स्वास्थ्य सुविधा किसी भी समाज के लिए केवल बीमारी के समय उपचार का माध्यम नहीं होती, बल्कि यह जीवन की निरंतर सुरक्षा, गरिमा और भविष्य की मजबूत नींव होती है। ग्रामीण क्षेत्रों में समय पर जांच, नियमित देखभाल और निःशुल्क उपचार की उपलब्धता न केवल रोगों को नियंत्रित करती है, बल्कि परिवारों को आर्थिक और मानसिक संकट से भी बचाती है। बिहार सरकार की मंशा है कि प्रत्येक गांव, प्रत्येक परिवार और प्रत्येक व्यक्ति तक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचें, ताकि कोई भी नागरिक इलाज के अभाव में पीड़ित न हो।
गैर-संचारी रोगों की समय पर पहचान: बढ़ते खतरे पर नियंत्रण
गैर-संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. उर्मिला कुमारी ने बताया कि वर्तमान समय में ग्रामीण क्षेत्रों में भी मधुमेह, उच्च रक्तचाप और हृदय संबंधी रोग तेजी से बढ़ रहे हैं। इन रोगों की सबसे बड़ी चुनौती यह है कि प्रारंभिक अवस्था में इनके लक्षण स्पष्ट नहीं होते। ऐसे में नियमित स्वास्थ्य जांच और पुनः जांच अत्यंत आवश्यक हो जाती है। समय पर पहचान से न केवल गंभीर जटिलताओं से बचाव संभव है, बल्कि व्यक्ति सामान्य और सक्रिय जीवन भी जी सकता है। स्वास्थ्य केंद्रों पर उपलब्ध निःशुल्क जांच सुविधाएं ग्रामीण जनजीवन के लिए एक बड़ी राहत साबित हो रही हैं।
मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य: सुरक्षित भविष्य की बुनियाद
महिला चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. शबनम यास्मीन ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान महिला का समय पर पंजीकरण, नियमित स्वास्थ्य जांच तथा चार अनिवार्य प्रसव पूर्व परीक्षण मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। सुरक्षित मातृत्व सेवाओं के माध्यम से जोखिम वाली गर्भावस्थाओं की पहचान पहले ही कर ली जाती है।
जन्म के बाद शिशु की गृह आधारित देखभाल से नवजात के स्वास्थ्य पर निरंतर निगरानी बनी रहती है, जिससे प्रारंभिक दिनों में होने वाली जटिलताओं को रोका जा सकता है। बचपन में पूर्ण टीकाकरण बच्चों को कई जानलेवा बीमारियों से सुरक्षित करता है। नियमित टीकाकरण सर्वेक्षण के माध्यम से छूटे हुए बच्चों की पहचान कर उन्हें समय पर टीका दिया जाना आवश्यक है। साथ ही रोग निगरानी व्यवस्था के जरिए संक्रामक रोगों की समय पर सूचना मिलने से किसी भी संभावित महामारी को फैलने से पहले ही नियंत्रित किया जा सकता है।
टेलीमेडिसिन और स्वास्थ्य एवं आरोग्य केंद्र: गांव में ही विशेषज्ञ सलाह
जिला योजना समन्वयक विश्वजीत कुमार ने बताया कि दूरदराज और दुर्गम क्षेत्रों के लिए टेलीमेडिसिन सेवा किसी वरदान से कम नहीं है। इसके माध्यम से ग्रामीण मरीज विशेषज्ञ चिकित्सकों से परामर्श प्राप्त कर सकते हैं। स्वास्थ्य एवं आरोग्य केंद्रों पर बाह्य रोगी सेवाएं, दवा वितरण और परामर्श जैसी सुविधाएं ग्रामीण जनता के लिए स्वास्थ्य सेवा को अधिक सुलभ, प्रभावी और भरोसेमंद बना रही हैं।
क्षय रोग मुक्त पंचायत और व्यवहार परिवर्तन: स्वस्थ समाज की दिशा में पहल
ठाकुरगंज के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अखलाकुर रहमान ने बताया कि क्षय रोग मुक्त पंचायत की अवधारणा केवल एक योजना नहीं, बल्कि स्वस्थ समाज की दिशा में सामूहिक संकल्प है। समय पर जांच, पूर्ण उपचार और समुदाय की सक्रिय सहभागिता से इस रोग को जड़ से समाप्त किया जा सकता है।
वहीं व्यवहार परिवर्तन आधारित स्वास्थ्य कार्यक्रम लोगों को स्वच्छता, संतुलित आहार और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। इन्हीं सभी स्वास्थ्य सेवाओं की प्रभावी निगरानी और क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से शनिवार को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ठाकुरगंज में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी की अध्यक्षता में एएनएम एवं आशा फैसिलिटेटरों के साथ समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बैठक में क्षेत्र में संचालित सभी स्वास्थ्य कार्यक्रमों की प्रगति की समीक्षा की गई और आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए।
सशक्त स्वास्थ्य व्यवस्था से ही सशक्त समाज
सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी ने कहा कि जब प्राथमिक स्तर पर स्वास्थ्य सेवाएं मजबूत होती हैं, तभी समाज स्वस्थ, सुरक्षित और आत्मनिर्भर बनता है। सरकार, स्वास्थ्य कर्मियों और समुदाय के साझा प्रयास से ही यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि कोई भी व्यक्ति स्वास्थ्य सुविधा से वंचित न रहे।
राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।
स्वास्थ्य सुविधा किसी भी समाज के लिए केवल बीमारी के समय उपचार का माध्यम नहीं होती, बल्कि यह जीवन की निरंतर सुरक्षा, गरिमा और भविष्य की मजबूत नींव होती है। ग्रामीण क्षेत्रों में समय पर जांच, नियमित देखभाल और निःशुल्क उपचार की उपलब्धता न केवल रोगों को नियंत्रित करती है, बल्कि परिवारों को आर्थिक और मानसिक संकट से भी बचाती है। बिहार सरकार की मंशा है कि प्रत्येक गांव, प्रत्येक परिवार और प्रत्येक व्यक्ति तक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचें, ताकि कोई भी नागरिक इलाज के अभाव में पीड़ित न हो।
गैर-संचारी रोगों की समय पर पहचान: बढ़ते खतरे पर नियंत्रण
गैर-संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. उर्मिला कुमारी ने बताया कि वर्तमान समय में ग्रामीण क्षेत्रों में भी मधुमेह, उच्च रक्तचाप और हृदय संबंधी रोग तेजी से बढ़ रहे हैं। इन रोगों की सबसे बड़ी चुनौती यह है कि प्रारंभिक अवस्था में इनके लक्षण स्पष्ट नहीं होते। ऐसे में नियमित स्वास्थ्य जांच और पुनः जांच अत्यंत आवश्यक हो जाती है। समय पर पहचान से न केवल गंभीर जटिलताओं से बचाव संभव है, बल्कि व्यक्ति सामान्य और सक्रिय जीवन भी जी सकता है। स्वास्थ्य केंद्रों पर उपलब्ध निःशुल्क जांच सुविधाएं ग्रामीण जनजीवन के लिए एक बड़ी राहत साबित हो रही हैं।
मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य: सुरक्षित भविष्य की बुनियाद
महिला चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. शबनम यास्मीन ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान महिला का समय पर पंजीकरण, नियमित स्वास्थ्य जांच तथा चार अनिवार्य प्रसव पूर्व परीक्षण मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। सुरक्षित मातृत्व सेवाओं के माध्यम से जोखिम वाली गर्भावस्थाओं की पहचान पहले ही कर ली जाती है।
जन्म के बाद शिशु की गृह आधारित देखभाल से नवजात के स्वास्थ्य पर निरंतर निगरानी बनी रहती है, जिससे प्रारंभिक दिनों में होने वाली जटिलताओं को रोका जा सकता है। बचपन में पूर्ण टीकाकरण बच्चों को कई जानलेवा बीमारियों से सुरक्षित करता है। नियमित टीकाकरण सर्वेक्षण के माध्यम से छूटे हुए बच्चों की पहचान कर उन्हें समय पर टीका दिया जाना आवश्यक है। साथ ही रोग निगरानी व्यवस्था के जरिए संक्रामक रोगों की समय पर सूचना मिलने से किसी भी संभावित महामारी को फैलने से पहले ही नियंत्रित किया जा सकता है।
टेलीमेडिसिन और स्वास्थ्य एवं आरोग्य केंद्र: गांव में ही विशेषज्ञ सलाह
जिला योजना समन्वयक विश्वजीत कुमार ने बताया कि दूरदराज और दुर्गम क्षेत्रों के लिए टेलीमेडिसिन सेवा किसी वरदान से कम नहीं है। इसके माध्यम से ग्रामीण मरीज विशेषज्ञ चिकित्सकों से परामर्श प्राप्त कर सकते हैं। स्वास्थ्य एवं आरोग्य केंद्रों पर बाह्य रोगी सेवाएं, दवा वितरण और परामर्श जैसी सुविधाएं ग्रामीण जनता के लिए स्वास्थ्य सेवा को अधिक सुलभ, प्रभावी और भरोसेमंद बना रही हैं।
क्षय रोग मुक्त पंचायत और व्यवहार परिवर्तन: स्वस्थ समाज की दिशा में पहल
ठाकुरगंज के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अखलाकुर रहमान ने बताया कि क्षय रोग मुक्त पंचायत की अवधारणा केवल एक योजना नहीं, बल्कि स्वस्थ समाज की दिशा में सामूहिक संकल्प है। समय पर जांच, पूर्ण उपचार और समुदाय की सक्रिय सहभागिता से इस रोग को जड़ से समाप्त किया जा सकता है।
वहीं व्यवहार परिवर्तन आधारित स्वास्थ्य कार्यक्रम लोगों को स्वच्छता, संतुलित आहार और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। इन्हीं सभी स्वास्थ्य सेवाओं की प्रभावी निगरानी और क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से शनिवार को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ठाकुरगंज में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी की अध्यक्षता में एएनएम एवं आशा फैसिलिटेटरों के साथ समीक्षा बैठक आयोजित की गई। बैठक में क्षेत्र में संचालित सभी स्वास्थ्य कार्यक्रमों की प्रगति की समीक्षा की गई और आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए।
सशक्त स्वास्थ्य व्यवस्था से ही सशक्त समाज
सिविल सर्जन डॉ. राज कुमार चौधरी ने कहा कि जब प्राथमिक स्तर पर स्वास्थ्य सेवाएं मजबूत होती हैं, तभी समाज स्वस्थ, सुरक्षित और आत्मनिर्भर बनता है। सरकार, स्वास्थ्य कर्मियों और समुदाय के साझा प्रयास से ही यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि कोई भी व्यक्ति स्वास्थ्य सुविधा से वंचित न रहे।