‘स्टॉप डायरिया कैंपेन’ का उद्देश्य बीमारी से जागरूक करना
आशा दीदी और स्वास्थ्य कर्मियों के समर्पण से सफल हुआ कैंपेन
डायरिया एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए। यह पाचन तंत्र को प्रभावित करता है, जिससे शरीर से पानी और खनिज लवणों की अत्यधिक हानि होती है। अगर इसका इलाज समय पर न किया जाए, तो यह गंभीर रूप ले सकता है, जिसके परिणामस्वरूप डिहाइड्रेशन और कुपोषण हो सकता है। दुनिया भर में हर साल लाखों लोग, विशेषकर छोटे बच्चे, इस बीमारी के कारण अपनी जान गंवाते हैं। इसी जागरूकता के लिए जिले में 23 जुलाई से 22 सितंबर तक आयोजित ‘स्टॉप डायरिया कैंपेन’ में जिले ने पूरे राज्य में दूसरा स्थान प्राप्त किया है, जिसमें लक्ष्य का 113 प्रतिशत सफलता से पूरा हुआ है।
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने कहा कि इस सफलता से यह स्पष्ट होता है कि जिले ने डायरिया जैसी गंभीर बीमारी के खिलाफ प्रभावी लड़ाई लड़ी है। उन्होंने विशेष रूप से स्वास्थ्य कर्मियों और आशा दीदियों की सराहना की, जिन्होंने इस अभियान को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई। डायरिया के सबसे बड़े कारणों में साफ-सफाई की कमी, दूषित पेयजल का सेवन, और उचित स्वच्छता के अभाव शामिल हैं। यह बीमारी खासकर ग्रामीण और शहरी गरीब क्षेत्रों में अधिक देखने को मिलती है, जहां लोग स्वच्छ पेयजल और उचित शौचालय सुविधाओं से वंचित हैं।
‘स्टॉप डायरिया कैंपेन’ का उद्देश्य
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि ‘स्टॉप डायरिया कैंपेन’ का मुख्य उद्देश्य लोगों को इस बीमारी के बारे में जागरूक करना और इसके रोकथाम के उपायों की जानकारी देना था। इसके तहत स्वच्छता के महत्व को लेकर जागरूकता फैलाई गई, जैसे स्वच्छ पेयजल का उपयोग, उचित हाथ धोने की आदतें, और शौचालय का सही ढंग से उपयोग करना। जिले के स्वास्थ्य विभाग के सभी कर्मियों ने इस अभियान के तहत कई महत्वपूर्ण पहल कीं। समुदाय स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए, जहां लोगों को डायरिया से बचाव के उपाय बताए गए। विशेष शिविरों में ओआरएस (ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन) और जिंक की गोलियों का वितरण किया गया, ताकि डायरिया के मामले में तत्काल राहत दी जा सके।
आशा दीदी और स्वास्थ्य कर्मियों का समर्पण
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने जिले में डायरिया की रोकथाम और स्वास्थ्य जागरूकता फैलाने के प्रयासों के लिए स्वास्थ्य कर्मियों, खासकर आशा दीदियों की सराहना की। उन्होंने कहा कि “आशा दीदियों ने न केवल घर-घर जाकर लोगों को जागरूक किया, बल्कि बीमारी के शुरुआती लक्षणों की पहचान कर लोगों को तुरंत चिकित्सीय सहायता दिलाने में भी अहम भूमिका निभाई।”
आशा दीदियों ने ग्रामीण इलाकों में जाकर हाथ धोने, स्वच्छता बनाए रखने, और दूषित पानी से बचने के तरीकों पर जोर दिया। इसके साथ ही, उन्होंने ओआरएस और जिंक का महत्व बताकर इसे सही तरीके से इस्तेमाल करने की जानकारी दी। आशा दीदियों की मेहनत और जमीनी स्तर पर किए गए कार्यों ने जिले के ‘स्टॉप डायरिया कैंपेन’ में दूसरा स्थान दिलाने में निर्णायक भूमिका निभाई। सिविल सर्जन ने कहा, “यह सफलता टीम वर्क और समर्पण का उत्कृष्ट उदाहरण है। आशा दीदियों की मेहनत और लगन के बिना यह सफलता संभव नहीं थी।”
जागरूकता के माध्यम से रोग की रोकथाम
डीडीए सुमन सिन्हा ने बताया कि डायरिया को रोकने के लिए स्वच्छता के साधारण उपाय ही पर्याप्त होते हैं। इस अभियान ने लोगों को यह सिखाया कि नियमित रूप से हाथ धोना, साफ पानी पीना, और घर व आसपास की साफ-सफाई बनाए रखना इस बीमारी से बचने के लिए महत्वपूर्ण है।
इस जागरूकता अभियान के माध्यम से डायरिया के मामलों में उल्लेखनीय कमी आई है और लोगों ने स्वास्थ्य के प्रति अधिक जिम्मेदार रवैया अपनाया है। विशेष रूप से, जिन इलाकों में साफ पानी और स्वच्छता की कमी थी, वहां स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और आशा दीदियों ने विशेष ध्यान दिया।
डायरिया जैसी बीमारियों की रोकथाम केवल सरकार और स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि समाज के हर व्यक्ति का यह कर्तव्य है कि वह अपनी और अपने परिवार की सेहत का ध्यान रखे। इस अभियान ने साबित कर दिया है कि यदि सभी मिलकर काम करें, तो किसी भी स्वास्थ्य समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है। ‘स्टॉप डायरिया कैंपेन’ के माध्यम से जिले ने यह सिद्ध किया है कि स्वास्थ्य जागरूकता और सामुदायिक प्रयासों से हम एक स्वस्थ समाज की नींव रख सकते हैं।
राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।
‘स्टॉप डायरिया कैंपेन’ का उद्देश्य बीमारी से जागरूक करना
आशा दीदी और स्वास्थ्य कर्मियों के समर्पण से सफल हुआ कैंपेन
डायरिया एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, खासकर बच्चों और बुजुर्गों के लिए। यह पाचन तंत्र को प्रभावित करता है, जिससे शरीर से पानी और खनिज लवणों की अत्यधिक हानि होती है। अगर इसका इलाज समय पर न किया जाए, तो यह गंभीर रूप ले सकता है, जिसके परिणामस्वरूप डिहाइड्रेशन और कुपोषण हो सकता है। दुनिया भर में हर साल लाखों लोग, विशेषकर छोटे बच्चे, इस बीमारी के कारण अपनी जान गंवाते हैं। इसी जागरूकता के लिए जिले में 23 जुलाई से 22 सितंबर तक आयोजित ‘स्टॉप डायरिया कैंपेन’ में जिले ने पूरे राज्य में दूसरा स्थान प्राप्त किया है, जिसमें लक्ष्य का 113 प्रतिशत सफलता से पूरा हुआ है।
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने कहा कि इस सफलता से यह स्पष्ट होता है कि जिले ने डायरिया जैसी गंभीर बीमारी के खिलाफ प्रभावी लड़ाई लड़ी है। उन्होंने विशेष रूप से स्वास्थ्य कर्मियों और आशा दीदियों की सराहना की, जिन्होंने इस अभियान को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई। डायरिया के सबसे बड़े कारणों में साफ-सफाई की कमी, दूषित पेयजल का सेवन, और उचित स्वच्छता के अभाव शामिल हैं। यह बीमारी खासकर ग्रामीण और शहरी गरीब क्षेत्रों में अधिक देखने को मिलती है, जहां लोग स्वच्छ पेयजल और उचित शौचालय सुविधाओं से वंचित हैं।
‘स्टॉप डायरिया कैंपेन’ का उद्देश्य
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने बताया कि ‘स्टॉप डायरिया कैंपेन’ का मुख्य उद्देश्य लोगों को इस बीमारी के बारे में जागरूक करना और इसके रोकथाम के उपायों की जानकारी देना था। इसके तहत स्वच्छता के महत्व को लेकर जागरूकता फैलाई गई, जैसे स्वच्छ पेयजल का उपयोग, उचित हाथ धोने की आदतें, और शौचालय का सही ढंग से उपयोग करना। जिले के स्वास्थ्य विभाग के सभी कर्मियों ने इस अभियान के तहत कई महत्वपूर्ण पहल कीं। समुदाय स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए, जहां लोगों को डायरिया से बचाव के उपाय बताए गए। विशेष शिविरों में ओआरएस (ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन) और जिंक की गोलियों का वितरण किया गया, ताकि डायरिया के मामले में तत्काल राहत दी जा सके।
आशा दीदी और स्वास्थ्य कर्मियों का समर्पण
सिविल सर्जन डॉ. राजेश कुमार ने जिले में डायरिया की रोकथाम और स्वास्थ्य जागरूकता फैलाने के प्रयासों के लिए स्वास्थ्य कर्मियों, खासकर आशा दीदियों की सराहना की। उन्होंने कहा कि “आशा दीदियों ने न केवल घर-घर जाकर लोगों को जागरूक किया, बल्कि बीमारी के शुरुआती लक्षणों की पहचान कर लोगों को तुरंत चिकित्सीय सहायता दिलाने में भी अहम भूमिका निभाई।”
आशा दीदियों ने ग्रामीण इलाकों में जाकर हाथ धोने, स्वच्छता बनाए रखने, और दूषित पानी से बचने के तरीकों पर जोर दिया। इसके साथ ही, उन्होंने ओआरएस और जिंक का महत्व बताकर इसे सही तरीके से इस्तेमाल करने की जानकारी दी। आशा दीदियों की मेहनत और जमीनी स्तर पर किए गए कार्यों ने जिले के ‘स्टॉप डायरिया कैंपेन’ में दूसरा स्थान दिलाने में निर्णायक भूमिका निभाई। सिविल सर्जन ने कहा, “यह सफलता टीम वर्क और समर्पण का उत्कृष्ट उदाहरण है। आशा दीदियों की मेहनत और लगन के बिना यह सफलता संभव नहीं थी।”
जागरूकता के माध्यम से रोग की रोकथाम
डीडीए सुमन सिन्हा ने बताया कि डायरिया को रोकने के लिए स्वच्छता के साधारण उपाय ही पर्याप्त होते हैं। इस अभियान ने लोगों को यह सिखाया कि नियमित रूप से हाथ धोना, साफ पानी पीना, और घर व आसपास की साफ-सफाई बनाए रखना इस बीमारी से बचने के लिए महत्वपूर्ण है।
इस जागरूकता अभियान के माध्यम से डायरिया के मामलों में उल्लेखनीय कमी आई है और लोगों ने स्वास्थ्य के प्रति अधिक जिम्मेदार रवैया अपनाया है। विशेष रूप से, जिन इलाकों में साफ पानी और स्वच्छता की कमी थी, वहां स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और आशा दीदियों ने विशेष ध्यान दिया।
डायरिया जैसी बीमारियों की रोकथाम केवल सरकार और स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि समाज के हर व्यक्ति का यह कर्तव्य है कि वह अपनी और अपने परिवार की सेहत का ध्यान रखे। इस अभियान ने साबित कर दिया है कि यदि सभी मिलकर काम करें, तो किसी भी स्वास्थ्य समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है। ‘स्टॉप डायरिया कैंपेन’ के माध्यम से जिले ने यह सिद्ध किया है कि स्वास्थ्य जागरूकता और सामुदायिक प्रयासों से हम एक स्वस्थ समाज की नींव रख सकते हैं।
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