉ. मंजर आलम, गैर-संचारी रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. उर्मिला कुमारी, जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. देवेंद्र कुमार, सदर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ. अनवर हुसैन, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी ICDS, डीपीएम डॉ. मुनाजिम, डीसीएम, डीएमएंडई, डीपीसी डॉ. सुधांशु शेखर, सभी प्रखंड के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, पीएसआई, सिफार, यूनिसेफ एवं डब्ल्यूएचओ के प्रतिनिधि समेत अन्य स्वास्थ्य अधिकारी उपस्थित रहे।

AES और JE को लेकर लोगों को जागरूक करना समय की सबसे बड़ी मांग:

बैठक में जिलाधिकारी ने कहा कि AES और JE जैसी जानलेवा बीमारियों की रोकथाम समय पर पहचान, इलाज और जानकारी से ही संभव है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग, ICDS और शिक्षा विभाग को संयुक्त रूप से अभियान चलाकर जन-जागरूकता फैलाने का निर्देश दिया गया है। लोग अगर समय पर लक्षण पहचानकर अस्पताल पहुँचें, तो बीमारी को गंभीर होने से रोका जा सकता है। इसके लिए हर गांव में जागरूकता पहुँचनी चाहिए।– विशाल राज, जिलाधिकारी

नजदीकी अस्पताल ही पहला सहारा – इसकी जानकारी हर व्यक्ति को होनी चाहिए:

बैठक में कहा गया कि हर व्यक्ति को यह पता होना चाहिए कि उनके नजदीकी अस्पताल में किन-किन सुविधाओं की उपलब्धता है। इसके लिए स्वास्थ्य अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि गांव-गांव जाकर लोगों को बताया जाए कि बुखार, बीपी, शुगर, खून की जाँच जैसी जरूरी सेवाएं सुबह 9 से दोपहर 2 बजे तक उपलब्ध हैं। हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर, उपकेंद्रों और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को सक्रिय करते हुए, वहाँ की सेवाओं की जानकारी पंपलेट, माइकिंग और स्थानीय संवाद के माध्यम से जन-जन तक पहुँचाई जाएगी।

चिकित्सकों की उपस्थिति और कार्य निष्पादन पर सख्त निगरानी:

जिलाधिकारी ने स्पष्ट किया कि सरकारी अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टरों द्वारा ओपीडी में पर्याप्त मरीजों का इलाज सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने निर्देश दिया कि यदि कोई चिकित्सक मरीजों की जाँच एवं उपचार में लापरवाही करता है, तो उस पर त्वरित कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, सिविल सर्जन को निर्देशित किया गया कि एक टीम बनाकर सभी अस्पतालों का औचक निरीक्षण करें और चिकित्सकों की उपस्थिति तथा प्रदर्शन पर रिपोर्ट प्रस्तुत करें।

ई-संजीवनी में लापरवाही पर पाँच डॉक्टरों व पाँच सीएचओ का वेतन रोका गया:

ऑनलाइन परामर्श सेवा ‘ई-संजीवनी’ में खराब प्रदर्शन के कारण जिले के 5 चिकित्सकों और 5 सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों का वेतन जिलाधिकारी द्वारा रोका गया। उन्होंने कहा कि डिजिटल प्लेटफॉर्म से स्वास्थ्य सुविधा एक बड़ा बदलाव है, इसे हल्के में लेना घातक हो सकता है। वहीं सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों को भव्या कार्यक्रम के सभी विषयों पर विशेष ध्यान देने का निर्देश दिया गया है।

एनआरसी और एनसीडी अभियान को भी और अधिक प्रभावी बनाने के निर्देश:

समीक्षा के क्रम में जिला पदाधिकारी ने ICDS विभाग को निर्देश दिया कि कुपोषित बच्चों को समय पर NRC (न्यूट्रिशनल रिहैबिलिटेशन सेंटर) में भेजा जाए। वहीं NCD स्क्रीनिंग अभियान (गैर-संचारी रोग जैसे डायबिटीज, हाई बीपी, कैंसर) को लक्ष्य आधारित तरीके से संचालित करने की बात दोहराई गई। जिला पदाधिकारी ने कहा कि स्वास्थ्य सुविधाएं जब तक अंतिम व्यक्ति तक नहीं पहुँचेंगी, प्रशासन का उद्देश्य अधूरा रहेगा। इसलिए जिला प्रशासन की यह पहल न केवल व्यवस्थाओं को सुधारने की दिशा में है, बल्कि हर नागरिक को सुरक्षित, जागरूक और स्वस्थ रखने की जिम्मेदारी का हिस्सा भी है।

आपका नजदीकी अस्पताल आपकी पहली रक्षा पंक्ति है – इसे जानें, वहाँ जाएँ और समय पर इलाज लें।

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