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सुरक्षित मातृत्व की दिशा में महत्वपूर्ण पहल, जिले में कुशल प्रसव सहयोगी प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न।

सिविल सर्जन ने एएनएम को प्रदान किए प्रमाण-पत्र

राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।

मातृ एवं नवजात शिशु मृत्यु दर को कम करने में प्रसव कक्ष में कार्यरत स्वास्थ्यकर्मियों की दक्षता की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। गर्भावस्था के अंतिम चरण से लेकर प्रसव एवं प्रसवोत्तर अवधि तक यदि प्रशिक्षित और कुशल स्वास्थ्यकर्मी उपलब्ध हों, तो अधिकांश जटिलताओं से समय रहते प्रभावी ढंग से निपटा जा सकता है। इसी उद्देश्य से राज्य स्वास्थ्य समिति, बिहार के दिशा-निर्देशों के आलोक में जिले में आयोजित कुशल प्रसव सहयोगी प्रशिक्षण कार्यक्रम का आज सफलतापूर्वक समापन हुआ। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि ग्रामीण एवं दूरदराज क्षेत्रों में सुरक्षित प्रसव सुनिश्चित करने की दिशा में एक ठोस और व्यवहारिक प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।

इक्कीस दिवसीय प्रशिक्षण से सशक्त हुई एएनएम की कार्यक्षमता

प्रशिक्षण कार्यक्रम की नोडल पदाधिकारी सुमन सिन्हा ने बताया कि दिनांक 01 दिसंबर से 21 दिसंबर 2025 तक आयोजित इस इक्कीस दिवसीय प्रशिक्षण में जिले के विभिन्न स्वास्थ्य उपकेंद्रों, अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों एवं सामुदायिक क्षेत्रों में कार्यरत सहायक नर्स दाई (एएनएम) को शामिल किया गया। प्रशिक्षण का आयोजन एएनएम प्रशिक्षण विद्यालय, किशनगंज में किया गया, जबकि व्यवहारिक प्रशिक्षण के लिए प्रतिभागियों को सदर अस्पताल के प्रसव कक्ष में अनिवार्य रूप से कार्य कराया गया।

प्रशिक्षण के दौरान सामान्य एवं सुरक्षित प्रसव की प्रक्रिया, प्रसव के समय उत्पन्न होने वाली जटिलताओं की पहचान, समय पर संदर्भण, प्रसवोत्तर अत्यधिक रक्तस्राव का प्रबंधन, नवजात शिशु की प्राथमिक देखभाल, संक्रमण से बचाव तथा आपातकालीन परिस्थितियों में त्वरित निर्णय जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर विशेष बल दिया गया।

सिविल सर्जन ने वितरित किए प्रमाण-पत्र, सुरक्षित प्रसव को बताया प्राथमिकता

प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन अवसर पर आयोजित समारोह में सिविल सर्जन, किशनगंज द्वारा सभी सफल प्रतिभागी सहायक नर्स दाई को प्रशिक्षण प्रमाण-पत्र प्रदान किए गए। इस अवसर पर सिविल सर्जन ने अपने संबोधन में कहा कि कुशल प्रसव सहयोगी का प्रशिक्षण मातृ एवं शिशु जीवन की सुरक्षा से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है। प्रसव कक्ष में तैनात प्रशिक्षित सहायक नर्स दाई किसी भी स्वास्थ्य व्यवस्था की मजबूत कड़ी होती हैं। इस प्रशिक्षण से उनकी क्षमता में वृद्धि होगी और संस्थागत प्रसव की गुणवत्ता में निश्चित रूप से सुधार आएगा।

उन्होंने यह भी कहा कि प्रशिक्षण के दौरान अर्जित ज्ञान एवं कौशल का उपयोग कार्यस्थल पर पूरी गंभीरता और जिम्मेदारी के साथ किया जाए, ताकि किसी भी आपात स्थिति में गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित एवं गुणवत्तापूर्ण सेवाएं उपलब्ध कराई जा सकें।

गुणवत्ता पर कोई समझौता नहीं

प्रशिक्षण नोडल सुमन सिन्हा ने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य केवल प्रशिक्षण की संख्या बढ़ाना नहीं, बल्कि प्रसव सेवाओं की गुणवत्ता को जमीनी स्तर पर सुदृढ़ करना है। इक्कीस दिनों के दौरान प्रतिभागियों को वास्तविक परिस्थितियों में कार्य करने का अवसर दिया गया, जिससे उनका आत्मविश्वास और निर्णय लेने की क्षमता दोनों मजबूत हुई है। उन्होंने बताया कि राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा निर्धारित सभी मानकों का पालन करते हुए प्रशिक्षण की निरंतर निगरानी की गई, ताकि इसका वास्तविक लाभ गर्भवती महिलाओं एवं नवजात शिशुओं तक सुनिश्चित रूप से पहुंच सके।

ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था को मिलेगा प्रत्यक्ष लाभ

सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी ने बताया कि इस प्रशिक्षण से विशेष रूप से ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में प्रसव के दौरान उत्पन्न होने वाली जटिलताओं को प्रारंभिक स्तर पर ही नियंत्रित किया जा सकेगा। प्रशिक्षित सहायक नर्स दाई समय रहते खतरे के संकेतों की पहचान कर उच्च स्वास्थ्य संस्थानों में उचित संदर्भण सुनिश्चित कर सकेंगी, जिससे मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में उल्लेखनीय कमी लाने में सहायता मिलेगी।

यह कार्यक्रम राज्य सरकार एवं स्वास्थ्य विभाग की उस प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है, जिसके तहत अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति तक गुणवत्तापूर्ण एवं सुरक्षित स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाना प्राथमिक लक्ष्य है। जिले में कुशल प्रसव सहयोगी प्रशिक्षण कार्यक्रम का सफल समापन मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है। प्रशिक्षित सहायक नर्स दाई न केवल सुरक्षित प्रसव सुनिश्चित करेंगी, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति समुदाय के विश्वास को भी और अधिक मजबूत करेंगी। आने वाले समय में इसका सकारात्मक प्रभाव जिले के स्वास्थ्य संकेतकों में स्पष्ट रूप से परिलक्षित होने की उम्मीद है।

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