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ब्लड के माध्यम से अन्य अंगों में फैलता है टीबी की बैक्टीरिया।

राहुल कुमार, सारस न्यूज़, किशनगंज।

हर समय चक्कर आना हो सकता है ब्रेन टीबी का शुरुआती लक्षण।

टीबी को लेकर अभी लोगों में जानकारी का अभाव देखने को मिलता है। अमूमन लोगों में यह धारणा है कि टीबी सिर्फ सांस से जुड़ी बीमारी है। लेकिन, लोगों को यह समझना होगा कि फेफड़ों के अलावा भी टीबी कई प्रकार की होती है। इसमें से ही एक होती है दिमाग की टीबी। ऐसे तो दिमाग की टीबी एक-दूसरे से नहीं फैलती लेकिन, जब फेफड़ों की टीबी से संक्रमित व्यक्ति खांसता, छींकता है तो उसके मुंह से निकली बूंदें दूसरे व्यक्ति के अंदर प्रवेश कर जाती हैं। ये बूंदें यदि दिमाग में प्रवेश कर जाती हैं तो व्यक्ति के दिमाग में टीबी या ब्रेन टीबी होने की संभावना होती है। टीबी उन्मूलन को लेकर पूरे देश में युद्धस्तर पर प्रयास चल रहे हैं। वर्ष 2025 तक देश से टीबी उन्मूलन का लक्ष्य रखा गया है। सिविल सर्जन डॉ राजेश कुमार ने बताया कि इस दिशा में जिले में भी कई स्तर पर कार्य किये जा रहे हैं। टीबी उन्मूलन के लक्ष्य को हासिल करने के लिए समाज के सभी वर्ग के लोगों को एकजुट होने की जरूरत है। सभी की सहभागिता से ही टीबी को हराया जा सकता है।

ब्रेन टीबी के लक्षण।

जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ मंजर आलम ने बताया, ब्रेन टीबी के मरीजों को प्रारंभिक दौर में सुबह उठकर चक्कर और उल्टी आने जैसा लगता है। हमेशा सिर दर्द बना रहता है और यह दर्द दवाइयां खाने के बाद भी नहीं जाता । इन लक्षणों को मरीज मामूली न समझें। ऐसे लक्षण ब्रेन टीबी के भी हैं। ब्रेन टीबी किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। यह बच्चों में भी विकसित हो जाती है। इसके बारे में पता लगते ही व्यक्ति को इसे तुरंत दिखा लेना चाहिए, क्योंकि इसमें लापरवाही से जान का खतरा हो सकता है। जैसे ही मरीज को ब्रेन टीबी के लक्षण दिखाई देते हैं, उसे तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए। टीबी मेनिनजाइटिस के लक्षण आमतौर पर धीरे-धीरे दिखाई देते हैं। जो हफ्ते दर हफ्ते गंभीर होते जाते हैं। शुरुआत में यह लक्षण सामान्य लगते हैं, जिन्हें पहचानना थोड़ा मुश्किल हो जाता है।चक्कर आना,कमजोरी महसूस होना,हल्का फीवर रहना,बीमारी बढ़ने पर गर्दन में अकड़न,लगातार सिरदर्द होना,उलझन महसूस होना,अधिक गुस्सा करना आदि लक्षणों को मरीज मामूली न समझें।

नोटिफिकेशन के तत्काल बाद रोगी के खाते में होगा भुगतान।

जिला यक्ष्मा नियंत्रण पदाधिकारी डॉ मंजर आलम ने इस संबंध में बताया कि पहले टीबी मरीजों के नोटिफिकेशन व उपचार आरंभ होने के बाद लगातार छह महीने तक उनके खातों में निक्षय पोषण योजना के तहत प्रति माह 500 रुपये का भुगतान किया जाता था। नये गाइडलाइन के मुताबिक अब नोटिफिकेशन के तत्काल बाद रोगी के खाते में योजना के पहले किस्त के रूप में 1500 रुपये उपलब्ध कराया जायेगा। ताकि उक्त राशि का उपयोग कर मरीज अपने पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा कर सके। टीबी रोग की पहचान सुनिश्चित होने पर सरकार द्वारा रोगी के बैंक एकाउंट पर 1500 रुपये के रूप में पहले किस्त का भुगतान किया जायेगा। गौरतलब कि पहले टीबी मरीजों के नोटिफिकेशन के बाद निक्षय पोषण योजना के तहत टीबी रोगियों को लगातार 06 महीने तक प्रति माह 500 रुपये डीबीटी के रूप में उनके बैंक खाता में भुगतान किया जाता था। ताकि उक्त राशि से रोगी समुचित पोषाहार का सेवन कर सकें। इसमें बड़ा बदलाव करते हुए अब नोटिफिकेशन के तत्काल बाद रोगी के खाते में निक्षय पोषण योजना के तहत तीन महीने की अग्रिम राशि भेजने का प्रावधान किया गया है। राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत जारी नये नोटिफिकेशन में इसे लेकर स्वास्थ्य अधिकारियों को जरूरी दिशा-निर्देश दिये गये हैं। नये गाइडलाइन के मुताबिक मरीजों का उपचार शुरू होने के 84 दिनों के बाद दूसरी किस्त के रूप में 1500 रुपये का भुगतान किया जायेगा। मरीज का उपचार 06 माह से अधिक चलने पर प्रतिमाह 500 रुपये का भुगतान किया जायेगा।

स्पुटम कैरियर को भी मिलेगा निर्धारित प्रोत्साहन राशि।

जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ मंजर आलम ने बताया कि नये विभागीय गाइडलाइन में स्पुटम कैरियर के लिये भी निर्धारित प्रोत्साहन राशि के भुगतान का प्रावधान किया गया है। टीबी चैपिंयन यानी वैसे लोग जो पूर्व में टीबी की बीमारी से निजात पा चुके हैं। स्पुटम कैरियर की भूमिका निभा सकेंगे। स्पुटम कैरियर के रूप में मरीज का बलगम जरूरी जांच के लिये नजदीकी पीएचसी व एपीएचसी पहुंचाने पर उन्हें 200 रुपये व पीएचसी व एपीएचसी से स्पुटम प्राथमिक अथवा अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से जिला टीबी यूनिट तक पहुंचाने पर उन्हें प्रोत्साहन राशि के रूप में 400 रुपये का भुगतान किया जायेगा. यही नहीं एनटीईपी कार्यक्रम के तहत निजी क्लिनिक व चिकित्सकों के माध्यम से टीबी रोगियों के नोटिफिकेशन के रूप में 500 रुपये व उपचार के अंत सफल उपचार संबंधी रिपोर्ट समर्पित करने पर 500 रुपये प्रति मरीज के हिसाब से भुगतान किया जायेगा।

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