सारस न्यूज़, किशनगंज।
भाई ये किशनगंज पुलिस है सब पता लगा लेगी।
ऐसा अक्सर देखा गया है कि एक आम आदमी यदि पुलिस में शिकायत दर्ज करवाने जाये तो FIR दर्ज नहीं किया जाता है। यदि कुछ दर्ज किया भी तो पहले सनहा दर्ज होता है, बाद में आवश्यकता हुई तो FIR. लेकिन ऐसा होता क्यों है? क्या रिकॉर्ड बेहतर रखने के चक्कर में बिहार पुलिस नहीं करना चाहती ऑफआईआर दर्ज? रिसीविंग भी नहीं देना चाहती?
सारस न्यूज़ को मिली जानकारी में किशनगंज के राजीव कुमार शर्मा ने बताया कि परिवार के लोगों ने ही उन्हें और अन्य सम्बन्धी को खाना में जहर देकर मारने की कोशिश की। पुलिस आयी और अस्पताल में इलाज भी हुआ। तबियत ख़राब होने के कारण आवेदन देने में देरी हुई लेकिन जाँच के लिए आवेदन दिया गया था, फाइल फोटो में दिख भी रहा है की पुलिस आयी थी। लेकिन अब दो सप्ताह से ज्यादा बीत जाने के बाद जब वे केस की स्थिति पुलिस से पूछ रहे हैं तो थाना से आवेदन ही गायब है। आवेदन की रिसीविंग भी नहीं दी गयी थी। लेकिन राजीव कुमार शर्मा का कहना है कि CCTV की जाँच कर देखा जा सकता है की आवेदन दिया गया था।
राजीव कुमार शर्मा और उनके सम्बन्धी किसी बड़ी अनहोनी होने से तो बच गए, लेकिन मामले कि जाँच आवश्यक है और किशनगंज पुलिस को मामले की गंभीरता को समझते हुए आगे की कार्यवाही करनी चाहिए, ताकि सच सामने आ सके। उम्मीद है इस मामले में बेहतर अनुसंधान कर किशनगंज पुलिस एक बेहतर उदाहरण पेश करेगी ताकि गलत काम करने से पहले लोग एक बार सोचे कि “भाई ये किशनगंज पुलिस है सब पता लगा लेगी”।
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