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क्लबफुट के इलाज के लिए आरबीएसके की पहल: तीन बच्चों को भेजा गया जेएलएनएमसीएच भागलपुर।

राहुल कुमार, सारस न्यूज, किशनगंज।

क्लबफुट एक जन्मजात विकार है, जिसमें बच्चे के पैर या टखने का आकार सामान्य से अलग होता है। चिकित्सकीय भाषा में इसे “कंजेनाइटल टेलिप्स इक्विनोवेरस” कहा जाता है। इस विकृति में पैर अंदर की ओर मुड़ जाता है, जिससे बच्चा सामान्य रूप से खड़ा या चल नहीं पाता। यह विकार लगभग 1,000 नवजात शिशुओं में से 1 में पाया जाता है और लड़कों में इसके मामले अधिक देखे जाते हैं।

क्लबफुट के संभावित कारण:

  • अनुवांशिक और पर्यावरणीय कारक
  • गर्भावस्था के दौरान भ्रूण के विकास में बाधा
  • मांसपेशियों और नसों की असामान्यता
  • पारिवारिक इतिहास

समय पर इलाज न होने पर यह विकार बच्चे के चलने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के तहत क्लबफुट से पीड़ित तीन बच्चों को बेहतर इलाज के लिए किशनगंज के सदर अस्पताल से जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (जेएलएनएमसीएच), भागलपुर भेजा गया। इन बच्चों का इलाज विशेषज्ञ डॉक्टरों की देखरेख में किया जाएगा।

इलाज के लिए भेजे गए बच्चों का विवरण:

  1. आहिल रजा (उम्र: 3 महीने)
  2. मोहम्मद शाहिन (उम्र: 2 साल)
  3. हामिद (उम्र: 5 साल)

सभी बच्चे दिघलबैंक प्रखंड के निवासी हैं। इन बच्चों के पैर अंदर की ओर मुड़े होने के कारण चलने में कठिनाई होती है। आरबीएसके की टीम ने सुनिश्चित किया कि इन बच्चों को निःशुल्क इलाज मिले।

सिविल सर्जन का बयान:

सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने कहा, “क्लबफुट जैसी विकृति का समय पर इलाज बेहद जरूरी है। आरबीएसके के माध्यम से इन बच्चों को भागलपुर भेजा गया है, जहां निःशुल्क और विशेषज्ञ देखरेख में इनका इलाज होगा। हमारा उद्देश्य हर जरूरतमंद बच्चे तक सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाना है। अभिभावकों से अपील है कि वे बच्चों को समय पर स्वास्थ्य जांच के लिए केंद्र लाएं।”

जिलाधिकारी का संदेश:

जिलाधिकारी विशाल राज ने स्वास्थ्य विभाग की इस पहल की सराहना करते हुए कहा, “सरकारी योजनाओं का उद्देश्य समाज के अंतिम व्यक्ति तक लाभ पहुंचाना है। क्लबफुट जैसी विकृतियों के इलाज के लिए आरबीएसके की यह पहल सराहनीय है। मैं अभिभावकों से अपील करता हूं कि वे अपने बच्चों की नियमित स्वास्थ्य जांच करवाएं और सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाएं।”

आरबीएसके की भूमिका:

आरबीएसके डीआईसी प्रबंधक सह जिला समन्वयक पंकज कुमार शर्मा ने बताया, “हमारी टीम नियमित रूप से क्षेत्र में भ्रमण कर क्लबफुट और अन्य गंभीर बीमारियों से पीड़ित बच्चों की पहचान करती है। इन बच्चों को इलाज के लिए सरकारी संस्थानों तक ले जाने और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने का हरसंभव प्रयास किया जाता है। हमारा उद्देश्य है कि कोई भी बच्चा स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित न रहे।”

जागरूकता और समय पर इलाज जरूरी:

क्लबफुट जैसी विकृतियों का समय पर इलाज बच्चों को सामान्य और सक्रिय जीवन जीने में सक्षम बनाता है। इसके लिए समय पर जागरूकता, सही उपचार और सामुदायिक समर्थन आवश्यक है।

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