पीसी-पीएनडीटी एवं क्लीनिकल इस्टैब्लिसमेंट (रजिस्ट्रेशन एवं रेगुलेशन) एक्ट के जिला स्तरीय पदाधिकारियों की समीक्षा बैठक, नियमों का उल्लंघन होने पर नियमानुसार होगी कड़ी कार्रवाई।
जिला पदाधिकारी तुषार सिंगला के निर्देशानुसार सिविल सर्जन डॉ मंजर आलम की अध्यक्षता में पीसी एण्ड पीएनडीटी एक्ट के सफल क्रियान्वयन के लिए जिला स्तरीय सलाहकार समिति की बैठक आयोजित की गई। बैठक में सिविल सर्जन ने जिला स्तरीय टीम को हॉस्पिटल एवं सोनोग्राफी सेंटरों के नियमित निरीक्षण कर पीसी-पीएनडीटी एक्ट के शत प्रतिशत पालन सुनिश्चित कराने निर्देशित किया। उन्होंने कहा कि आम जन को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराना हमारी प्राथमिकता है। यह एक बेहद महत्वपूर्ण अधिनियम है, इसके अंतर्गत नियमों का उल्लंघन होने पर नियमानुसार कड़ी कार्रवाई की जाएगी। बैठक में अधिनियम के अंतर्गत स्वास्थ्य संस्थाओं हेतु प्राप्त पत्राचार पर चर्चा कर आवश्यक दिशा निर्देश दिए। इस दौरान उन्होंने जिले में संचालित पंजीकृत सोनोग्राफी सेंटर, लाइसेंस वैधता आदि की जानकारी ली। उन्होंने कहा कि यह एक बेहद महत्वपूर्ण अधिनियम है। गर्भधारण से पहले या बाद में, लिंग चयन के निषेध के लिए और आनुवंशिक असामान्यताओं या मेटा बोली संबंधी विकारों या क्रोमोसोम असामान्यताओं या कुछ जन्मजात विकृतियों का पता लगाने के प्रयोजनों के लिए प्रसव पूर्व निदान तकनीकों के विनियमन के लिए एक अधिनियम है। लिंग अवधारण के लिए ऐसी तकनीकों के, जिनके कारण स्त्री लिंगी भ्रूण वध हो सकता है, दुरुपयोग के निवारण तथा उससे जुड़े या प्रासंगिक मामलों के लिए यह अधिनियम बनाया गया है।
बैठक में सिविल सर्जन ने बताया कि क्लीनिकल इस्टैब्लिसमेंट एक्ट के तहत अवैध रूप से संचालित निजी क्लीनिक, नर्सिंग होम व निजी अस्पताल तथा पैथोलॉजी व डायग्नोस्टिक सेंटर पर कार्रवाई का भी प्रावधान है। इसके लिए जिलाधिकारी के द्वारा अवैध रूप से संचालित जांच घर, डायग्नोस्टिक सेंटर, पैथोलॉजी, लैबोरेट्री, अल्ट्रासाउंड, क्लीनिक, नर्सिंग होम के विरुद्ध कार्रवाई करने के निर्देश के आलोक में जिले के सभी अस्पतालों के उपाधीक्षक व प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी एवं अंचलाधिकारी का दल बनाकर जांच करवाई जा रही है। उन्होंने बताया कि क्लीनिकल इस्टैब्लिसमेंट (रजिस्ट्रेशन एवं रेगुलेशन) एक्ट 2010 (धारा 11) का पालन जरूरी है। इसके तहत कोई भी व्यक्ति या संस्थान बगैर रजिस्ट्रेशन कराए किसी भी तरह का क्लीनिक, नर्सिंग होम, पैथोलॉजी व डायग्नोस्टिक, अल्ट्रासाउंड सेंटर का संचालन नहीं कर सकता। ऐसा किया जाना अवैध है। इस एक्ट का पालन नहीं करने पर जुर्माना लगाया जायेगा । एक्ट की धारा 41(1) के मुताबिक आर्थिक दंड का प्रावधान तय है। इसके मुताबिक पहली बार पकडे जाने पर 50 हजार, दूसरी बार में 02 लाख तक और तीसरी बार पकडे जाने पर 5 लाख तक जुर्माना वसूला जायेगा। इसके अलावा क़ानूनी कार्यवाही भी की जाएगी। क्लीनिकल इस्टैब्लिसमेंट एक्ट के अनुसार जिला रजिस्ट्रीकरण प्राधिकार के तहत पंजीकरण कराना अनिवार्य है। इसके तहत एक साल का औपबंधिक निबंधन किया जाता है। वहीं विधि मान्य अवधि से एक माह पूर्व पंजीयन के नवीकरण के लिए आवेदन देना पड़ता है। अगर उक्त अवधि में नवीकरण के लिए आवेदन नहीं किया जाता है तो संस्थान को प्रति माह की दर से जुर्माना भरना पड़ता है। इसके अलावा रजिस्ट्रेशन के लिए बायो मेडिकल वेस्ट एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनापत्ति प्रमाणपत्र तथा अग्निशमन सुरक्षा प्रमाणपत्र सहित अन्य जरूरी दस्तावेज देने पड़ते हैं।
सारस न्यूज, किशनगंज।
जिला पदाधिकारी तुषार सिंगला के निर्देशानुसार सिविल सर्जन डॉ मंजर आलम की अध्यक्षता में पीसी एण्ड पीएनडीटी एक्ट के सफल क्रियान्वयन के लिए जिला स्तरीय सलाहकार समिति की बैठक आयोजित की गई। बैठक में सिविल सर्जन ने जिला स्तरीय टीम को हॉस्पिटल एवं सोनोग्राफी सेंटरों के नियमित निरीक्षण कर पीसी-पीएनडीटी एक्ट के शत प्रतिशत पालन सुनिश्चित कराने निर्देशित किया। उन्होंने कहा कि आम जन को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराना हमारी प्राथमिकता है। यह एक बेहद महत्वपूर्ण अधिनियम है, इसके अंतर्गत नियमों का उल्लंघन होने पर नियमानुसार कड़ी कार्रवाई की जाएगी। बैठक में अधिनियम के अंतर्गत स्वास्थ्य संस्थाओं हेतु प्राप्त पत्राचार पर चर्चा कर आवश्यक दिशा निर्देश दिए। इस दौरान उन्होंने जिले में संचालित पंजीकृत सोनोग्राफी सेंटर, लाइसेंस वैधता आदि की जानकारी ली। उन्होंने कहा कि यह एक बेहद महत्वपूर्ण अधिनियम है। गर्भधारण से पहले या बाद में, लिंग चयन के निषेध के लिए और आनुवंशिक असामान्यताओं या मेटा बोली संबंधी विकारों या क्रोमोसोम असामान्यताओं या कुछ जन्मजात विकृतियों का पता लगाने के प्रयोजनों के लिए प्रसव पूर्व निदान तकनीकों के विनियमन के लिए एक अधिनियम है। लिंग अवधारण के लिए ऐसी तकनीकों के, जिनके कारण स्त्री लिंगी भ्रूण वध हो सकता है, दुरुपयोग के निवारण तथा उससे जुड़े या प्रासंगिक मामलों के लिए यह अधिनियम बनाया गया है।
बैठक में सिविल सर्जन ने बताया कि क्लीनिकल इस्टैब्लिसमेंट एक्ट के तहत अवैध रूप से संचालित निजी क्लीनिक, नर्सिंग होम व निजी अस्पताल तथा पैथोलॉजी व डायग्नोस्टिक सेंटर पर कार्रवाई का भी प्रावधान है। इसके लिए जिलाधिकारी के द्वारा अवैध रूप से संचालित जांच घर, डायग्नोस्टिक सेंटर, पैथोलॉजी, लैबोरेट्री, अल्ट्रासाउंड, क्लीनिक, नर्सिंग होम के विरुद्ध कार्रवाई करने के निर्देश के आलोक में जिले के सभी अस्पतालों के उपाधीक्षक व प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी एवं अंचलाधिकारी का दल बनाकर जांच करवाई जा रही है। उन्होंने बताया कि क्लीनिकल इस्टैब्लिसमेंट (रजिस्ट्रेशन एवं रेगुलेशन) एक्ट 2010 (धारा 11) का पालन जरूरी है। इसके तहत कोई भी व्यक्ति या संस्थान बगैर रजिस्ट्रेशन कराए किसी भी तरह का क्लीनिक, नर्सिंग होम, पैथोलॉजी व डायग्नोस्टिक, अल्ट्रासाउंड सेंटर का संचालन नहीं कर सकता। ऐसा किया जाना अवैध है। इस एक्ट का पालन नहीं करने पर जुर्माना लगाया जायेगा । एक्ट की धारा 41(1) के मुताबिक आर्थिक दंड का प्रावधान तय है। इसके मुताबिक पहली बार पकडे जाने पर 50 हजार, दूसरी बार में 02 लाख तक और तीसरी बार पकडे जाने पर 5 लाख तक जुर्माना वसूला जायेगा। इसके अलावा क़ानूनी कार्यवाही भी की जाएगी। क्लीनिकल इस्टैब्लिसमेंट एक्ट के अनुसार जिला रजिस्ट्रीकरण प्राधिकार के तहत पंजीकरण कराना अनिवार्य है। इसके तहत एक साल का औपबंधिक निबंधन किया जाता है। वहीं विधि मान्य अवधि से एक माह पूर्व पंजीयन के नवीकरण के लिए आवेदन देना पड़ता है। अगर उक्त अवधि में नवीकरण के लिए आवेदन नहीं किया जाता है तो संस्थान को प्रति माह की दर से जुर्माना भरना पड़ता है। इसके अलावा रजिस्ट्रेशन के लिए बायो मेडिकल वेस्ट एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनापत्ति प्रमाणपत्र तथा अग्निशमन सुरक्षा प्रमाणपत्र सहित अन्य जरूरी दस्तावेज देने पड़ते हैं।
Leave a Reply